कवि परिचय :
कवि सूर्यकांत त्रिपाठी का जन्म बंगाल के मेदिनीपुर जिले के महिषादल नामक नगर में सन् 1897 ई. में हुआ था। पढ़ाई-लिखाई वहीं हुई। उनका जीवन अभावों और विपत्तियों से पीड़ित रहा। लेकिन उन्होंने किसी विपत्ति के सामने झुकना नहीं सीखा। हमेशा संघर्ष करते रहे। ज़िंदगीभर गरीबी में दिन काटे। लेकिन बड़े दानी थे और बड़े स्वाभिमानी भी। वे हिन्दी, संस्कृत, बंगला आदि अनेक भाषाओं के पंडित थे। संगीत के अच्छे जानकार थे। वे छायावादी युग के कवि थे। उन्होंने मुक्तछन्द में कविता लिखना भी आरंभ किया। प्राकृतिक दृश्यों, मानवीय भावों तथा भारतीय संस्कृति को अपने काव्यों का विषय बनाया। अन्याय, अत्याचार व संकीर्णता के प्रति सदा विद्राही बने रहे। परंपरा से हटकर उन्होंने नूतनता को अपनाया। दीन-दुःखी पीड़ित जनता के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त की। उनकी कविता में जीवन-संग्राम में लड़ने की प्रेरणा निहित है।
उनकी रचनाएँ: ‘परिमल’, ‘गीतिका’, ‘अनामिका’, ‘कुकुरमुत्ता’, ‘अणिमा’, ‘बेला’, ‘नये – पत्ते’, ‘अपरा’ आदि काव्य-संग्रह; ‘अलका’, ‘प्रभावती’, ‘निरुपमा’ आदि उपन्यास ‘चतुरी चमार’, ‘सुकुल की बीबी’ आदि कहानी-संग्रह तथा ‘प्रबंध प्रतिमा’ निबंध संग्रह।
कविता
प्रियतम
एक दिन विष्णु के पास गए नारदजी,
पूछा, ‘मृत्युलोक में वह कौन है पुण्यश्लोक
भक्त तुम्हारा प्रधान’?
विष्णुजी ने कहा-
‘एक सज्जन किसान है, प्राणों से प्रियतम।’
नारद ने कहा, ‘मैं उसकी परीक्षा लूँगा।’
हँसे विष्णु सुनकर यह कहा कि ‘ले सकते हो।’
नारदजी चल दिए, पहुँचे भक्त के यहाँ,
देखा, हल जोत कर आया वह दुपहर को;
दरवाजे पहुँचकर रामजी का नाम लिया
स्नान- भोजन करके, फिर चला गया काम पर।
शाम को आया दरवाजे, फिर नाम लिया,
प्रात: काल चलते समय एक बार फिर उसने
मधुर नाम स्मरण किया।
‘बस केवल तीन बार’ नारद चकरा गए।
दिवा – रात्रि जपते हैं नाम ऋषि-मुनि लोग
किन्तु भगवान को किसान ही यह याद आया!
गए वे विष्णुलोक, बोले भगवान् से,
‘देखो किसान को,
दिन भर में तीन बार नाम उसने लिया है।’
बोले विष्णु ‘नारदजी’ !
आवश्यक दूसरा काम एक आया है,
तुम्हें छोड़कर कोई और नहीं कर सकता।
साधारण विषय यह, बाद को विवाद होगा,
तब तक यह आवश्यक कार्य पूरा कीजिये,
तैल- पूर्ण पात्र यह लेकर,
प्रदक्षिणा कर आइए भूमण्डल की
ध्यान रहे सविशेष,
एक बूँद भी इससे तेल न गिरने पाए।’
लेकर चले नारदजी, आज्ञा पर धृतलक्ष्य।
एक बूँद तेल इस पात्र से गिरे नहीं।
योगिराज जल्द ही
विश्व पर्यटन करके लौटे बैकुंठ को।
तेल एक बूँद भी उस पात्र से गिरा नहीं।
उल्लास मन में भरा था यह सोचकर,
तेल का रहस्य एक अवगत होगा नया।
नारद को देखकर विष्णु भगवान् ने
बैठाया स्नेह से कहा,
‘बतलाओ पात्र लेकर जाते समय कितनी बार
नाम इष्ट का लिया?’
‘एक बार भी नहीं,
शंकित हृदय से कहा नारद ने विष्णु से,
‘काम तुम्हारा ही था,
ध्यान उसी से लगा, नाम फिर क्या लेता और’?
विष्णु ने कहा, ‘नारद’ !
