घोड़े ने जान बचाई (जीवनी)

युद्ध ! जंग! लड़ाई ! संग्राम !!

संग्राम महाराणा प्रताप का साथी था। उनका जीवन ही रणक्षेत्र था। न तो वे कभी संग्राम से डरते थे, न उनके वीर सैनिक ही। सवेरा हुआ नहीं कि वे कवच पहन कर हाथ में तलवार लेकर, निकल पड़ते थे। अकबर बादशाह की फौज से कहीं-न-कहीं मुकाबला हो जाता था। अकबर राणा को अपने कब्जे में करना चाहता था। प्रताप ने प्रतिज्ञा की थी – प्राण दूँगा पर मेवाड़ को मुक्त करूँगा।

लड़ाई के मैदान में राणा का प्राणप्यारा साथी था उनका घोड़ा चेतक। चमचमाता श्याम रंग। गठा हुआ शरीर। चेतक घोड़ा किसी वीर से कम न था। वह भी जैसे युद्धविद्या जानता था। दुश्मन की हर चाल को यह पहचान लेता था। ऐन वक्त पर ऐसा उछलता कि दुश्मन का वार खाली जाता। रण में उसने कई बार राणा की जान बचायी थी। राणा उस पर सवार होते तो वह बहुत खुश होता। घुड़सवार के लिए उसके घोड़े का होशियार होना बहुत जरूरी है।

आज राणा प्रताप बड़ी लड़ाई में जा रहे थे। हल्दी घाटी की सँकरी पहाड़ी गली। विशाल मुगल सेना का यहीं आसानी से सामना किया जा सकता है। वैसे तो वे पहले कई बार बादशाही फौज़ से लोहा ले चुके थे। कभी

जीतते, कभी हार जाते। मगर आज की लड़ाई तो हर हालत में जीतनी होगी। मुगल राजपूती शौर्य की शान देखें। राणा ने चेतक की पीठ थपथपायी। चेतक ने कान फड़फड़ाये। राणा ने पुचकारा तो वह पूँछ हिलाने लगा। जैसे हिनहिनाकर बोला- ‘राणा ! मैं तो तुम्हें लेने को हरदम तैयार हूँ।’

अपनी मुट्ठीभर सैनिक लेकर राणा हल्दीघाटी में उतरे, माथे पर चुटकी भर धूल लगाई। मातृभूमि को प्रणाम कर ही रहे थे कि मुगलिया फौज टिड्डियों की भाँति आ धमकी। राणा ने देखा – शाहजादा सलीम जंग जीतने आया है। उन्होंने बड़ी फुर्ती से हमला किया। सलीम का हाथी मारा गया, लेकिन वह बच गया। उसकी फौज राणा पर आँधी-सी टूट पड़ी। प्रताप की तलवार मानों फसल काटने लगी। अनगिनत सैनिक मारे गए। अब मुगलों ने राणा को घेर लिया। उनके सिर पर मुकुट था। मुकुट को देख फौजी उन पर हमला करते थे। राणा अकेले पड़ गए। उन पर कई चोटें आईं। पर पीछे हटना वे जानते ही नहीं थे।

दूर से झाला वीर मान्ना ने प्रताप की बुरी हालत देखी। वह उनकी तरफ झपटा। “जय, महाराणा की जय।” आवाज गूँज उठी। मान्ना ने पीछे से मुकुट छीन कर अपने सिर पर रखा। बोला- राणा, आपके घाव गहरे हैं। मेरी बात मानिए। अपनी जान बचाइए। आप रहेंगे तो हमारी लड़ाई चलती रहेगी। अभी मैं इनके लिए काफी हूँ।

चेतक तो पहले भाँप चुका था कि राणा जख्मी हो गए हैं। उसने ये बातें सुनीं। अब वह राणा को लेकर बेतहाशा भागा। उनका हुक्म नहीं माना। झाड़-झंखाड़ों में तेजी से भागना तो उसका खेल था। आज वह ऐसा कूद रहा था, जैसे कभी नहीं कूदा। राणा चिल्ला उठे – “चेतक ! चेतक ! यह क्या कर रहा है? लोग मुझे भगोड़ा समझेंगे। रुक- जा।” इधर चेतक हाँफने लगा। वह लड़खड़ाया। फिर भी उछला। सामने नाला था। उसे कूद कर पार किया। फिर धड़ाम् से गिरा। राणा ने देखा उसकी छाती में तलवार भोंक दी गई है। खून की धारा बह रही है। प्रताप रोने लगे। उनके सामने ही चेतक ने दम तोड़ दिए।

