कवि परिचय
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी का जन्म 30 सितम्बर, सन् 1908 को सिमरिया घाट, मुंगेर (बिहार) में हुआ। छात्रावस्था में ही ‘दिनकर’ का ओजस्वी कवि-रूप सामने आ गया। ‘दिनकर’ राष्ट्रीय भावधारा के प्रमुख कवि रहे। उन्हें शौर्य और वीरता का कवि माना जाता है।
‘दिनकर’ जी की बहुमुखी प्रतिभा का विस्तार गद्य और पद्य दोनों में हुआ है। उनके काव्य ग्रंथों में प्रमुख हैं – रेणुका, हूँकार, रसवंती, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, उर्वशी, हारे को हरिनाम, बापू, दिल्ली इत्यादि। गद्य ग्रंथों में प्रमुख हैं – देश-विदेश, मेरी यात्राएँ, अर्द्ध-नारीश्वर, मिट्टी की ओर, रेती के फूल, संस्कृति के चार अध्याय इत्यादि।
‘दिनकर’ जी राज्य सभा के सम्मानित सदस्य रहे। भारत सरकार ने उनको ‘पद्मभूषण’ की उपाधि से अलंकृत किया। उन्हें ‘उर्वशी’ महाकाव्य के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया।
यह कविता :
बच्चे दिन-ब-दिन बढ़ते हैं। इसलिए उनकी पोशाक बड़े नाप की बनवा ली जाती है। लेकिन चाँद घटता-घटता रहता है और अमावस के दिन दिखाई ही नहीं देता है। इस कविता में चाँद चाहता है कि उसके लिए एक झिंगोला या कुर्ता सिलवा दिया जाए। उसकी माँ पूछती है, बेटा, किस नाप का तुम्हारा झिंगोला बनाया जाए, जिसे तू रोज-रोज पहन सके?
इसमें एक मजाक और व्यंग्य है तथा साथ ही साथ एक ध्यातव्य है कि जो सदा अस्थिर रहते हैं उसके लिए कुछ नहीं किया जा सकता।
चाँद का झिंगोला
चाँद का झिंगोला
हठ कर बैठा चाँद एक दिन, माता से वह बोला,
“सिलवा दो माँ, मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला।
सन-सन चलती हवा रात भर, जाड़े से मरता हूँ,
ठिठुर-ठिठुर कर किसी तरह, यात्रा पूरी करता हूँ।
आसमान का सफर और यह, मौसम है जाड़े का
‘न हो अगर तो ला दो कुरता ही कोई भाड़े का।
“बच्चे की सुन बात कहा माता ने, “अरे सलोने!
कुशल करे भगवान, लगें मत, तुझको जादू-टोने
जाड़े की तो बात ठीक है, पर मैं तो डरती हूँ,
एक नाप में कभी नहीं, तुझको देखा करती हूँ।
कभी एक उँगल भर चौड़ा, कभी एक फुट मोटा,
बड़ा किसी दिन हो जाता है, और किसी दिन छोटा।
घटता-बढ़ता रोज, किसी दिन, ऐसा भी करता है,
नहीं किसी की आँखों का, तू दिखलाई पड़ता है।
अब तू ही यह बता, नाप तेरी किस रोज लिवाएँ,
सी दें एक झिंगोला जो, हर रोज बदन में आए?”
झिंगोला – छोटे बच्चों का अंगरखा या कमीज।
हठ – जिद्द
आसमान
मौसम – ऋतु।
जाड़ा – शीत, ठंड
भेड़-बकरी
यात्रा – सफर
सुन्दर – मनोहर।
आकाश, गगन, नभ।
नाप – माप।
भाड़ा – किराया।
सलोने – सुंदर
बदन – शरीर
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए :
(क) एक दिन चाँद क्या हठ करने लगा?
उत्तर – एक दिन चाँद अपनी माँ से अपने लिए एक कुर्ता या झिंगोला सिलवा देने की हठ करने लगा।
(ख) बिना झिंगोले से चाँद को क्या कष्ट होता है?
उत्तर – चाँद को बिना झिंगोले के यह कष्ट होता है कि शीत ऋतु में उसे ठिठुर-ठिठुर कर सारी रात आकाश में यात्रा करते हुए बितानी पड़ती है।
(ग) माँ जाड़े से नहीं, पर किससे डरती है?
उत्तर – माँ जाड़े से नहीं, पर चाँद के प्रतिदिन घटने-बढ़ने की क्रिया से डरती है। अर्थात् माँ चाँद को कभी भी एक नाम में नहीं देख पाती है।
(घ) माँ चाँद के लिए झिंगोला क्यों नहीं बना पाती?
