कवि परिचय :
मैथिली शरण गुप्त
मैथिली शरण गुप्त का जन्म सन् 1886 ई. में झाँसी के चिरगाँव में हुआ था। उनके पिता सेठ रामचरणजी वैष्णव भक्त एवं अच्छे कवि थे। इसलिए राम-भक्ति गुप्तजी को पैतृक देन के रूप में मिली। बचपन से ही वे काव्य-रचना करने लगे। वे द्विवेदी युग के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। वे गांधीवादी और भक्त कवि हैं। उनकी रचनाओं में राष्ट्रीय भावनाओं की अभिव्यक्ति मिलती है। अपनी रचनाओं के जरिये उन्होंने जनता को अहिंसा, सत्याग्रह, राष्ट्र-प्रेम तथा मानवतावाद का संदेश दिया। इसलिए उन्हें ‘राष्ट्रकवि’ सम्मान से सम्मानित किया गया आगरा विश्वविद्यालय तथा काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने उन्हें डी. लिट. की मानद उपाधि प्रदान की। वे भारत के राष्ट्रपति के द्वारा मनोनीत राज्यसभा सांसद भी रहे। उनका निधन सन् 1964 ई. में हुआ।
उनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ ये हैं : जयद्रथ वध, भारत-भारती, पंचवटी, साकेत, यशोधरा, द्वापर, जयभारत, विष्णुप्रिया आदि।
राहुल- जननी
(1)
चुप रह, चुप रह, हाय अभागे !
रोता है अब, किसके आगे?
तुझे देख पाता वे रोता,
मुझे छोड़ जाते क्यों सोता?
अब क्या होगा? तब कुछ होता,
सोकर हम खोकर ही जागे !
चुप रह, चुप रह, हाय अभागे !
बेटा, मैं तो हूँ रोने को;
तेरे सारे मल धोने को
हँस तू, है सब कुछ होने को,
भाग्य आयेंगे फिर भी भागे,
चुप रह, चुप रह, हाय अभागे !
तुझको क्षीर पिलाकर लूँगी,
नयन-नीर ही उनको दूँगी,
पर क्या पक्षपातिनी हूँगी?
मैंने अपने सब रस त्यागे
चुप रह, चुप रह, हाय अभागे।
शब्दार्थ
अभागे – भाग्यहीन।, मल धोने – दुख मिटाने।, क्षीर – दूध।, नयन-नीर – आँसू (दुख)।, पक्षपातिनी – किसी एक का समर्थन करनेवाली।, रस- सुख – आराम।
(2)
चेरी भी वह आज कहाँ, कल थी जो रानी;
दानी प्रभु ने दिया उसे क्यों मन यह मानी?
अबला – जीवन, हाय ! तुम्हारी यही कहानी-
आँचल में है दूध और आँखों में पानी !
मेरा शिशु-संसार वह
दूध पिये, परिपुष्ट हो।
पानी के ही पात्र तुम
प्रभो, रुष्ट या तुष्ट हो।
शब्दार्थ
चेरी – नौकरानी, दासी।, अबला – कमज़ोर या दुर्बल स्त्री।, परिपुष्ट हृष्टपुष्ट।, रुष्ट – नाराज,कुपित।, तुष्ट – खुश, सन्तुष्ट।
भाव-बोध :
ये दो पद ‘यशोधरा’ खंडकाव्य के ‘राहुल- जननी’ शीर्षक से लिए गए हैं। इनमें गुप्तजी ने यशोधरा के माता रूप और पत्नीरूप का उद्घाटन किया है।
नेपाल के राजकुमार गौतम मानव-जीवन के शाश्वत सत्य की खोज में क्षणभंगुर संसार को त्याग देते हैं। पत्नी यशोधरा और पुत्र राहुल को बिना जगाए और बिना कुछ बताए रात को ही निकल जाते हैं। सुबह यशोधरा को यह पता चलता है। वह बहुत दुखी होती है। कुछ देर बाद राहुल जाग पड़ता है और रोने लगता है। यशोधरा उसे चुप कराती हुई कहती है- ‘रे अभागे ! तू अब क्यों रो रहा है? चुप हो जा। उनके जाते वक्त अगर तू रोता तो वे मुझे सोती छोड़कर क्यों चले जाते? हम दोनों ने तो सोकर उन्हें खो दिया। अब रोने से क्या फायदा? राहुल को और समझाती हुई यशोधरा कहती है ‘बेटे ! मेरे भाग्य में रोना तो लिखा है। मैं रोऊँगी। तेरे सारे कष्ट मिटाऊँगी। तू क्यों रोता है? तू हँसा कर। हमारे जीवन में जो कुछ आएगा, उसे सहना ही पड़ेगा। हमारे सुख के दिन अवश्य लौटेंगे। अब मैं तुझे अपना दूध पिलाकर और सारी स्नेह-ममता देकर पालूँगी। तेरे पिता के लिए आँसू बहाऊँगी। तुम दोनों के प्रति मुझे समान न्याय करना होगा। इसलिए पतिव्रता नारी बनकर मैंने पति की तरह सारे सुख भोग त्याग दिए हैं।
दूसरे पद में गुप्तजी ने पति वियोगिनी यशोधरा की मानसिक दशा का चित्रण किया है। यशोधरा के जरिये भारतीय नारी – जीवन की सच्चाई उपस्थापित की है। यशोधरा अपने अतीत और वर्तमान की तुलना करती है और कहती है कि जो कल इस राजमहल की रानी बनी हुई थी, वह आज दासी भी कहाँ है? अर्थात् यशोधरा अपने आपको दासी से भी पराधीन मानती है। नारी जीवन की यही वास्तविकता है कि आँखों में आँसू भरकर भी दूसरों के लिए कर्त्तव्य का सम्पादन करती चले। अंत में यशोधरा कहती है- ‘हे मेरे शिशु संसार राहुल ! तू मेरा दूध पीकर पलता चल और हे मेरे प्रभु (पतिदेव) ! तुम तो मेरे आँसू के पात्र हो ! इसे तुम स्वीकार करो।’
1. इन प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए :
(क) राहुल को चुप कराने के लिए यशोधरा क्या कहती है?