राणा का भाई शक्ति सिंह मुगलों के साथ था। उसने सारा माजरा देखा। राणा का पीछा करके फौरन आ पहुँचा। प्रताप ने उसे देखा तो बोले – “आ जा शक्ति ! मेरी गर्दन उड़ा दे। अपने चेतक के बिना मैं जी नहीं सकता।”

शक्ति प्रताप के पाँवों पर गिरा। बोला – “भैया, मुझे माफ कर दो। झाला और चेतक ने मेरी आँखें खोल दीं। मैं भी वतन के लिए ही जान दूँगा। दोनों फूट फूट कर रोने लगे।

अपनी वीरता, समझदारी और वफादारी के लिए ‘चेतक’ नाम अमर हो गया। उसने प्रताप की जान बचाई। राजपूती शान बचाई। खुद प्राण दे दिए। आज भी राजस्थान के चौके – चौराहे, रास्ते, भवन सब पर चेतक की मूर्त्तियाँ खड़ी हैं।

जान – प्राण,

जंग – युद्ध,

कवच – शरीर रक्षा का आवरण,

फौज – सेना,

ऐन वक्त – ठीक समय पर,

उछलना – कूदना,

प्रतिज्ञा – प्रण,

फौरन – तुरंत

वार – आक्रमण, हमला,

लोहा लेना – लड़ाई करना,

फुर्ती से – जल्दी से,

आँधी – तूफान, बेतहाशा – बड़ी तेजी से,

रफ्तार – गति,

जख्मी – घायल,

हालत – अवस्था,

वफादार – विश्वासी,

दम तोड़ना – मर जाना,

माजरा – मामला,दृश्य

टिड्डियाँ – एक प्रकार के पतंगे हैं जो दल बाँधकर आती हैं और पेड़

पौधों के पत्तों को फौरन खा जाती हैं।

तलवार भोंक दी – तलवार घुसा दी।

आँखें खुलना – सच्चाई का पता चलना

यह एक ऐतिहासिक घटना है जो मनुष्य और उसके पालतू जानवर के प्यार भरे संबंध को दर्शाती है। राणा प्रताप ऐसे राजपूत वीर थे जो अकबर का बराबर सामना करते रहे। उनके ही घोड़े का नाम था – चेतक। चेतक की समझदारी और वफादारी पर ही यह कहानी आधारित है।  

(क) राणा प्रताप सवेरा होते ही क्या करते थे?

उत्तर – राणा प्रताप सवेरा होते ही अपना कवच पहन कर हाथ में तलवार लेकर, निकल पड़ते थे। अकबर बादशाह की फौज से कहीं-न-कहीं उनका मुकाबला हो जाता था। क्योंकि राणा मेवाड़ को अकबर के अधिकार से मुक्त कराना चाहते थे।

(ख) चेतक के रूप- गुणों का वर्णन कीजिए।

उत्तर – राणा प्रताप का प्राणप्यारा साथी उनका घोड़ा चेतक था। चेतक का चमचमाता श्याम रंग और गठा हुआ शरीर किसी वीर से कम न था। वह भी युद्धविद्या जानता था और रणभूमि में दुश्मन की हर चाल को पहचान लेता था। ऐन वक्त पर ऐसा उछलता कि दुश्मन के वार खाली जाते थे। युद्ध में उसने कई बार राणा की जान बचाई थी।

(ग) हल्दी घाटी में हुए युद्ध का वर्णन कीजिए।

उत्तर – हल्दी घाटी की सँकरी पहाड़ी गली में विशाल मुगल सेना के साथ वीर राणा प्रताप का युद्ध हुआ था। अपनी मुट्ठीभर सैनिक लेकर राणा हल्दीघाटी में उतरे, माथे पर चुटकी भर धूल लगाई। वे मातृभूमि को प्रणाम कर ही रहे थे कि मुगलिया फौज टिड्डियों की भाँति आ धमकी। शाहजादा सलीम जंग जीतने आया था। इधर राणा के वार से सलीम का हाथी मारा गया, लेकिन वह बच गया। उसकी फौज राणा पर आँधी-सी टूट पड़ी। प्रताप की तलवार मानो फसल काटने लगी। अनगिनत सैनिक मारे गए। अब मुगलों ने राणा को घेर लिया। उनके सिर पर मुकुट था। मुकुट को देख फौजी उन पर हमला करते थे। राणा अकेले पड़ गए। उन पर कई चोटें आईं। पर पीछे हटना वे जानते ही नहीं थे। जब दूर से झाला वीर मान्ना ने प्रताप की बुरी हालत देखी तो मान्ना ने पीछे से राणा का मुकुट छीन कर अपने सिर पर रखा और राणा को वहाँ से भाग जाने के लिए कहा। इस युद्ध में चेतक ने अहम भूमिका निभाई और जख्मी राणा को लेकर बेतहाशा भागा और सुरक्षित स्थान पर पहुँचा कर अपना दम तोड़ दिया।

(घ) युद्ध में प्रताप ने क्या किया?

