Hindi Manjari Class IX Hindi solution Odisha Board (TLH) मेरा नया बचपन सुभद्रा कुमारी चौहान

सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म सन् 1903 ई. में नागपंचमी के दिन प्रयाग निहलपुर मुहल में हुआ। उनके पिता थे ठाकुर रामनाथ सिंह। उनकी देखरेख में सुभद्राकुमारी की प्रारंभिक शिक्षा प्रयाग में हुई। सन् 1919 ई. में खंडवा निवासी ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान से उनका विवाह हुआ था। राष्ट्रीय आन्दोलन में उद्बोधित होकर सुभद्राकुमारी अपने पति के साथ सत्याग्रह में हिस्सा लेने लगीं। इसलिए कई बार उन्हें जेल जाना पड़ा। देश स्वतंत्र होने के बाद वे मध्यप्रदेश विधानसभा की सदस्या चुनी गईं। साहित्यिक और राजनीतिक क्षेत्रों में उन्हें राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी से विशेष प्रोत्साहन मिला था। 12 फरवरी 1948 ई. को मोटर दुर्घटना से उनका देहांत हो गया।

सुभद्राकुमारी कवयित्री और कहानीकार – दोनों ही थीं। अपनी कविता में राष्ट्रप्रेम की ओजस्विता और मानवीय भावनाओं का सहज रूप बड़ी ही सुन्दरता के साथ व्यक्त होता है। झाँसी की रानीकविता किसी समय हिन्दी पाठकों की जवानों पर गुँजती रहती थी। इनकी रचनाएँ मुकुल, बिखरे, मोती, उन्मादिनी, त्रिधाराएँ, सभा का खेल और सीधे-साधे चित्रहैं। इनमें मुकुलउनकी 39 कविताओं का संग्रह है। इसी कविता- पुस्तक पर उन्हें पुरस्कार मिला है।

मेरा नया बचपन

बार-बार आती है मुझको

मधुर याद बचपन तेरी,

गया, ले गया तू, जीवन की,

सबसे मस्त खुशी मेरी।

चिंता रहित खेलना खाना,

वह फिरना निर्भय स्वच्छंद,

कैसे भूला जा सकता

बचपन का अतुलित आनंद।

रोना और मचल जाना भी,

क्या आनंद दिखलाते थे,

बड़े-बड़े मोती से आँसू,

जयमाला पहनाते थे।

मैं रोई, माँ काम छोड़कर

आई, मुझको उठा लिया,

झाड़-पोंछकर चूम-चूमकर,

गीले गालों को सुखा दिया।

आ जा बचपन ! एक बार फिर

दे दे अपनी निर्मल शांति,

व्याकुल व्यथा मिटाने वाली

वह अपनी प्राकृत विश्रांति।

वह भोली सी मधुर सरलता

वह प्यारा जीवन निष्पाप,

क्या फिर आकर मिटा सकेगा

तू मेरे मन का संताप?

मैं बचपन को बुला रही थी,

बोल उठी बिटिया मेरी,

नंदन – वन – सी फूल उठी,

यह छोटी-सी कुटिया मेरी।

माँ ओ ! कहकर बुला रही थी,

मिट्टी खाकर आई थी,

कुछ मुँह में, कुछ लिए हाथ में,

मुझे खिलाने आई थी।

मैंने पूछा- यह क्या लाई?

