कवि परिचय :
गोपालदास ‘नीरज’ का जन्म पुरावली, जिला इटावा (उत्तर प्रदेश) में सन् 1926 ई. में हुआ। बचपन में ही उनके पिता चल बसे। इसलिए ‘नीरज’ ने अपनी चेष्टा से पढ़ा। एम.ए. किया। फिर नौकरी की। अपने को बनाया। ‘संघर्ष’, ‘विभावरी’, ‘नीरज की पाती’, ‘प्राणगीत’, ‘दो गीत’,
‘मुक्तावली’, ‘दर्द दिया है’, ‘बादर बरस गयो’ आदि ‘नीरज’ के लोकप्रिय काव्य-संग्रह हैं। ‘नीरज’ के गीतों में जीवन के सहज अनुभव अभिव्यक्त हुए हैं। इसलिए वे सब के मन को छू पाते हैं। गीत गाए जाते हैं तो और भी सरस होते हैं।
साथी ! दुख से घबराता है?
साथी ! दुख से घबराता है?
साथी ! दुख से घबराता है?
दुख ही कठिन मुक्ति का बंधन,
दुख ही प्रबल परीक्षा का क्षण,
दुख से हार गया जो मानव, वह क्या मानव कहलाता है?
साथी ! दुख से घबराता है?
जीवन के लम्बे पथ पर जब
सुख दुख चलते साथ-साथ तब
सुख पीछे रह जाया करता दुख ही मंजिल तक जाता है।
साथी ! दुख से घबराता है?
दुख जीवन में करता हलचल,
वह मन की दुर्बलता केवल,
दुख को यदि मान न तू तो दुख ही फिर सुख बन जाता है।
साथी ! दुख से घबराता
पथ में शूल बिछे तो क्या चल
पथ में आग जली तो क्या जल
जलती ज्वाला में जलकर ही लोहा लाल निकल आता है।
साथी ! दु:ख से घबराता है?
धन्यवाद दो उसको जिसने
दिए तुझे दुख के तो सपने,
एक समय है जब सुख ही क्या ! दुख भी साथ न दे पाता है।
साथी ! दुख से घबराता है?
शब्दार्थ –
मुक्ति – आज़ादी, स्वतंत्रता। प्रबल – बड़ा भारी, प्रचंड। क्षण – घड़ी, पल, वक्त। मंजिल – लक्ष्य। हलचल – हिलने-डोलने की क्रिया या भाव। दुर्बलता – कमज़ोरी। शूल – काँटा। ज्वाला – अग्नि शिखा, लौ, लपट।
भाव-बोध :
इस कविता में कवि अपने साथी को दुख से न डरने की सलाह देता है। न डरने से दुख भी सुख बन जाता है। मानव-जीवन में दुख ज्यादा होता है। सुख बहुत कम। तो फिर दुख से डरने से, रोने- चीखने से दुख दूर नहीं होता। दुख से लड़ना सही रास्ताहै। दु:ख के बाद सुख आएगा। ज़रूर आएगा, क्योंकि दुख सर्वदा नहीं रह सकता। दुख भोगते हुए कोई मर जाय तो भी कोई डर नहीं। डरने से वह दुख से बच तो नहीं सकता न! जीवन में दुख होने के कारण हम सब कर्मतत्पर बने रहते हैं। दुख पर विजय प्राप्त करने की चेष्टा करते हैं। जिस प्रकार जलती आग में जलने के कारण लोहे में कालिमा की जगह लालिमा आ जाती है, उसी प्रकार मानव जीवन में दुख रूपी संघर्ष के कारण व्यक्तित्व का उत्कर्ष प्रतिपादित होता है। इसलिए कवि ‘नीरज’ का यह संदेश है कि दुख को बुरी चीज़ न मानकर मुक्ति का मार्ग मानना चाहिए।
1. इन प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए :
(क) कवि दुख से न घबराने को क्यों कहते हैं?
उत्तर – कवि काफी अनुभवी व्यक्ति हैं। उन्हें यह पता है कि मानव जीवन दुखों से भरा है। वे हमें दुख से न घबराने का संदेश दे रहे हैं क्योंकि दुख से डरने से या रोने-चीखने से दुख दूर नहीं होता है। दुख से संघर्ष करते रहने से ही यही दुख एक दिन सुख में बदल जाएगा।
(ख) इस कविता का संदेश क्या है समझाइए।
उत्तर – इस कविता का मुख्य संदेश मनुष्य को इस ध्रुव सत्य से अवगत कराना है कि दुख जीवन का अनिवार्य अंग है और इस दुख से मनुष्य को घबराना नहीं चाहिए। दुख आने पर रोने-चीखने से दुख न ही खत्म होगा और न ही कम। इसलिए हमें चाहिए कि दुख की स्थिति में भी साहस से काम लें।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए :
(क) कवि ने मुक्ति का बंधन किसे माना है?