उस किसान का भी काम मेरा दिया हुआ है,
उत्तरदायित्व कई लदे हैं एक साथ,
सबको निभाता और काम करता हुआ,
नाम भी वह लेता है, इसी से है प्रियतम।
नारद लज्जित हुए, कहा, ‘यह सत्य है।’
शब्दार्थ
मृत्युलोक – पृथ्वी, संसार।, पुण्यश्लोक – पवित्र यश या कीर्त्तिवाला।, प्राणों से प्रियतम – जीवन से भी प्यारा।, स्मरण – याद।, चकराना – हैरान होना, चकित होना।, दिवा-रात्रि – दिन-रात।, सविशेष – आवश्यक, जरूरी।, तैलपूर्ण – तेल से भरा।, प्रदक्षिणा – चक्कर लगाना।, धृतलक्ष्य – लक्ष्य में लगा।, पर्यटन – यात्रा।, बैकुंठ – स्वर्ग।, उल्लास- हर्ष।, अवगत – मालूम होना।, इष्ट- अभिलाषित, वांछित।, उत्तरदायित्व – जिम्मेदारी।, निभाना – पूरा करना।, लज्जित – शर्मिन्दा।
भाव – बोध
भगवान विष्णु किसान को अपना सबसे बड़ा भक्त मानते हैं। नारदजी को यह बात अच्छी नहीं लगती और वे नम्रतापूर्वक उसका विरोध करते हैं। भगवान् नारद जी की परीक्षा लेते हैं जिसमें वे सफल नहीं हो पाते। अन्त में नारदजी अपनी हार स्वीकार कर लेते हैं। निराला जी प्रस्तुत कविता के जरिए यह संदेश देना चाहते हैं कि कर्म ही ईश्वर है। इसलिए हर एक व्यक्ति को कर्म करना चाहिए। कर्म से निवृत्त रहकर केवल भगवान का नाम लेने से कोई आगे नहीं बढ़ सकता या ईश्वरीय सान्निध्य प्राप्त नहीं कर सकता। कर्म करते हुए तथा सारी जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए भी भगवान का नाम नहीं भूलना चाहिए।
1. इन प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए।
(क) भगवान विष्णु किसे और क्यों अपना श्रेष्ठ भक्त मानते हैं?
उत्तर – भगवान विष्णु पृथ्वीलोक के एक किसान को अपना श्रेष्ठ भक्त मानते थे। ऐसा इसलिए क्योंकि वह किसान अपनी घरेलू जिम्मेदारियों को पूरा करता था। कृषि कर्म में लीन रहता था। साथ ही साथ पूरी सात्विकता से दिन में तीन बार प्रभु का नाम लिया करता था।
(ख) नारदजी ने विष्णु से क्या सवाल किया और उसके उत्तर में विष्णु ने नारदजी को क्या करने को कहा?
उत्तर – नारद जी ने विष्णु से यह सवाल किया कि आपका सबसे बड़ा भक्त कौन है। मनवांछित उत्तर न मिलने पर नारद जी को बुरा लगा। इस पर विष्णु जी ने नारदजी जी को एक तैलपूर्ण पात्र लेकर पूरे भूमंडल की परिक्रमा लगाकर आने को कहा।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए।
(क) नारदजी ने किससे सवाल किया?
उत्तर – नारदजी ने विष्णु जी से सवाल किया।
(ख) विष्णुजी ने नारद को क्या उत्तर दिया?
उत्तर – विष्णुजी ने नारद को उत्तर दिया कि पृथ्वीलोक के एक सज्जन किसान उनका सबसे बड़ा भक्त है।
(ग) नारद ने किसकी परीक्षा लेने की बात कही?
उत्तर – नारद ने विष्णु जी के श्रेष्ठ भक्त किसान की परीक्षा लेने की बात कही।
(घ) किसान ने कब-कब भगवान का नाम स्मरण किया?
उत्तर – किसान ने प्रात:काल, दोपहर और शाम के समय भगवान के नाम का स्मरण किया।
(ङ) नारदजी किस बात से चकरा गए?
उत्तर – किसान ने पूरे दिन में केवल तीन बार भगवान के नाम का स्मरण किया और वह भगवान का श्रेष्ठ भक्त बन चुका है। इस बात से नारद जी चकरा गए।
(च) तैलपूर्ण पात्र लेकर नारदजी कहाँ गए?
उत्तर – तैलपूर्ण पात्र लेकर नारदजी पूरे भूमंडल की परिक्रमा करने के लिए गए।
(छ) विष्णु ने नारदजी को किस बात पर ध्यान देने को कहा?
उत्तर – विष्णु ने नारदजी को इस बात पर ध्यान देने को कहा कि तैलपूर्ण पात्र में से एक बूँद भी तेल नीचे न गिरने पाए।
(ज) नारदजी को अपने पास बुलाकर विष्णु ने क्या कहा?
