शब्दार्थ
जाति – Caste
मोल – कीमत
तलवार – शमशीर
म्यान – cover
तिनका – तृण
कबहुँ – कभी
निन्दिये – निंदा करना
पायन – पैर
तर – नीचे
आँखिन – आँख में
पीर – कष्ट
घनेरी – बहुत
कुटिल – कठोर
वचन – कथन
सबते – सबसे
जारि – जलाना
छार – राख़
बरसै – बरसना
अमृत – पीयूष
धार – धारा
सीस = सिर
कटि = कमर
काछनी = कमर में पहना जाने वाला काला धागा
मुरली = वंशी
बानिक = रूप
सोहत = सुंदर लगना
पीत = पीला
पट = कपड़ा
गात = शरीर
मनो = मानो
सैल = पर्वत, पत्थर
आतप = सूर्य की किरणें
प्रभात = सुबह
कदली = केला
भुजंग = साँप
स्वाति = एक नक्षत्र
गुन = गुण
तैसोई = वैसा ही
सुजन = सज्जन
फिरि-फिरि = बार-बार
पोहिए = गूँथना
मुक्ताहार = मोतियों की माला
बिगरी = बिगड़ी
बनै = बनना
किन = उपाय
फाटे = फटा
माखन – मक्खन
पाठ में से
प्रश्न 1. ‘तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं’ – इस उदाहरण के द्वारा कवि क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर – ‘तलवार का महत्त्व होता है, म्यान का नहीं’ इस उदाहरण द्वारा कवि यह कहना चाहते हैं कि हमें ज्ञानी आदमी के ज्ञान को महत्त्व देना चाहिए न कि उसके जाति को।
प्रश्न 2 छोटे-से घास के तिनके की निंदा क्यों नहीं करनी चाहिए?
उत्तर – छोटे-से घास के तिनके की निंदा नहीं करनी चाहिए क्योंकि जब यही तिनका हमारी आँख में पड़ जाता है तो हमें बहुत पीड़ा होती है।
प्रश्न 3. कठोर वचनों का मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर – कठोर वचन सबसे बुरा होता है। कठोर वचनों से मनुष्यों पर बड़ा ही बुरा ही प्रभाव पड़ता है, वे दुखी हो जाते हैं जिससे उनका उत्साह कम हो जाता है।
प्रश्न 4. स्वाति नक्षत्र की बूँद केला, सीप तथा सर्प मुख में गिरकर क्या – क्या रूप धारण करती है?
उत्तर – स्वाति नक्षत्र से गिरने वाली बूँदें जब केले के पेड़ पर गिरती हैं तो चूना, साँप के मुख में गिरे तो कालकूट अर्थात् विष और सीप में गिरे तो मोती बन जाती है।
प्रश्न 5. सज्जनों को बार-बार क्यों मना लेना चाहिए?
उत्तर – सज्जन हमारे जीवन के लिए किसी अमूल्य उपहार से कम नहीं होते। उनके हमारे जीवन में होने मात्र से जीवन सरस और मधुमय बना रहता है। वे हमारे सुख और दुख दोनों स्थितियों के सहचर होते हैं इसलिए अगर सज्जन कभी हमसे रूठ जाएँ तो हमें सज्जनों को बार-बार मना लेना चाहिए।
प्रश्न 6. लाख उपाय करने पर भी बिगड़ी बात नहीं बनती। उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – लाख उपाय करने पर भी बिगड़ी बात नहीं बनती क्योंकि एक बार दूध के फट जाने पर उसे जितना भी मथा जाए उससे मक्खन नहीं निकल सकता।
प्रश्न 7. पाठ के आधार पर सही कथन के सामने सही ( P ) का और गलत कथन के सामने गलत (x) का निशान लगाइए-
(क) मधुर वचन सब कुछ जलाकर राख कर देते हैं। गलत
(ख) संगति का हम पर असर पड़ता है। सही
(ग) हमें अपने संबंधियों से अनबन नहीं करनी चाहिए। सही
(घ) विपत्ति में अपनी संपत्ति न होने पर भी सभी सहायक होते हैं। गलत
(ङ) बिहारी कवि कृष्ण को अपने हृदय में बसाना चाहते हैं। सही
(च) सच्चे हृदय में राम बसते हैं। सही
बातचीत के लिए
प्रश्न 1. कवि ने अमृत की धार किसे बताया है और क्यों?
उत्तर – कवि ने अमृत की धार साधुओं की वाणी को बताया है क्योंकि साधुओं की वाणी समस्त प्राणी के लिए समान और शीतलता पहुँचाने वाली होती है।
प्रश्न 2. बिना पानी जलज को कौन नहीं बचा सकता?
उत्तर – बिना पानी के जलज को सूर्य की किरणें भी नहीं बचा सकती।
प्रश्न 3. कवि बिहारी श्रीकृष्ण के किस रूप को मन में बसाना चाहते हैं?