उत्तर – कवि ने दुख को मुक्ति का बंधन माना है।
(ख) जीवन के लम्बे पथ पर कौन साथ-साथ चलते हैं?
उत्तर – जीवन के लम्बे पथ पर सुख-दुख साथ-साथ चलते हैं
(ग) जीवन की मंजिल तक कौन जाता है?
उत्तर – जीवन की मंजिल तक दुख साथ जाता है।
(घ) जीवन में हलचल कौन लाता है?
उत्तर – दुख जीवन में हलचल लाता है।
(ङ) जलती ज्वाला में जलकर क्या लाल बन निकलता है?
उत्तर – जलती ज्वाला में जलकर लोहा लाल होकर निकलता है।
(च) कवि ने किसे धन्यवाद देने को कहा है?
उत्तर – जो हमें दुख के सपने देता है कवि ने उसे धन्यवाद देने को कहा है।
(छ) दुख कब सुख बन जाता है?
उत्तर – दुख को दुख न मानकर उससे लड़ते रहने से ही दुख सुख बन जाता है।
3. पंक्तियाँ पूरा कीजिए :
(क) जीवन के लम्बे पथ पर जब
सुख दुख चलते साथ-साथ तब
(ख) दुख जीवन में करता हलचल
वह मन की दुर्बलता केवल।
(ग) जलती ज्वाला में जलकर ही
लोहा लाल निकल आता है।
(घ) एक समय है जब सुख ही क्या !
दुख भी साथ न दे पाता है।
4. सही अर्थ चुनिए :
(क) प्रबल परीक्षा का क्षण क्या है?
(i) सुख
(ii) दुख
(iii) आनंद
उत्तर – (ii) दुख
(ख) किसमें जलकर ही लोहा लाल निकल आता है?
(i) दुख में
(ii) सुख में
(iii) जलती ज्वाला में
उत्तर – (iii) जलती ज्वाला में
भाषा – ज्ञान
1. विपरीत अर्थवाले शब्द लिखिए :
कठिन : सरल
बंधन : मुक्ति
दुर्बलता : सबलता
दुख : सुख
मुक्ति : बंधन
हार : जीत
2. इन शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए :
परीक्षा – छात्रों को परीक्षा देनी पड़ती है।
समय – समय सबसे मूल्यवान है।
मंजिल – हमें अपनी मंजिल को पाने के लिए उद्यम करना चाहिए।
बंधन – भाई की कलाई पर बहनें रक्षा बंधन बाँधती हैं।
3. लिंग बताइए :
लोहा – पुल्लिंग
आग – पुल्लिंग
हार – स्त्रीलिंग
ज्वाला – स्त्रीलिंग
पथ – पुल्लिंग
दुख – पुल्लिंग
4. बहुवचन रूप लिखिए:
एक : अनेक
परीक्षा : परीक्षाएँ
सपना : सपने
मंजिल : मंजिलें
5. ‘जीवन के लम्बे पथ पर जब’… में ‘पथ’ संज्ञा है और ‘लम्बे’ विशेषण है जिससे पथ की लम्बाई सूचित हुई है। निम्न वाक्यों में विशेषणों को रेखांकित कीजिए :
(क) कोयल की आवाज़ सुरीली होती है।
उत्तर – विशेषण – सुरीली
संज्ञा – आवाज़
(ख) मुझे पाँच रुपये चाहिए।
उत्तर – विशेषण – पाँच
संज्ञा – रुपये
(ग) हमें गरीब जनता की सेवा करनी चाहिए।
उत्तर – विशेषण – गरीब
संज्ञा – जनता
(घ) रमेश एक मेधावी छात्र है।
उत्तर – विशेषण – मेधावी
संज्ञा – छात्र
गृहकार्य :
1. अपने जीवन में आये दुख के क्षण का वर्णन कीजिए।
उत्तर – छात्र स्वयं करें।
2. इस कविता को कंठस्थ कीजिए।
उत्तर – छात्र स्वयं करें।