उत्तर – युद्ध में राणा प्रताप ने अपना पराक्रम दिखाते हुए मुगलिया सैनिकों को गाजर-मूली की तरह काटना शुरू कर दिया। अपने वार से उन्होंने शहजादे सलीम के हाथी को मार गिराया। इस तरह उन्होंने अपने अदम्य वीरता का परिचय दिया। 

(ङ) चेतक प्रताप को लेकर कैसे भागा?

उत्तर – चेतक बहुत ही समझदार घोड़ा था। वह राणा की हर बात समझ जाता था। जब उसने देखा कि राणा जख्मी हो गए हैं तो उनके प्राणों की रक्षा करने हेतु राणा से रुकने का निर्देश मिलने पर भी वह रुका नहीं। खुद जख्मी होते हुए भी तीव्र गति से दौड़ता हुआ वह राणा को एक सुरक्षित स्थान पर पहुँचा कर स्वयं वीरगति को प्राप्त हुआ।

(च) राणा चेतक की मौत से क्यों दुखी हुए?

उत्तर – राणा चेतक को अपने प्राणों के समान ही प्रिय मानते थे। चेतक और उनकी जुगलबंदी बहुत ही अच्छी थी। चेतक उनकी गतिविधियों को समझ जाया करता था। इसीलिए जब चेतक की मौत हुई तो वे बहुत ही ज़्यादा दुखी हुए।  

(छ) चेतक का नाम क्यों अमर हुआ?

उत्तर – चेतक ने अपनी स्वामिभक्ति की नज़ीर अपने प्राणों को बलिदान करके पेश की। राणा प्रताप की जान बचाने के लिए वह खुद जख्मी हो गया और अंतत: वीरगति को प्राप्त हुआ। इसलिए उसका नाम अमर हो गया।

(ज) आज चेतक की मूर्तियाँ कहाँ-कहाँ मिलती हैं?

उत्तर – राजस्थान के चौक-चौराहे, रास्ते, भवन आदि स्थानों शौर्य और साहस के प्रतीक के रूप में चेतक की मूर्त्तियाँ स्वाभिमान से खड़ी हैं।

(झ) शक्ति सिंह को किनसे और क्या शिक्षा मिली?

उत्तर – शक्ति सिंह को वीर झाला और चेतक से मातृभूमि के प्रति अनुराग  और बलिदान की शिक्षा मिली। 

(क) राणा प्रताप का जीवन कैसा था?

उत्तर – राणा प्रताप का जीवन रणक्षेत्र के समान था।

(ख) लड़ाई में राणा का साथी कौन था?

उत्तर – लड़ाई में राणा के साथी चेतक, झाला, मान्ना और उनके वीर सैनिक थे।

(ग) चेतक युद्ध के मैदान में क्या करता था?

उत्तर – चेतक युद्ध के मैदान में महाराणा प्रताप की हर एक गतिविधि पर नज़र रखता था और उनके इशारे पर क्रियाएँ करता था। साथ ही साथ चेतक इतना समझदार था मानो उसने रण विद्या सीखी हो। 

(घ) चेतक देखने में कैसा था?

उत्तर – चेतक देखने में चमकीले श्याम रंग का, गठीला शरीर वाला और बड़ा ही फुर्तीला घोड़ा था। 

(ङ) घोड़े का होशियार होना क्यों जरूरी है?

उत्तर – युद्ध भूमि में हर तरफ से शत्रु का वार होता रहता है ऐसे में अपने मालिक की रक्षा करने के लिए घोड़े का होशियार होना जरूरी है।

(च) राणा ने चेतक की पीठ थपथपायी तो उसने क्या जवाब दिया?

