Punjab Board, Class X, Hindi Pustak, The Best Solution (लघु कथा) (i) Maa Ka Kamra, Shyam Sundar Agrawaal, माँ का कमरा, श्याम सुंदर अग्रवाल

श्याम सुंदर अग्रवाल का जन्म 8 फरवरी 1950 ई. में कोटकपूरा (पंजाब) में हुआ। पंजाब से बी. ए. तक की शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् आप 1973 से 1998 तक पंजाब लोक निर्माण विभाग में कार्यरत रहे। नौकरी के दौरान से ही आप हिंदी व पंजाबी लघुकथा लेखन व बाल-साहित्य लेखन भी कर रहे हैं। ‘नंगे लोकां दा फिक्र’ तथा ‘मारूथल दे वासी’ आपके लघुकथा संग्रह हैं। इनके अतिरिक्त आपने संपादन व अनुवाद कार्य भी किया है। आप 1988 से निरंतर पंजाबी त्रैमासिक पत्रिका ‘मिन्नी’ का संपादन कर रहे हैं।

प्रस्तुत लघुकथा में परिवार में बुजुर्गों की देख-रेख में सुखद व्यवहार की अनुगूँज सुनाई देती है। साथ ही बुजुर्गों की स्थिति को बेहतर बनाने और समाज में विघटित हो रहे मूल्यों को पुनः स्थापित करने की दिशा में यह उचित कदम है। कथा की मुख्य पात्र बुजुर्ग बसंती उलझन भरे मन से बेटे के साथ शहर आती है कि पता नहीं उसके साथ कैसा व्यवहार होगा? उसे रहने के लिए कौन सा कमरा मिलेगा किंतु बेटे द्वारा सजा-सँवरा कमरा दिखाने पर वह हैरान रह जाती है। इस प्रकार यह लघुकथा समाज की मानसिकता में बदलाव लाने में योगदान देती है और सकारात्मक, सुखद और सुंदर संदेश की संवाहक बनती है। निराशा से आशा का सफर बहुत ही छोटी-सी कालविधि में घटित होता है। कहानी की भाषा और भावाभिव्यक्ति पात्रों की मनोवृत्ति के अनुरूप है।

छोटे-से पुश्तैनी मकान में रह रही बुजुर्ग बसंती को दूर शहर में रहते बेटे का पत्र मिला- माँ मेरी तरक्की हो गई है। कंपनी की ओर से मुझे बहुत बड़ी कोठी मिली है रहने को। अब तो तुम्हें मेरे पास शहर में आकर रहना ही होगा। यहाँ तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होगी। पड़ोसन रेशमा को पता चला तो वह बोली, “अरी, रहने दे शहर जाने को शहर में बहू-बेटे के पास रहकर बहुत दुर्गति होती है। वह बचनी गई थी न अब पछता रही है, रोती है। नौकरों वाला कमरा दिया है रहने को और नौकरानी की तरह ही रखते हैं। न वक्त से रोटी, न चाय। कुत्ते से भी बुरी जून है।” अगले दिन बेटा कार लेकर आ गया। बेटे की जिद्द के आगे बसंती की एक न चली। ‘जो होगा देखा जावेगा’ की सोच के साथ बसंती अपने थोड़े-से सामान के साथ कार में बैठ गई। लंबे सफर के बाद कार एक बड़ी कोठी के सामने जाकर रुकी। “एक जरूरी काम है माँ, मुझे अभी जाना होगा।” कह, बेटा माँ को नौकर के हवाले कर गया। बहू पहले ही काम पर जा चुकी थी और बच्चे स्कूल बसंती कोठी देखने लगी। तीन कमरों में डबल बैड लगे थे। एक कमरे में बहुत बढ़िया सोफा सैट था। एक कमरा बहू-बेटे का होगा, दूसरा बच्चों का और तीसरा मेहमानों के लिए, उसने सोचा। पिछवाड़े में नौकरों के लिए बने कमरे भी वह देख आई। कमरे छोटे थे, पर ठीक थे। उसने सोचा, उसकी गुज़र हो जाएगी। बस बहू-बेटा और बच्चे प्यार से बोल लें और दो वक्त की रोटी मिल जाए। उसे और क्या चाहिए। नौकर ने एक बार उसका सामान बरामदे के साथ वाले कमरे में टिका दिया। कमरा क्या था, स्वर्ग लगता था – डबल-बैड बिछा था, गुस्लखाना भी साथ था। टी.वी. भी पड़ा था और टेपरिकार्डर भी दो कुर्सियाँ भी पड़ी थीं। बसंती सोचने लगी – काश उसे भी कभी ऐसे कमरे में रहने का मौका मिलता। वह डरती डरती बैड पर लेट गई। बहुत नर्म गद्दे थे। उसे एक लोककथा की नौकरानी की तरह नींद ही न आ जाए और बहू आकर उसे डाँटे, सोचकर वह उठ खड़ी हुई। शाम को जब बेटा घर आया तो बसंती बोली, “बेटा, मेरा सामान मेरे कमरे में रखवा देता, “बेटा हैरान हुआ, “माँ, तेरा सामान तेरे कमरे में ही तो रखा है नौकर ने।” बसंती आश्चर्यचकित रह गई, “मेरा कमरा! यह मेरा कमरा!! डबल-बैंड वाला…..!” “हाँ माँ, जब दीदी आती है तो तेरे पास सोना ही पसंद करती है और तेरे पोता-पोती भी सो जाया करेंगे तेरे साथ तू टी.वी. देख, भजन सुन। कुछ और चाहिए तो बेझिझक बता देना।” उसे आलिंगन में ले बेटे ने कहा तो बसंती की आँखों में आँसू आ गए।

