कवि परिचय :
सूरदास भक्ति-काल के सर्वश्रेष्ठ कृष्ण-भक्त कवि हैं। उनका जन्म सन् 1478 में दिल्ली के निकट सीही नामक गाँव के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ। वे अंधे थे, पर लगता है – वे जन्म से अंधे नहीं थे। मथुरा और आगरा के बीच यमुना नदी के तट पर स्थित गऊघाट पर उन्होंने संगीत, काव्य और शास्त्र का अभ्यास किया और विनय के भाव से पदों की रचना की। आगे चलकर वे वल्लभाचार्य के शिष्य बन गए और ब्रज जाकर गोवर्धन के पास पारसोली नामक जगह पर अपना स्थायी निवास बनाकर पद लिखते रहे।
सूरदास वात्सल्य रस के बड़े भावुक कवि थे। ब्रजभाषा पर उनका पूरा अधिकार था। ‘सूरसागर’ उनकी प्रमुख प्रामाणिक रचना है। इसमें उन्होंने श्रीकृष्ण की वाललीलाओं का वर्णन बहुत सुन्दर ढंग से किया है। कवि ने कृष्ण का पालने पर झूलना, घुटनों के बल पर चलना, चाँद के लिए मचलना, नहाते समय रूठ जाना, मक्खन की चोरी करना, मिट्टी खाना आदि प्रसंगों का बड़ा मनमोहक वर्णन सहज- सुन्दर – सरस ढंग से किया है।
श्रीकृष्ण की बाल लीला के प्रसंग में कवि ने माखन चोरी का सुन्दर चित्र अंकित किया है। गोपियों के मन में यह अभिलाषा है कि बालक कृष्ण उनके घर आएँ, उनकी मटकी में हाथ डालकर माखन की चोरी करें। कृष्ण भी उनकी अभिलाषा पूरी करते हैं। कृष्ण की चोरी पकड़ी जाती है और माता यशोदा तक शिकायत भी पहुँचती है।
पद
“तेरो लाल मेरी माखन खायो।
दुपहर दिवस जानि घर सूनी, ढूँढ़ि ढँढोरि जाय ही आयो।
खोल किवार सून मँदिर में, दूध, दही सब माखन खबायो।
छींकै काढ़ि खाट चढ़ मोहन, कछु खायो कछु लै ढरकायो।
दिन प्रति हानि होत गोरस की, यह ढोटा कौन रंग लायो।
सूरदास कहति ब्रजनारि, पूत अनोखो जायो।”
शब्दार्थ
लाल – पुत्र।, ढूँढि ढँढोरि – खोज – खाजकर।, किवार – किवाड़ या दरवाजा।, मँदिर – घर।, छींका – मटकी, रस्सी या तार आदि का जाल जो छत में या ऊँचे स्थान पर खाने-पीने की चीजें रखने के लिए लटकाया जाता है।, मोहन कृष्ण।, ढरकायों – गिरा दिया।, गोरस – दूध, दही, मठा, छाछ आदि।, ढोटा – पुत्र।, पूत पुत्र।, अनोखा आश्चर्यजनक
व्याख्या
बालक-कृष्ण की दधि-चोरी की लीला का वर्णन है। ब्रजभूमि की एक ग्वालिन माता यशोदा से शिकायत करती है कि तेरे लड़के ने हमारा माखन खा लिया। दोपहर को घर सूना देखकर, खोज – खाजकर तेरा बेटा मेरे घर में घुस गया। उसने सूने घर का किवाड़ खोल दिया और घर में जो कुछ दूध-दही-माखन रखा था, सब के सब साथियों को खिला दिया। खाट पर चढ़कर उसने छींके पर रखे हुए दही को खा लिया और कुछ गिरा दिया। इस प्रकार हर दिन दूध, दही, माखन का नुकसान होता है। पता नहीं, यह लड़का कौन- सा रंग या ढंग है। तुमने तो एक अनोखे लड़के को जन्म दिया है।
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए।
(क) ब्रजनारी माता यशोदा से कौन-सी शिकायतें करती हैं?