उत्तर – राणा ने जब चेतक की पीठ थपथपायी तो चेतक ने अपने कान फड़फड़ाए और हिनहिनाकर बोला, “राणा ! मैं तो तुम्हें लेने को हरदम तैयार हूँ।”

(छ) झाला वीर ने मुकुट अपने सिर पर क्यों रखा?

उत्तर – झाला वीर ने महाराणा का मुकुट अपने सिर पर रखा क्योंकि इससे मुगल सेना उसे ही महाराणा समझती और असली महाराणा की जान बच जाती।

(ज) प्रताप की तलवार फसल काट रही थी। इसका क्या मतलब है?

उत्तर – प्रताप की तलवार फसल काट रही थी। इसका मतलब है यह हुआ कि महाराणा प्रताप ने अपने शौर्य और पराक्रम का परिचय देते हुए अपने तलवार से अनगिनत शत्रुओं को मार गिराया।  

(झ) मान्ना ने प्रताप से चले जाने को क्यों कहा?

उत्तर – हल्दीघाटी युद्ध में मुगलों की होती जय को देखकर मान्ना ने प्रताप से चले जाने को कहा क्योंकि अगर प्रताप जीवित रहेंगे तो युद्ध ज़ारी रहेगा और एक न एक दिन मेवाड़ पर विजय ज़रूर प्राप्त होगी।

(ञ) राणा चेतक को क्यों रोक रहे थे?

उत्तर – युद्ध में घायल राणा को लेकर जब चेतक बेतहाशा दौड़ा जा रहा था तब राणा चेतक को रोक रहे थे क्योंकि रण छोड़कर भागना राजपूतों के शान के खिलाफ़ था। वो युद्ध भूमि में ही मुगलों का सामना करना चाहते थे।

(ट) चेतक क्यों भागा?

उत्तर – युद्ध भूमि में चेतक ने पहले ही यह भाँप लिया था कि राणा जख्मी हो गए हैं। इसलिए वह राणा को लेकर बेतहाशा भागा।

(ठ) चेतक क्यों गिर पड़ा?

उत्तर – चेतक जब राणा को लेकर भाग रहा था तब शत्रु दल के सैनिक ने उसके सीने में तलवार से वार कर दिया था। इस वार से घायल होने पर चेतक के सीने से अधिक मात्रा में रक्त बह रहा था और इसलिए चेतक गिर पड़ा।

(ड) शक्ति सिंह प्रताप के पाँव क्यों पड़ा?

उत्तर – शक्ति सिंह राणा प्रताप का भाई था और शत्रुओं से जा मिला था। परंतु युद्ध भूमि में जब उसने झाला, मान्ना और चेतक का बलिदान देखा तो उसे अत्यंत आत्मग्लानि हुई और क्षमा माँगने के उद्देश्य से शक्ति सिंह प्रताप के पैरों पर गिर पड़ा।

(क) महाराणा प्रताप का साथी कौन था?

(i) ज्ञान  

(ii) संग्राम

(iii) पूजा  

(iv) वार्तालाप  

उत्तर – (ii) संग्राम

(ख) प्रताप ने कहा- ‘प्राण दूँगा पर मुक्त करूँगा’, किससे?

(i) चेतक   

(ii) दुश्मन   

(iii) मेवाड़   

(iv) शक्ति सिंह

उत्तर – (ii) दुश्मन

(ग) चेतक ने क्या फड़फड़ाए?

(i) हाथ   

(ii) पूंछ   

(iii) कान   

(iv) पीठ   

उत्तर – (iii) कान

(घ) सलीम का क्या मारा गया?

(i) घोड़ा   

(ii) कुत्ता   

(iii) चेतक   

(iv) हाथी   

उत्तर – (iv) हाथी

(ङ) कौन प्रताप के पाँवों पर गिरा?