बोल उठी वह माँ खाओ,

हुआ प्रफुल्लित हृदय खुशी से,

मैंने कहा- तुम ही खाओ।

पाया मैंने बचपन फिर से

बचपन बेटी बन आया,

उसकी मंजुल मूर्त्ति देखकर,

मुझमें नव-जीवन आया।

मैं भी उसके साथ खेलती,

खाती हूँ, तुतलाती हूँ,

मिलकर उसके साथ स्वयं,

मैं भी बच्ची बन जाती

जिसे खोजती थी बरसों से,

अब जाकर उसको पाया,

भाग गया था मुझे छोड़कर,

वह बचपन फिर से आया।

याद स्मरण।,मस्त प्रसन्न, आनंदित।, निर्भय – बिना डर के।, चिंता रहित चिंता शून्य।, स्वच्छंद – आज़ाद, स्वाधीन, स्वतंत्र।, अतुलित- अतुलनीय, अपार, बेजोड़।, मचल जाना – आग्रह, हठ करना।, आँसू – अश्रु।, गीला – भीगा हुआ।, व्याकुल – बेचैन।, प्राकृत विश्रांति – स्वाभाविक सुख चैन।, निष्पाप – पापरहित, निष्कलंक।, संताप – गहरी पीड़ा, दुख।, नंदनवन – देवताओं का वन।, कुटिया – कुटीर, झोंपड़ी।, मिट्टी – धूली, भस्म।, प्रफुल्लि – बहुत खुश, प्रसन्न।, मंजुल – सुन्दर, मन को लुभानेवाली।, नव-जीवन – नया जीवन।, तुतलाना – तुतलाकर बोलना।, स्वयं – खुद।, बरसों – सालों।

(क) कवयित्री ने बचपन को अतुलित आनंद देनेवालेक्यों कहा है?

उत्तर – कवयित्री ने बचपन को अतुलित आनंद देनेवालाकहा है क्योंकि बाल्यावस्था में बच्चों की किसी चीज़ की चिंता नहीं होती है। वे स्वच्छंद घूमते-फिरते हैं। रोकर वे अपनी ज़िद भी पूरी कर लेते हैं। बच्चे छोटे होते हुए भी घर के मालिक ही होते हैं।   

(ख) बचपन के बारे में कवयित्री ने क्या वर्णन किया है?

उत्तर – बचपन के बारे में कवयित्री ने कहा है कि बचपन मनुष्य के जीवन का सबसे अच्छा समय होता है। इसमें निर्मल शांति की प्राप्ति होती है। हमारा मन निष्पाप होता है और हमारी मधुर मुस्कान सबको अपने वश में कर लेती है। 

(ग) बच्ची के रोने पर माँ ने उसे कैसे चुप कराया?

उत्तर – बच्ची के रोने पर माँअपना काम छोड़ कर उसके पास आ गई। उसे अपनी गोद में उठा लिया। उसे झाड़-पोछकर साफ किया तथा आँसुओं से गीले उसके गालों को चूम-चूमकर सूखा दिया। इस तरह माँ ने बच्ची को चुप कराया।

(घ) कवयित्री बचपन को क्यों बार-बार बुलाती हैं?

उत्तर – कवयित्री बचपन को बार-बार बुलाती हैं क्योंकि बचपन की मधुर यादें दिल को गुदगुदाने वाली होती हैं। बचपन का समय खुशियों से भरा होता है।

(ङ) बचपन को बुलाते समय क्या हुआ?

उत्तर – बचपन को बुलाते समय कवयित्री का बचपन उसकी बेटी के रूप में वापस आ गया और अब वह भी अपनी बेटी के साथ अपने बचपन में कभी-कभी लौट जाती हैं।

(क) मेरा नया बचपनकविता किसने लिखी है?

उत्तर – मेरा नया बचपनकविता सुभद्रा कुमारी चौहान जी ने लिखी है।

(ख) कवयित्री को बार- बार किसकी याद आती है?

उत्तर – कवयित्री को बार- बार अपने बचपन की याद आती है।

(ग) किस समय का अतुलित आनंद भूला नहीं जा सकता है?

उत्तर – बचपन के समय का अतुलित आनंद भूला नहीं जा सकता है।

(घ) कवयित्री को बचपन में किस प्रकार की जयमाला पहनाते थे?

उत्तर – कवयित्री को बचपन में बड़े-बड़े मोती से आँसुओं की जयमाला पहनाते थे।

(ङ) माँ ने गीले गालों को कैसे सुखा दिया?

उत्तर – माँ ने गीले गालों को चूम-चूम कर सूखा दिया।

(च) कवयित्री किसलिए बचपन को फिर एक बार बुलाती है?

उत्तर – कवयित्री निर्मल शांति और व्याकुल व्यथा को मिटाने के लिए बचपन को फिर एक बार बुलाती है।

(छ) कवयित्री किसलिए शंका प्रकट करती है?

उत्तर – कवयित्री शंका प्रकट करती है कि क्या उसका बचपन फिर से लौटकर उनके सारे दुख संतापों को दूर कर सकेगा या नहीं।

(ज) कवयित्री की छोटी-सी कुटिया कैसे नन्दन वन-सी फूल उठी?

