कवि परिचय :
रहीम का पूरा नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था। उनका जन्म सन् 1556 के लगभग लाहौर में हुआ। उनके पिता मुगल बादशाह अकबर के अभिभावक तथा सेनापति बैरम खाँ थे। रहीम मुगलों के महल में पले-बढ़े। वे बड़े प्रतिभाशाली थे। वे अरबी, तुर्की, फारसी और संस्कृत के प्रकांड पंडित थे, साथ ही हिंदी काव्य- कविता के बड़े मर्मज्ञ थे। इसलिए अकबर के दरबार के मशहूर नवरत्नों में रहीम गिने जाते थे। वे जन्म से मुसलमान होते हुए भी हिंदुओं के प्रति प्रेम-भाव रखते थे।
रहीम तुलसीदास, सूरदास, तानसेन और केशवदास के समकालीन थे। मार्मिकता और कवि- हृदय की सच्ची संवेदना रहीम के साहित्य की विशेषता है। मुसलमान होते हुए भी उन्होंने अपने आपको कृष्ण-भक्ति के गहरे रंग में रंगवा लिया था। अनुभूतियों के आधार पर उन्होंने अपनी रचनाओं में नीति के साथ-साथ भक्ति तथा प्रेम का सरस वर्णन किया है। उन्होंने अपने दोहों में मानव तथा समाज के कल्याण के साथ-साथ हिन्दू-मुस्लिम की एकता पर भी बल दिया है।
रहीम की रचनाएँ हैं- रहीम सतसई, श्रृंगार सतसई, रास पंचाध्यायी, रहीम रत्नावली, बरवै नायिका भेद-वर्णन आदि।
उनकी काव्य-रचना में प्रयुक्त छन्द हैं- दोहा, कवित्त, सवैया, सोरठा तथा बरवै।
रहीम की भाषा ब्रज और अवधी है।
दोहे
-1-
“जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग।
चंदन विष व्यापत नहीं, लपटे रहत भुजंग॥”
शब्दार्थ
उत्तम श्रेष्ठ।, प्रकृति गुण, स्वभाव।, का – क्या।, करि सकत – कर सकता है।, कुसंग – बुरी संगति।, विष – जहर।, व्यापत – फैलना।, लपटे – लिपटना।, भुजंग – साँप।
व्याख्या
रहीम कहते हैं कि जो व्यक्ति उत्तम आचरण और गुणों का होता है, उस पर कुसंग यानी बुरी संगति का प्रभाव नहीं पड़ता। अर्थात् सज्जन व्यक्ति बुरे लोगों के निकट होने पर भी उनकी बुराई को नहीं अपनाता। जैसे – चंदन – पेड़ पर जहरीले साँप लिपटे रहने पर भी चंदन पर उसके जहर का कोई असर नहीं होता। यहाँ चंदन – पेड़ के साथ उत्तम गुणवाले व्यक्ति तथा साँप के साथ कुसंग की तुलना की गई है।
-2-
“कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपत्ति कसौटि जे कसे, तेइ साँचे मीत॥”
शब्दार्थ
संपति – धन।, सगे – साथी।, बहु रीत – बहु भाँति।, बिपत्ति – विपत्ति, समस्या।, कसौटि – परख या जाँच।, कसे – परखे।, तेई – वही।, साँचे – सच्चा।, मीत- मित्र।
व्याख्या
रहीम का कहना है कि इस संसार में धन-दौलत के साथी अनेक होते हैं। अर्थात् किसी इन्सान के पास पैसा होने पर उससे मित्रता स्थापित करने लोग विविध ढंग से आ टपकते हैं। परंतु उनमें से कौन सच्चा मित्र है और कौन नहीं, इस बात का पता विपत्ति के समय चलता है। अर्थात् सच्चा मित्र उसे कहा जाएगा जो अपने मित्र को उसके दुर्दिन में भी न छोड़े, अपितु उसकी सहायता करे।
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए।
(क) उत्तम प्रकृतिवाले लोगों के प्रति रहीम ने क्या कहा है?
उत्तर – उत्तम प्रकृतिवाले लोगों के बारे में रहीम ने कहा है कि वे चंदन के पेड़ के समान होते हैं जिनपर साँपों के लिपटे रहने पर भी विष नहीं फैलता। अर्थात् अच्छे लोगों पर कुसंग या बुरे संगति का प्रभाव नहीं पड़ता है।
(ख) सच्चे मित्र का लक्षण क्या है – पठित दोहे के आधर पर समझाइए।
उत्तर – सच्चे मित्र वे होते हैं जो विपदा के समय हमारा साथ नहीं छोड़ते बल्कि हमारे साथ खड़े रहते हैं और हर संभव प्रयास करके हमें मुश्किल परिस्थिति से निकालने की कोशिश करते हैं।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में दीजिए।
(क) किस पर कुसंग का प्रभाव नहीं होता?
उत्तर – अच्छे लोगों पर पर कुसंग का प्रभाव नहीं होता।
(ख) चंदन वृक्ष पर कौन लिपटा रहता?
उत्तर – चंदन वृक्ष पर साँप लिपटा रहता है।
(ग) किस पर साँप के विष का प्रभाव नहीं होता?
उत्तर – चंदन पर साँप के विष का प्रभाव नहीं होता है।
(घ) साँप के साथ किसकी तुलना की गयी है?
उत्तर – साँप के साथ कुसंगति की तुलना की गई है।
(ङ) सच्चा मित्र कौन होता है?
उत्तर – जो विपत्ति के समय हमारा साथ न छोड़े वही सच्चा मित्रा होता है।
3. अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(क) चंदन विष व्यापत नहीं, लपटे रहत भुजंग।
उत्तर – रहीम जी का यह मानना है कि जो लोग मूल रूप से अच्छे होते हैं उनपर बुराई या बुरी संगति का कोई असर नहीं पड़ता है। अपनी बातों को पुष्ट करने के लिए रहीम कहते हैं कि चंदन के पेड़ पर विषधर लिपटे रहते हैं पर फिर भी चंदन की लकड़ी में विष नहीं फैलता।
(ख) विपत्ति कसौटि जे कसे, तेइ साँचे मीत।
उत्तर – रहीम का कहना है कि असली मित्र या बंधु उसे ही कहा जाएगा जो हमारी विपत्ति के समय हमारा साथ न छोड़ें वरन् हमारी समस्या को दूर करने के लिए चेष्टित रहें।
4. पंक्तियाँ पूरी कीजिए।
(क) जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग।
(ख) बिपत्ति कसौटि जे कसे, तेइ साँचे मीत।
भाषा – ज्ञान
1. निम्नलिखित शब्दों के विपरीत शब्द लिखिए।
उत्तम – अधम
कुसंग – सत्संग
मित्र – शत्रु
विष – अमृत
2. नीचे लिखे अशुद्ध शब्दों को शुद्ध कीजिए।
कसौटि – कसौटी
मीत्र – मित्र
संपति – संपत्ति
भूजंग – भुजंग
उतम – उत्तम
3. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए।
विष – हलाहल, गरल
भुजंग – साँप, चक्षुश्रवा
उत्तम – श्रेष्ठ, बेहतरीन
विपत्ति – समस्या, संकट
मित्र – सखा, दोस्त
4. नीचे लिखे शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
कुसंग – कुसंग से व्यक्तित्व मलिन हो जाता है।
कसौटी – समस्याएँ जीवन की कसौटी है।
चंदन – चंदन का टीका लगाना अच्छी बात है।
संपत्ति – ज्ञान ही असली संपत्ति है।
मित्र – मेरे मित्र बहुत अच्छे हैं।