(i) सलीम   

(ii) अकबर   

(iii) शक्ति सिंह   

(iv) चेतक

उत्तर – (iii) शक्ति सिंह

1. इन शब्दों के लिंग बताइए

युद्ध – पुल्लिंग

जंग – स्त्रीलिंग

लड़ाई – स्त्रीलिंग

संग्राम – पुल्लिंग

जीवन – पुल्लिंग

तलवार – स्त्रीलिंग

मुकाबला – पुल्लिंग

कब्जा – पुल्लिंग

जान – स्त्रीलिंग

फौज – स्त्रीलिंग

सेना – स्त्रीलिंग

प्रतिज्ञा – स्त्रीलिंग

देह – पुल्लिंग

शरीर – पुल्लिंग

हालत – स्त्रीलिंग

पीठ – स्त्रीलिंग

गर्दन – स्त्रीलिंग

जीभ – स्त्रीलिंग

पूँछ – स्त्रीलिंग

जीत – स्त्रीलिंग

हार – स्त्रीलिंग

गली – स्त्रीलिंग

पहाड़ी – स्त्रीलिंग

घाटी – स्त्रीलिंग

फसल – स्त्रीलिंग

आँधी – स्त्रीलिंग

आवाज – स्त्रीलिंग

जय – स्त्रीलिंग

चोट – स्त्रीलिंग

छाती – स्त्रीलिंग

धारा – स्त्रीलिंग

आँख – स्त्रीलिंग

कान – पुल्लिंग

मूर्ति – स्त्रीलिंग

वीरता – स्त्रीलिंग

वफादारी – स्त्रीलिंग

समझ – स्त्रीलिंग

समझदारी – स्त्रीलिंग

नोट : हिन्दी में प्रत्येक शब्द का लिंग जानना जरूरी है। क्यों? शिक्षक से और व्याकरण की पुस्तक से समझो।

2. वचन बदलिए :

घोड़ा – घोड़े

आदमी – आदमी

लड़ाई – लड़ाइयाँ

आँख – आँखें

कान – कान

घाव – घाव

कवच – कवच

3. समानार्थी शब्द लिखिए :

युद्ध – रण

फौज – सेना

जान – जीवन 

वक्त – समय  

प्रतिज्ञा – शपथ

छाती – सीना

घाव – जख्म

4.’क’ विभाग के विशेषण शब्दों को ‘ख’ विभाग के संज्ञा शब्दों से जोड़िए:

‘क’ विभाग     ‘ख’ विभाग

खाली         वार

गठा हुआ      शरीर

हारी          फ़ौज

ऐन           वक्त

विशाल        सेना

मेरी          गर्दन

अनगिनत      सैनिक

बादशाही       चाल

5. निम्नलिखित वाक्यों में एक-एक सर्वनाम है, उनको छाँटकर लिखिए : –

(क) उन पर कई चोटें आईं।

उत्तर – उन

(ख) आप रहेंगे तो लड़ाई चलती रहेगी।

उत्तर – आप

(ग) मैं काफी हूँ।

उत्तर – मैं

(घ) उन्होंने बड़ी फुर्ती से हमला किया।

उत्तर – उन्होंने

(ङ) वह बेतहाशा भागा।

उत्तर – वह

6. निम्नलिखित शब्दों में से संज्ञाओं को छाँटिए:

लड़ाई – संज्ञा

खाली – विशेषण

लोहा – संज्ञा

दुश्मन – संज्ञा

खुश – संज्ञा

घोड़ा – संज्ञा

मूर्ति – संज्ञा

वीरता – संज्ञा

बोला – क्रिया

के साथ – अव्यय

उनके – सर्वनाम

हुक्म – संज्ञा

गठा – विशेषण

प्यारा – विशेषण

प्राण – संज्ञा

भाई – संज्ञा

गर्दन – संज्ञा

मेरी – सर्वनाम  

7. कोष्ठक में से सही परसर्ग चुनकर शून्य स्थान भरिए : –

(ने, को, से के लिए, में)

(क) प्रताप ने प्रतिज्ञा की थी।

(ख) वह किसी वीर से कम न था।

(ग) रण में उसने राजा की जान बचाई थी।

(घ) वह राणा को लेकर बेतहाशा भागा।

(ङ) मैं भी वतन के लिए जान दूँगा।

इन वाक्यों को देखिए। कर्त्ता के साथ ‘ने’ विभक्ति लगी है तो वाक्य कैसे बदल जाते हैं। क्रिया कर्त्ता के अनुसार नहीं चलती। ‘ने’ भूतकाल में ही प्रयुक्त होता है।

राणा ने प्रतिज्ञा की थी।

उसने राणा की जान बचाई।  

राणा ने चेतक की पीठ थपथपायी।

मान्ना ने प्रताप की बुरी हालत देखी।

उन्होंने फुर्ती से हमला किया।

चेतक ने दम तोड़ दिया।

चेतक ने मेरी आँखें खोल दीं।

इन विशेष कथनों को (मुहावरों को) शिक्षक समझा दें।

लोहा लेना – युद्ध करना  

जान बचाना – जीवन की रक्षा करना

पीठ थपथपाना – शाबाशी देना

दम तोड़ देना – मर जाना  

किसी और एक वीर के बारे में लिखिए।

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