 

पुश्तैनी – जो कई पीढ़ियों से चला आ रहा हो  

जून – दशा

बुजुर्ग – वृद्ध

आश्चर्यचकित – हैरान

तरक्की – पदोन्नति,

बेझिझक – बिना झिझक

दुर्गति – दुर्दशा

आलिंगन – गले लगाना

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए-

(1) बुजुर्ग बसंती कहाँ रह रही थी?

उत्तर – बुजुर्ग बसंती अपने गाँव की पुश्तैनी मकान में रह रही थी।

(2) बुजुर्ग बसंती को किसका पत्र मिला?

उत्तर – बुजुर्ग बसंती को अपने बेटे का पत्र मिला जो शहर में काम करता था।

(3) बसंती की पड़ोसन कौन थी?

उत्तर – बसंती की पड़ोसन रेशमा थी।

(4) बसंती बेटे के साथ कहाँ आई?

उत्तर – बसंती अपने बेटे के साथ कार में बैठकर बेटे के घर में रहने  शहर आई।

(5) कोठी में कितने कमरे थे?

उत्तर – कोठी में तीन बड़े बेडरूम, एक ड्राईंग रूम और नौकरों के कमरे थे।

(6) नौकर ने बसंती का सामान कहाँ रखा?

उत्तर – नौकर ने बसंती का सामान बरामदे के साथ वाले कमरे में रखा।

(7) बसंती के कमरे में कौन-कौन सा सामान था?

उत्तर – बसंती के डबल-बेड वाले कमरे में टी.वी., टेपरिकार्डर और दो कुर्सियाँ थीं।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए :-

(1) बेटे ने पत्र में अपनी माँ बसंती को क्या लिखा?

उत्तर – बेटे ने अपनी माँ को पत्र में लिखा था कि नौकरी में उसकी तरक्की हो गई है। उसे उसकी कंपनी ने रहने के लिए बहुत बड़ी कोठी दी है। अब वह रहने के लिए उसके पास शहर में आ जाए उसे किसी तरह की कोई तकलीफ़ नहीं होगी।

(2) पड़ोसन रेशमा ने बसंती को क्या समझाया?

उत्तर – पड़ोसन रेशमा ने बसंती को समझाया कि उसे बेटे के पास रहने के लिए शहर नहीं जाना चाहिए। रेशमा ने ऐसा अपने अनुभव से कहा था क्योंकि उसकी परिचित बचनी भी अपने बेटे के पास   शहर में रहने गई थी। उसकी बहुत दुर्गति हुई। उसे न ही सम्मान देते थे और न ही उसका ख्याल रखते थे। यहाँ तक कि उससे नौकरों   वाले काम करवाते थे।

(3) बसंती क्या सोचकर बेटे के साथ शहर आई?

उत्तर – पड़ोसन रेशमा की बातें सुनकर बसंती मन ही मन डर गई थी फिर भी उसे अपने पुत्र पर पूरा भरोसा था। अगले दिन जब बेटा उसे ले जाने के लिए स्वयं कार लेकर गाँव आ गया तो वह बेटे की ज़िद के आगे शहर जाने के लिए तैयार हो गई। उसने सोच लिया था कि ‘जो होगा देखा जावेगा’।

(4) बसंती की आँखों में आँसू क्यों आ गए?

उत्तर – शहर में अपने बेटे की कोठी में आने की बाद अपने बड़े कमरे जिसमें डबल बेड बिछा था, गुसलखाना भी साथ ही था, वहाँ बड़ा-सा टीवी, टेपरिकॉर्डर, दो कुर्सियाँ लगी हुई थीं, उसे बहुत भाया। इसके साथ ही उसे इतनी संपन्नता भरी जीवन की आशा नहीं थी। बेटे पोते और बहू के साथ खुशी से रहने की सुखद कल्पना से ही उसकी आँखों में खुशी के आँसू आ गए।

(5) ‘माँ का कमरा’ कहानी का उद्देश्य क्या है?