उत्तर – ब्रजनारी माता यशोदा से शिकायतें करती हैं कि कृष्ण दोपहर के समय अपने साथियों के साथ उनके घर में घुसकर सारा दूध, दही और मक्खन खा गए और बहुत सारा मक्खन ज़मीन पर गिरा कर बर्बाद भी कर दिया है।
(ख) बालकृष्ण की माखन चोरी का वर्णन कीजिए।
उत्तर – बालकृष्ण को माखन अतिप्रिय है। वह दोपहर के समय अपने साथियों के साथ पड़ोसियों के घर में चोरी-छिपे घुसकर दूध, दही और माखन खा जाया करते थे। माखन खाने के दौरान बालसुलभ प्रकृति के कारण वे कुछ मक्खन ज़मीन पर भी गिरा देते थे।
(ग) ब्रजनारी ने माता यशोदा से यह क्यों कहा कि ‘पूत अनोखा जायो’? इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ब्रजनारी माता यशोदा से यह कहती हैं कि ‘पूत अनोखा जायो’ अर्थात् तुमने एक अनोखे पुत्र को जन्म दिया है क्योंकि उनका पुत्र कृष्ण काफी नटखट है और मक्खन खाने के लिए वह पड़ोसियों के घर में चोरी-छिपे अपने मित्रों के साथ घुसकर सारा मखक्न खा जाया करते थे।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए।
(क) कौन किससे शिकायत करता है?
उत्तर – ब्रजनारी माता यशोदा से बालकृष्ण की शिकायत करती हैं।
(ख) किस पर चढ़कर कृष्ण दही निकालते हैं?
उत्तर – खाट पर चढ़कर कृष्ण दही निकालते हैं।
(ग) ब्रजनारी ने किसे अनोखा कहा है?
उत्तर – ब्रजनारी ने बालकृष्ण को अनोखा कहा है।
(घ) ‘कौन रंग लायो’ का अर्थ क्या है?
उत्तर – ‘कौन रंग लायो’ का अर्थ है ‘क्या रंग-ढंग हैं’।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में दीजिए।
(क) यहाँ लाल किसे कहा गया है?
उत्तर – यहाँ लाल बालकृष्ण को कहा गया है।
(ख) किस समय घर सूना था?
उत्तर – दोपहर के समय घर सूना था।
(ग) प्रतिदिन किसकी हानि होती थी?
उत्तर – प्रतिदिन दूध, दही और मक्खन की हानि होती थी।
(घ) दही कहाँ रखा हुआ था?
उत्तर – दही छींके में रखा हुआ था।
भाषा ज्ञान
1. ‘माखन’ एक संज्ञा – पद है। इस तरह इस पद में जितने संज्ञा पद हैं – उन्हें छाँटकर लिखिए। नीचे कुछ शब्द दिए जा रहे हैं जिनका वह रूप लिखिए जो आप समझते हैं –
याद रखिए- किसी प्राणी, वस्तु या स्थान के नाम, गुण अथवा अवस्था को बतानेवाले शब्द को संज्ञा कहा जाता है
संज्ञा के पांच भेद हैं-
क. व्यक्तिवाचक संज्ञा राम, सीता, महानदी, कटक।
ख. जातिवाचक संज्ञा मनुष्य, गाय, नदी, शहर।
ग. भाववाचक संज्ञा – वीरता, सच्चाई, गरीबी।
घ. समूहवाचक संज्ञा मेला, गुच्छा, परिवार।
ङ. द्रव्यवाचक संज्ञा – सोना, लोहा।
2. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची (समानार्थी) शब्द लिखिए।
लाल – पूत, बेटा
दिवस – दिन, वासर
पूत – पुत्र, आत्मज
माखन – नवनीत, मक्खन
किवार – दरवाजा, पट
अनोखा – विचित्र, अद्भुत
3. नीचे लिखे सही शब्द पर सही (a) का चिह्न लगाइए।
दिवस – दीवस,
दहि- दही,
हानि हानी,
नारि – नारी
दिवस – सही
दही – सही
हानि – सही
नारी – सही
4. तुक मिलाइए।
मेरी – तेरी, फेरी
खायो – पायो, लायो
गोरस – औरस, पोरस