Hindi Manjari Class IX Hindi solution Odisha Board (TLH) कुंडलिया – गिरिधर कविराय

गिरिधर कविराय के जीवन के बारे में प्रामाणिक जानकारी नहीं मिलती। शिवसिंह सेंगर ने इनका जन्मकाल सन् 1713 ई. बताया है। लोग इन्हें अवध का निवासी मानते हैं। कविराय नाम से ऐसा लगता है कि वे जाति के भाट थे। जो भी हो, गिरिधर कविराय रीतिकाल के प्रसिद्ध नीतिकाव्यकार के रूप में सुपरिचित हैं। उनकी कुंडलियाँ विख्यात हैं और उत्तर भारत की जनता में खूब प्रचलित हैं। इनमें दैनिक जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी बातें कही गई हैं। सीधी-सादी तथा सरल भाषा में रचित होने के कारण ये ज्यादा लोकप्रिय हुईं। कुछ विद्वानों का मानना है कि साईंशब्दवाली कुंडलियाँ गिरिधर की पत्नी की रची हुई हैं। गिरिधर की कुंडलियाँ अधिकतर अवधी भाषा में ही मिलती हैं।

“बिना बिचारे जो करै, सो पाछे पछताय।

काम बिगारे आपनो, जग में होत हँसाय॥  

जग में होत हँसाय, चित्त में चैन न पावै।

खान-पान सनमान, राग रँग मनहिं न भावै॥

कह गिरिधर कविराय, दुख कछु टरत न टारे।

खटकत है जिय माँहि, कियो जो बिना बिचारे॥“  

शब्दार्थ

पाछे पीछे, बाद में।, बिगारै बिगाड़ना।, आपनो अपना।, होत होना।,

हँसाय – हँसी मज़ाक।,  चित्त मन।, चैन आराम।, पान – पीना।, राग – गीत – संगीत।, भावै – पसंद आना।, कछु – कुछ।, टरत – टलना, हटना, दूर होना।, टारे- टालना।, खटकत – बुरा लगना।, जिय – हृदय, मन।, माँहि – बीच में।,

यह कुंडलिया :

कवि का यह कहना है कि हर व्यक्ति को सोच विचार करके काम करना चाहिए। जो बिना सोच विचार के काम में लग जाता है उसे बाद में पछताना पड़ता है। क्योंकि उसका काम बिगड़ जाता है। संसार में वह हँसी का पात्र बनता है। मानसिक रूप से बेचैन रहता है। खान-पान और मान-सम्मान उसे अच्छे नहीं लगते। मनोविनोद के सारे साधन फीके लगते हैं। दुख को दूर करने के सारे प्रयत्न बेकार हो जाते हैं। मूल्यवान समय बर्बाद हो जाता है। बार-बार यह बात उसके मन को व्यथित करती है कि बिना सोचे और विचारे मैंने यह काम क्यों किया? अतएव जीवन में कोई भी काम करने से पहले हमें भली-भाँति सोच विचार कर लेना चाहिए ताकि बाद में पछताना न पड़े।

(क) बिना सोच और विचार के काम करने से क्या नतीजा होता है?

उत्तर – बिना सोच – विचार के काम करने से हमें अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ता है। हमारा मन बेचैन हो जाता है। ऐसी स्थिति में मान-सम्मान, मनोरंजन के साधन और खाना-पीना कुछ भी अच्छा नहीं लगता है।

(क) कौन पीछे पछताता है?

उत्तर – जो बिना-विचारे काम करता है उसे बाद में पछताना पड़ता है।

(ख) जगत में किसकी हँसी होती है?

उत्तर – बिना सोचे-समझे जो कार्य करता है बाद में उसकी ही जग-हँसाई होती है।

(ग) कौन अपना काम बिगाड़ता है?

उत्तर – जो व्यक्ति भावावेश में आकर बिना चिंतन किए काम करता है वह अपना काम बिगाड़ता है।

(घ) क्या टालने पर नहीं टलता?

उत्तर – जब कोई व्यक्ति कुछ गलत काम कर देता है तो उसके कार्य के फलस्वरूप आने वाले दुख को जितना भी टालने की कोशिश की जाती है, वह नहीं टलता है।

(ङ) मन में कौन-सी बात खटकती रहती है?

उत्तर – अपने कुकृत्य से उत्पन्न होने वाला आत्मग्लानि का यह भाव कि मैंने गलत कार्य कर दिया है, हमेशा मन में खटकती रहती है। 

(क) जग में होत हँसाय, चित्त में चैन न पावै।

(ख) काम बिगारे आपनो, जग में होत हँसाय।  

(ग) खान-पान सनमान, राग रँग मनहिं न भावै।

1. नीचे लिखे शब्दों से वाक्य बनाइए :

जग – यह जग बहुत निराला है।

चैन – बच्चे चैन से सोते हैं।

खान-पान – अच्छे खान-पान से हम स्वस्थ रहते हैं।

दुख – जीवन में दुख आएगा ही आएगा।

2. दिए गए उदाहरणों की तरह पाठ से दूसरे तुकांत शब्दों को छाँटिए

उदाहरण : पछताय – हँसाय

उत्तर – पावै – भावै

टारे – बिचारे

3. ‘खान-पानका अर्थ है खानऔर पान। इसी प्रकार और पाँच उदाहरण दीजिए।

उत्तर – दिन-रात – दिन और रात

सुबह-शाम – सुबह और शाम

सुख-दुख – सुख और दुख

अच्छा-बुरा – अच्छा और बुरा 

माता- पिता – माता और पिता

(क) क्या आप विचार किए बिना कार्य करके उसका नतीजा भोग चुके हैं? जीवन की एक ऐसी घटना का वर्णन कीजिए।

(ख) पठित कुंडलिया की आवृत्ति कीजिए और इसे याद रखिए।

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