उत्तर – ‘माँ का कमरा’ कहानी का दो उद्देश्य हैं। पहला, यह कि हमें जीवन में किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए। हमें सदा सकारात्मक सोच के साथ ही आगे बढ़ना चाहिए। हमारी  सकारात्मकता ही हमारे आगे बढ़ने के मार्ग को साफ करती जाती है। दूसरा, उद्देश्य सामाजिक स्तर के लिए है कि हमें अपने परिवार के बुजुर्गों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। उनकी अहमियत हमारे जीवन में सदा बनी रहनी चाहिए।  

(1) निम्नलिखित पंजाबी गद्यांश का हिंदी में अनुवाद कीजिए-

ਛੋਟੇ ਜਿਹੇ ਪੁਸ਼ਤੈਨੀ ਮਕਾਨ ਵਿੱਚ ਰਹਿ ਰਹੀ ਬਜ਼ੁਰਗ ਬਸੰਤੀ ਨੂੰ ਦੂਰ ਸ਼ਹਿਰ ਰਹਿ ਰਹੇ ਪੁੱਤਰ ਦਾ ਪੱਤਰ ਮਿਲਿਆ’ਮਾਂ ਮੇਰੀ ਤਰੱਕੀ ਹੋ ਗਈ ਹੈ। ਕੰਪਨੀ ਵੱਲੋਂ ਮੈਨੂੰ ਰਹਿਣ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਵੱਡੀ ਕੋਠੀ ਮਿਲੀ ਹੈ, ਹੁਣ ਤਾਂ ਤੈਨੂੰ ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿੱਚ ਆ ਕੇ ਰਹਿਣਾ ਹੀ ਪਵੇਗਾ।

उत्तर – छोटे से पुश्तैनी मकान में रह रही बुजुर्ग बसंती को दूर शहर रह रहे बेटे का पत्र मिला- माँ मेरी तरक्की हो गई है। कंपनी की ओर से मुझे रहने के लिए बहुत बड़ी कोठी मिली है। अब तो तुम्हें मेरे पास शहर में आकर रहना ही होगा।

(1) आप अपने घर या आस-पड़ोस में बुजुर्गों की बेहतरी के लिए क्या-क्या करेंगे?

उत्तर – मैं अपने घर में रहने वाले अपने दादा-दादी के लिए बहुत से कार्य कर देता हूँ जिनसे उन्हें बहुत खुशी मिलती हैं, जैसे- समय पर उन्हें दवाइयाँ देकर, उनकी ज़रूरत की चीज़ें उन्हें उपलब्ध करवाकर, उन्हें टहलाने ले जाकर, उनके साथ समय बिताकर इत्यादि।

(2) आप घर में अपनी माँ की मदद किस प्रकार करते हैं? कक्षा में चर्चा कीजिए।

उत्तर – मैं अपनी माँ की मदद उनके घरेलू कार्यों में मदद करके करता हूँ, जैसे – घर में कभी पोछा लगा देना, कभी रोटियों के लिए आटा गूँद देना, बाहर से सब्जी ले आना, गैस सिलेंडर ले आना वगैरह वगैरह।  

(1) पत्र-पत्रिकाओं में छपने वाली लघुकथाएँ पढ़िए।

उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।

(2) विद्यालय की वार्षिक पत्रिका में लघुकथा लिखने का प्रयास कीजिए।

उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।

(3) ‘माँ’ पर कविताओं का संकलन कीजिए।

उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।

हमें हमेशा सकारात्मक सोच के साथ जीवन जीना चाहिए। इससे जीने के लिए नयी ऊर्जा मिलती है जबकि नकारात्मक सोच से हमारे शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। नकारात्मक सोच से जहाँ अपने व्यक्तित्व का ह्रास होता है वहीं सामाजिक संबंधों में भी गिरावट आती है। यदि बसंती अपनी पड़ोसन की बात मान लेती और अपने बेटे के साथ न जाती तो क्या उसका अपने बेटे की अच्छाई से परिचय हो पाता? कदापि नहीं। निःसंदेह उसके मन में नकारात्मक विचार भी होंगे और सकारात्मक विचार भी, किंतु सकारात्मक विचारों ने नकारात्मक विचारों पर विजय पा ली और वह अपने बेटे के साथ चली गयी और अंततः उसे सुख की अनुभूति हुई। अतः हमें जीवन में हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

 

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