उत्तर – माँ चाँद के लिए झिंगोला नहीं बना पाती क्योंकि चाँद कभी घटते घटते एक अंगुल चौड़ा हो जाता है तो कभी अदृश्य ही हो जाता है तथा पूर्णिमा के दिन पूरा गोल हो जाता है। अतः, चाँद के बढ़ते-घटते रहने के कारण माँ यह तय नहीं कर पाती है कि किस नाप का झिंगोला सिलवाया जाए जो हर दिन चाँद को सही आए।
2. अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(क) हठ कर बैठा चाँद एक दिन माता से वह बोला,
सिलवा दो माँ, मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला।
उत्तर – इन पंक्तियों में कवि दिनकर जी यह कह रहे हैं कि एक दिन चाँद ने अपनी माँ से जिद की कि उसके लिए ऊन का एक मोटा झिंगोला सिलवा दिया जाए क्योंकि शीत ऋतु में उसे काफ़ी ठंड लगती है।
(ख) बच्चे की सुन बात कहा, माता ने, “अरे सलोने!
कुशल करे भगवान, लगें मत, तुझको जादू-टोने।
उत्तर – अपने बेटे चाँद की बातें सुनकर माँ ने चाँद से कहा कि मेरे प्यारे बेटे, तुम सदा कुशल रहो और कभी भी तुम्हें भगवान नज़र-गुज़र न लगने दें। तुम हर प्रकार की बाधा-व्यथा से हमेशा मुक्त रहो।
(ग) कभी एक उँगल भर चौड़ा, कभी एक फुट मोटा,
बड़ा किसी दिन हो जाता है, और किसी दिन छोटा।
उत्तर – इन पंक्तियों का अर्थ यह है कि माँ अपने बेटे की झिंगोला सिलवा देने की ज़िद पर उसे यह कहती है कि मैं तुझे कभी एक अंगुल चौड़ा देखती हूँ तो कभी एक फुट मोटा देखती हूँ। कभी तुम तो पूरे बड़े हो जाते हो और किसी तुम बहुत ही छोटे हो जाते हो। अर्थात् तुम एक नाप में कभी भी नहीं रहते ही।
(घ) अब तू ही यह बता, नाप तेरी फिस रोज लिवाए,
सी दें एक झिंगोला जो, हर रोज बदन में आए?”
उत्तर – माँ चाँद के बदलते नाप को लेकर चिंतित हैं। वह अपने पुत्र चाँद से यह कहती है कि किस दिन तुम्हारी नाप ली जाए और किस नाप का झिंगोला तुम्हारे लिए सिलवाया जाए जो हर दिन तुम्हारे बदन में आ सके।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए :
(क) एक दिन चाँद ने माँ से क्या कहा?
उत्तर – एक दिन चाँद ने माँ से अपने लिए एक झिंगोला सिलवा देने को कहा।
(ख) रात भर किस तरह की हवा चलती है।
उत्तर – रात भर ठंडी हवा सन-सन करती हुए चलती है।
(ग) जाड़े में वह किस तरह मरता है?
उत्तर – जाड़े में वह ठंडी हवा के ठिठुरन से अत्यधिक कष्ट पाता है।
(घ) चाँद किस तरह यात्रा पूरी करता है?
उत्तर – चाँद ठिठुर-ठिठुर कर यात्रा पूरी करता है।
(ङ) यदि झिंगोला न मिले तो फिर चाँद क्या लेना चाहता है?
उत्तर – यदि चाँद के लिए झिंगोला न मिले तो वह किराए पर एक कुर्ता लेना चाहता है
(च) चाँद कभी कभी माँ को कितना चौड़ा दिखाई देता है?
उत्तर – चाँद कभी कभी माँ को एक अंगुल चौड़ा दिखाई देता है।
(छ) चाँद कितना मोटा दिखाई देता है?
उत्तर – चाँद एक फुट मोटा दिखाई देता है।
(ज) ऐसा कौन सा दिन होता है जब चाँद बिलकुल नहीं दिखाई देता?
उत्तर – अमावस के दिन चाँद बिलकुल नहीं दिखाई देता है।
(झ) चाँद का झिंगोले के लिए नाप लेना क्यों संभव नहीं है?
उत्तर – चाँद का झिंगोले के लिए नाप लेना संभव नहीं है क्योंकि वह हमेशा घटता-बढ़ता रहता है।
भाषा-ज्ञान
1. निम्नलिखित शब्दों के विपरीत / विलोम शब्द लिखिए।
कुशल – अकुशल
जाड़ा – गर्मी
ठीक – खराब
मोटा – पतला
घटता – बढ़ता
2. निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलिए।
हवा – हवाएँ
वह – वे
माता – माताएँ
बच्चा – बच्चे
भाड़ा – भाड़े
बड़ा – बड़े
बात – बातें
दिन – दिन-दिन
यह – ये