उत्तर – बिहारी श्रीकृष्ण के उस मनोरम रूप-सौंदर्य को सदा के लिए अपने मन में बसाना चाहते हैं जब श्रीकृष्ण के सिर पर मुकुट, कमर में काछनी, हाथ में वंशी और हृदय पर वैजयंती माला धारण किए हों।
प्रश्न 4. श्रीकृष्ण के श्यामल शरीर पर पीले रंग के वस्त्र कैसे लगते हैं?
उत्तर – श्रीकृष्ण के श्यामल शरीर पर पीले रंग के वस्त्र ऐसे लग रहे हैं मानो नीलमणि पर्वत पर प्रात:काल की किरणें पड़ रही हों।
प्रश्न 5. ‘मन काँचे, नाचै वृथा’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – ‘मन काँचे, नाचे वृथा’ से यह अभिप्राय है कि जब हमारा मन दुर्भावनाओं से भरा हो तो नाच-गाकर भी ईश्वर को नहीं रिझाया जा सकता है।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. यदि आपका निकट संबंधी या कोई मित्र आपसे रूठ जाए तो आप क्या करेंगे?
उत्तर – यदि मेरा कोई निकट संबंधी रूठ जाए तो मैं सबसे पहले यह जानने की कोशिश करूँगा कि ऐसा क्या हुआ कि हम दोनों के रिश्ते में खटास आ गई इसके बाद मैं हर संभव प्रयास कर कर रिश्ते को फिर से पहले जैसा मधुर बनाने का प्रयास करूँगा।
प्रश्न 2. विपत्ति के समय आपका मित्र कुछ रुपए माँगने आया और आपने उसे मना कर दिया। कल्पना कीजिए कि वह आपके बारे में क्या सोच रहा होगा।
उत्तर – ऐसे समय में यह मित्र की मानसिकता पर निर्भर करता है कि वो मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा? अगर वह विवेकी है तो उसे यही लगना चाहिए कि मेरी कोई मज़बूरी रही होगी जिस वजह से मैंने उसे मना कर दिया और दूसरी स्थिति में यह सोच भी आ सकती है कि मैंने दोस्ती नहीं निभाई।
भाषा की बात
प्रश्न 1. नीचे दिए गए अधूरे दोहों की पंक्तियों को खोजकर उन्हें पूरा कीजिए-
(क) साईं इतना दीजिए, जामै कुटुम्ब समाय।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु न भूखा जाए॥
(ख) रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय|
सुनि अठिलैहैं लोग सब बाँटि न लैहैं कोय॥
(ग) बोली एक अमोल है, जो कोई बोले जानि।
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि॥
प्रश्न 2. बोलचाल की क्षेत्रीय विशेषताओं के कारण शब्दों के उच्चारण में परिवर्तन होता है। जैसे- ‘बिगड़ी’ शब्द ‘बिगरी’ बन जाता है, ‘शैल’ ‘सैल’ हो जाता है। उच्चारण के परिवर्तन से वर्तनी भी बदल जाती है। पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए-
क. तैसाई – वैसा ही
ख. पायन – पैर
ग. गुन – गुण
घ. कोउ – कोई
जीवन मूल्य
● सभी दोहे हमें किसी-न-किसी रूप में जीने का तरीका सिखाते हैं।
प्रश्न 1. आपको किस दोहे ने सर्वाधिक प्रभावित किया? और क्यों?
उत्तर – मुझे रहीम के इस दोहे ने सबसे ज़्यादा प्रभावित किया है जिसमें सज्जनों की तुलना मोतियों की माला से की गई है। रूठे हुए सज्जन व्यक्ति को मनाने की बात इस इसलिए कही गई है क्योंकि सज्जन व्यक्तियों के सान्निध्य से हमारा चतुर्दिक विकास होता है। वे हमारे जीवन को सही आयाम देने में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 2. हमें अपने मन की व्यथा दूसरों को क्यों नहीं बतानी चाहिए?