उत्तर – जब कवयित्री की नन्हीं बिटिया कवयित्री को माँ कहकर पुकारने लगी तब छोटी-सी कुटिया नन्दन वन-सी फूल उठी।

(झ) कवयित्री की बिटिया क्यों माँ के पास आई थी?

उत्तर – कवयित्री की बिटिया अपनी माँ को अपने हाथों में लाई मिट्टी खिलाने आई थी।

(ञ) कवयित्री ने अपना खोया बचपन किस प्रकार पाया?

उत्तर – कवयित्री ने अपना खोया बचपन अपनी बेटी के रूप में पाया है।

(ट) कवयित्री किसे बरसों से खोजती थी?

उत्तर – कवयित्री बरसों से बचपन को खोजा करती थी।

(क) कवयित्री को बार-बार किसकी याद आती है?

(i) बुढ़ापा

(ii) बचपन

(ii) शैशव

(iv) यौवन

उत्तर – (ii) बचपन

(ख) बचपन का कौन – सा आनंद भुला नहीं जा सकता?

(i) सुख

(ii) अप्रतिम

(iii) अतुलित

(iv) असीम

उत्तर – (iii) अतुलित

(ग) जब बच्ची रोती थी तब कौन काम छोड़कर आ जाती थी?

(i) माँ

(ii) बहन

(iii) नानी

(iv) आया

उत्तर – (i) माँ

(घ) बिटिया क्या खाकर आई थी?

(i) रोटी

(ii) पान

(iii) मिट्टी

(iv) मिठाई

उत्तर –(iii) मिट्टी

(ङ) बचपन क्या बनकर कवयित्री को फिर से प्राप्त हुआ?

(i) बिल्ली

(ii) कुत्ता

(iii) बेटा

(iv) बेटी

उत्तर – (iv) बेटी

1. इन विशेषण तथा संज्ञा शब्दों को जोड़िए :

विशेषण संज्ञा

मधुर – स्मृति

प्राकृत – विश्रान्ति

मस्त – खुशी

व्याकुल – हृदय 

मंजुल – मूर्त्ति

मोती-से – आँसू

छोटी-सी – कुटिया

अतुलित – आनंद

2. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।

खुशी – गम

हँसना – रोना

मधुर – तिक्त

जीवन – मरण

निश्चित – अनिश्चित

निर्भय – भीरु

बड़े – छोटे

सूखा – गीला

भयभीत – भयमुक्त

कुटिया – अट्टालिका

नव – पुराना

प्यारा – भयंकर  

पाप – पुण्य

निष्पाप – पाप

सरलता – जटिलता

बचपन – बुढ़ापा

निर्मल – मल

अपना – पराया

पाया – खोया

हर्ष – विषाद

3. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :

निर्भय – अभय, निडर

स्वच्छन्द – स्वतंत्र, आज़ाद

जय – विजय, जीत

माँ – माता, जननी

व्यथा – कष्ट, पीड़ा

फूल – कुसुम, प्रसून

कुटिया – कुटीर, झोंपड़ी

वन – अरण्य, कानन

4. निर्देशानुसार निम्नलिखित वाक्यों को बदलिए।

(क) तू गया, तू ले गया। (भविष्यत् काल में)

उत्तर – तुम जाओगे, तुम ले जाओगे।

(ख) मेरे मन का दुख वह आकर मिटाएगा। (भूतकाल में)

उत्तर – मेरे मन का दुख उसने आकर मिटाया।

(ग) माँ काम छोड़कर आई और मुझे गोद में उठा लिया। (वर्त्तमान काल में)

उत्तर – माँ काम छोड़कर आती है और मुझे गोद में उठा लेती है।

(घ) मैं बचपन को बुला रही थी। (वर्तमान काल में)

उत्तर – मैं बचपन को बुला रही हूँ।

(ङ) मुझे खिलाने आई थी। (भविष्यत् काल में )

उत्तर – मुझे खिलाने आएगी।

अपने बचपन की किसी एक रोचक घटना अपने साथियों को सुनाइए।

उत्तर – अध्यापक के दिशानिर्देश में करवाया जाए।

You cannot copy content of this page