उत्तर- राहुल को चुप कराने के लिए यशोधरा कहती है कि रोना तो मेरे भाग्य में लिखा है, तू क्यों रो रहा है। मैं तेरे सारे कष्ट मिटाऊँगी। तू चुप हो जा और खुशी से रह, हमारे जीवन में फिर से अच्छे दिन आएँगे।
(ख) अबला जीवन की कहानी कैसी है?
उत्तर- अबला जीवन की कहानी बहुत दुखभरी है। अबला की आँखों में आँसू के रूप में उसके दुख देखे जा सकते हैं और उसके आँचल में स्तनपान करता शिशु उसकी जिम्मेदारियों का बोध कराता है। अर्थात् अबला का जीवन दुख और जिम्मेदारियों से भरा हुआ है।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए :
(क) यशोधरा किसे अभागा कहती है?
उत्तर- यशोधरा अपने पुत्र राहुल को अभागा कहती है।
(ख) ‘मैं तो हूँ रोने को’ यहाँ ‘मैं’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
उत्तर- ‘मैं तो हूँ रोने को’ यहाँ ‘मैं’ यशोधरा के लिए प्रयुक्त हुआ है।
(ग) यशोधरा क्या धोने की बात करती है?
उत्तर- यशोधरा मल धोने अर्थात् अपने पुत्र के दुख को दूर करने की बात करती है।
(घ) ‘नयन – नीर’ का अर्थ क्या है?
उत्तर- ‘नयन – नीर’ का अर्थ है ‘आँखों के आँसू’।
(ङ) ‘दानी-प्रभु’ किसके लिए कहा गया है?
उत्तर- ईश्वर के लिए ‘दानी-प्रभु’ शब्द का प्रयोग किया गया है।
(च) यशोधरा को कौन छोड़कर चले जाते हैं?
उत्तर- यशोधरा को उनके पतिदेव (सिद्धार्थ) छोड़कर चले जाते हैं।
(छ) ‘नयन-नीर’ ही उनको दूँगी’ – यहाँ यशोधरा नयन-नीर किसे देने की बात करती है?
उत्तर- यशोधरा नयन-नीर अर्थात् आँसू अपने पति (सिद्धार्थ) को देने की बात कर रही है।
3. खाली स्थान भरिए :
(क) अबला जीवन, हाय ! तुम्हारी यही कहानी।
(ख) सोकर हम खोकर ही जागे।
(ग) चेरी भी वह आज कहाँ, कल थी जो रानी।
(घ) मेरा शिशु-संसार वह, दूध पिये, परिपुष्ट हो।
भाषा- ज्ञान
1. विपरीत शब्द लिखिए:
रोता – हँसता
सोता – जागता
खोकर – पाकर
अभागा – भाग्यशाली
अबला – पुरुष
रुष्ट – तुष्ट
2. ‘दानी प्रभु’ में ‘प्रभु’ संज्ञा है और ‘दानी’ विशेषण। इस प्रकार निम्न
वाक्यों में से संज्ञा और विशेषण छाँटिए :
(क) काली गाय का दूध मीठा होता है।
उत्तर – विशेषण – काली, मीठा
विशेष्य – गाय, दूध
(ख) बड़े बाजार में भीड़ लगी रहती है
उत्तर – विशेषण – बड़े
विशेष्य – बाजार
(ग) पिताजी ने मुझे दो उपहार दिए।
उत्तर – विशेषण – दो
विशेष्य – उपहार
(घ) ऊँचे पेड़ पर दो बंदर बैठे हैं।
उत्तर – विशेषण – ऊँचे, दो
विशेष्य – पेड़, बंदर
3. प्रस्तुत पाठ में से तुकान्त शब्दों को छाँटकर लिखिए :
जैसे : अभागे – आगे।
4. इन शब्दों से वाक्य बनाइए :
भाग्य – भाग्य भी उद्यम करने वाले का ही साथ देती है।
नयन – प्राकृतिक सुंदरता नयन अभिराम होता है।
पानी – हमें साफ पानी पीना चाहिए।
प्रभु – हमें प्रभु को शीश झुकाना चाहिए।
संसार – यह संसार जड़-चेतन से मिलकर बना है।
गृह कार्य
1. आप की माँ रोते बच्चे को कैसे चुप कराती हैं? – लिखिए।
उत्तर – छात्र स्वयं करें।
2. गुप्त जी की दूसरी कविताओं को पढ़िए |
उत्तर – छात्र स्वयं करें।