उत्तर – नारदजी को अपने पास बुलाकर विष्णु जी ने यह कहा कि तैलपात्र लेकर परिक्रमा करने के दौरान आपने मेरा नाम कितनी बार लिया।
(झ) विश्व – पर्यटन के दौरान नारदजी ने कितनी बार विष्णु का नाम लिया था?
उत्तर – विश्व – पर्यटन के दौरान नारदजी ने एक बार भी विष्णु का नाम नहीं लिया था।
(ञ) शंकित हृदय से नारद ने विष्णु से क्या कहा?
उत्तर – शंकित हृदय से नारद ने विष्णु से यह कहा कि मैं तो आपका ही काम कर रहा था। मेरा सारा ध्यान तो तैलपूर्ण पात्र को सजगता से लेकर विश्व – पर्यटन करने में लगा हुआ था। इसलिए मैं आपका नाम नहीं ले सका।
(ट) विष्णु ने किसान को क्यों प्रियतम कहा?
उत्तर – विष्णु ने किसान को प्रियतम कहा है क्योंकि वह किसान विष्णु जी को अपने सभी भक्तों से अधिक प्रिय हैं।
(ठ) नारदजी ने विष्णु की बात से लज्जित होकर क्या कहा?
उत्तर – नारदजी ने विष्णु की बात से लज्जित होकर यह स्वीकार करते हुए कहा कि आपका कहना पूर्णत: सही है। किसान ही आपका सबसे बड़ा भक्त है।
3. सही उत्तर चुनिए।
(क) किसान ने एक दिन में कितनी बार भगवान का नाम स्मरण किया?
(i) चार
(ii) तीन
(iii) एक
उत्तर – (ii) तीन
(ख) विश्व पर्यटन करके नारदजी कहाँ लौटे?
(i) मर्त्यलोक
(ii) विष्णुलोक
(iii) पाताल लोक
उत्तर – (ii) विष्णुलोक
(ग) योगिराज कौन हैं?
(i) किसान
(ii) नारद
(iii) विष्णु
उत्तर – (iii) विष्णु
भाषा – ज्ञान
1. नीचे लिखे शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए।
मृत्युलोक – प्रीति, वसुंधरा
दिवा – दिवस, वासर
रात्रि – रजनी, निशा
प्रातः – सुबह, उषा
बैकुंठ – स्वर्ग, जन्नत
2. नीचे लिखे शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।
प्रधान – गौण
रात्रि – दिवस
प्रातःकाल – साँय काल
आवश्यक – अनावश्यक
साधारण – असाधारण, विशेष
उल्लास – शोक
3. विशेष रूप से ध्यान दीजिए कि हिन्दी में केवल दो लिंग होते हैं। क्लीव लिंग या नपुंसक लिंग होता ही नहीं। इसलिए निम्नलिखित शब्दों में से कौन – सा शब्द पुंलिंग का और कौन-सा शब्द स्त्रीलिंग का है, बताइए।
भक्त – पुल्लिंग
किसान – पुल्लिंग
दरवाजा – पुल्लिंग
विवाद – पुल्लिंग
आज्ञा – स्त्रीलिंग
स्मरण – पुल्लिंग
परीक्षा – स्त्रीलिंग
नाम – पुल्लिंग
4. नारद ने कहा, ‘मैं उसकी परीक्षा लूँगा’। इस वाक्य में ‘लूँगा’ क्रिया है, जिससे भविष्यत् काल की सूचना मिलती है। निम्न वाक्यों का काल निर्णय कीजिए।
(क) किसान शाम को घर लौटा।
उत्तर – भूतकाल
(ख) कुत्ता भौंक रहा है।
उत्तर – वर्तमान काल
(ग) मेरे पिताजी कल दिल्ली जाएँगे।
उत्तर – भविष्यत् काल
(घ) यहाँ का दृश्य दर्शक को आकृष्ट करता है।
उत्तर – वर्तमान काल
(ङ) बुखार के कारण कल मैं स्कूल नहीं आ पाया।
उत्तर – भूतकाल
5. इन्हें क्या कहते हैं लिखिए।
(क) जो खेती का काम करता है, वह है किसान।
उत्तर – किसान
(ख) जो कपड़ा बुनने का काम करता है, वह है
उत्तर – जुलाहा, बुनकर
(ग) जो रोगियों का इलाज करता है, वह है
उत्तर – चिकित्सक
(घ) जो हमारे पास चिट्ठियाँ पहुँचाता है, वह है
उत्तर – डाकिया
गृह कार्य
1. अपने प्रिय दोस्त के बारे में वर्णन कीजिए तथा यह बताइए कि वह क्यों प्रिय है?
उत्तर – छात्र स्वयं करें।