उत्तर – हमें अपनी समस्या किसी को भी नहीं बतानी चाहिए क्योंकि वे हमारी समस्या सुनकर समाधान करने के बजाय हमारी समस्या का विज्ञापन कर देंगे और मन ही मन यह सोचकर खुश होंगे कि ठीक हुआ इस समस्या से मैं पीड़ित नहीं हूँ।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1. कबीर तथा वृंद कवि के दोहों का कक्षा में अथवा प्रार्थना सभा में सस्वर वाचन कीजिए।
उत्तर – छात्र स्वयं करें
प्रश्न 2. ‘संपत्ति के बिना विपत्ति में कोई सहायक नहीं होता’ – विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर – छात्र स्वयं करें
प्रश्न 2. नीचे दी गई समस्याओं के समाधान पर कक्षा में चर्चा कीजिए-
(क) यदि बारिश का पानी गली में भर जाए।
उत्तर – छात्र स्वयं करें
(ख) यदि पड़ोसी देर रात तक तेज़ आवाज़ में संगीत बजाएँ।
उत्तर – छात्र स्वयं करें
अभ्यास सागर
पाठ – 8
दोहे
अलंकार (उत्प्रेक्षा, श्लेष, यमक,
अतिशयोक्ति), अपठित काव्यांश
1. उत्प्रेक्षा अलंकार को समझने के लिए।
2. क. ऊपर दी गई पंक्तियों में अर्जुन के क्रोध से काँपते हुए शरीर (उपमेय) की कल्पना हवा के ज़ोर से जागते सागर (उपमान) से की गई है। यहाँ मानो का भी प्रयोग हुआ है, अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।
ख. ऊपर दी गई पंक्तियों में मेघों के आने की तुलना (उपमेय) गाँव में सज-सँवरकर आने वाले दामाद (उपमान) के साथ की गई है। यहाँ ज्यों का भी प्रयोग हुआ है, अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।
3. श्लेष अलंकार को समझने के लिए।
4. क. यहाँ ‘माली’ शब्द में श्लेष अलंकार है तथा उपवन के संदर्भ में दो अर्थ हैं – बागवान तथा ईश्वर
ख. यहाँ ‘पट’ शब्द में श्लेष अलंकार है तथा मंगन के संदर्भ में दो अर्थ हैं – कपड़ा तथा दरवाजा
5. यमक अलंकार को समझने के लिए।
क. यहाँ ‘कनक’ का प्रयोग दो बार हुआ है जिसके के दो अर्थ हैं- सोना और धतूरा। अतः यहाँ यमक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
ख. यहाँ ‘मनका’ का प्रयोग दो बार हुआ है जिसके दो अर्थ हैं- मोती और मन का। अतः यहाँ यमक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
ग. यहाँ ‘धोती’ का प्रयोग दो बार हुआ है जिसके दो अर्थ हैं- वस्त्र और धोना। अतः यहाँ यमक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
6. अतिशयोक्ति अलंकार को समझने के लिए।
क. ऊपर दी गई पंक्तियों में कहा गया है कि महारणा प्रताप एक बड़ी नदी के किनारे खड़े होकर यह सोच रहे हैं कि चेतक उस पार कैसे जाएगा? इसी दौरान चेतक नदी के उस पार खड़ा था। सोचने में लगने वाले समय के अंदर चेतक का उस पार हो जाना अतिशयोक्ति है इसलिए यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।
ख. ऊपर दी गई पंक्तियों में कहा गया है कि म्यान से तलवार निकलते ही शत्रुओं के प्राण निकल गए। तलवार का म्यान से निकलते ही दुश्मनों की जान निकल जाना अतिशयोक्ति है इसलिए यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।
7. क. फूल और काँटे की
ख. चाँदनी मेघ और हवा दोनों को समान रूप से प्राप्त होते हैं।
ग. वह उँगली को छेद देता है
घ. उसकी खुशबू और निराले रंगों के कारण
ङ. व्यवहार में बड़प्पन होने पर
8. क. सदाचारी
ख. सच्चरित्र
ग. स्वावलंबी
घ. अतिशयोक्ति
ङ. कटुभाषी
9. क. पंचों ने जो निर्णय लिया वो सभी को मान्य था।
ख. वह गुनगुने पानी से स्नान करता है।
ग. उसके तो सारे इरादों पर पानी फिर गया।
घ. वसंत ऋतु अच्छा लगता है।
ङ. उसके प्राण निकल रहे हैं।
10. क. डिब्बा
ख. सेठ
ग. सुत
घ. रूपवान
11. क. भूतकाल
ख. भविष्यत् काल
ग. वर्तमान काल
घ. भूतकाल
ङ. भूतकाल
12. कहानी लेखन
एक बार की बात है। हम चार-पाँच दोस्त चौराहे पर खड़े देश-दुनिया की बातें कर रहे थे कि तभी एक मोटर कार द्रुत गति से पार हुई और एक सामान्य स्तर के व्यक्ति को रौंदते हुए निकल गई। हम सब बड़े परेशान थे पर हममें सी किसी को ज़ख्मी व्यक्ति की परेशानी से कोई मतलब ही नहीं था। मैंने सबसे कहा भी कि इसे अस्पताल पहुँचा देते हैं पर मेरे मित्रों ने यही कहा कि यह पुलिस केस है, कौन कोर्ट-कचहरी के बखेड़े में पड़े? मेरा अंतर्मन उसे इस तरह असहाय छोड़ने की गवाही नहीं दे रहा था। जख्मी व्यक्ति बुरी तरह से चोटिल होते हुए भी पूरे होश में था। उसने अपना बटुआ निकाल कर मुझे देते हुए कहा कि इसमें मेरा परिचयपत्र और एटीएम कार्ड है। मुझे नजदीकी अस्पताल में भर्ती करवा दो। वह व्यक्ति एक प्रोफ़ेसर था और उसके एटीएम में अच्छे खासे पैसे भी थे। मैंने अपने मित्रों की मदद से उसे अस्पताल में भर्ती करवा दिया। सचमुच, विपत्ति में सबसे पहले अपनी संपत्ति से ही सहायता मिलती है।