संकेत बिंदु-(1) सफलताओं की लंबी परंपरा (2) कृषि और पशुपालन में अनेक अनुसंधान (3) औद्योगिक और ईंधन क्षेत्र में क्रांति (4) ज्ञान और कंप्यूटर के क्षेत्र में अग्रणी (5) उपसंहार।
“ भारत की विज्ञान के क्षेत्र में प्राचीन काल की उपलब्धियों से लेकर इस शताब्दी में प्राप्त की गई सफलताओं की एक लंबी एवं अद्वितीय परंपरा रही हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले शताब्दी का भाग अधिकतर विशुद्ध अनुसंधान से संबंधित रहा है। स्वतंत्रता प्राप्त करने के समय हमारा वैज्ञानिक व तकनीकी ढाँचा विकसित विश्व की तुलना में न सुदृढ़ था, न ही व्यवस्थित। इसके फलस्वरूप हम अन्य देशों में उपलब्ध तकनीकी निपुणता व विशेषज्ञता पर निर्भर रहे। गत चार दशकों में, अपने राष्ट्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक ढाँचा व सामर्थ्य उत्पन्न कर लिया गया है, जिससे हमारी अन्य देशों पर निर्भरता घट गई है। सुविधाओं, सेवाओं व उत्पादों के विस्तृत क्षेत्रों को पूरा करने के लिए लघु से अत्यंत उन्नत प्रकार के विभिन्न उद्योगों की स्थापना हो चुकी है। अब हमारे पास विज्ञान के मूल और व्यावहारिक क्षेत्रों में हुई आधुनिकतम प्रगति से परिचित विशेषज्ञों का एक खजाना है, जो उपलब्ध प्रौद्योगिकियों में से चयन करने, नई तकनीकों को सहज ग्रहण करने और भविष्य में देश के विकास का ढाँचा तैयार करने में सक्षम है।”
चिकित्सा क्षेत्र में भारत की प्रगति दर्शनीय है। मानव को जीवन प्रदान हेतु छोटे-मोटे आप्रेशन की बात छोड़िए, यहाँ तो हृदयारोपण तथा किडनी (गुर्दा) प्रत्यारोपण की सफल शल्यक्रिया हो रही है। कैंसर जैसी बीमारी भी भारतीय चिकित्सकों से भयभीत है। वे ‘ट्यूब बेबी’ उत्पन्न करने में समर्थ हैं। राष्ट्रीय स्तर पर 7 तथा एकांश स्तर पर 13 विभिन्न अनुसंधान केंद्र मानव-जीवन की चिकित्सार्थ 580 परियोजनाओं पर शोधकार्य कर रहे हैं।
कृषि तथा पशुपालन के क्षेत्र में अनेक अनुसंधान परिषदें संलग्न हैं। कृषि भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ाई जा रही है। कीटनाशक दवाओं से खेती की रक्षा की जा रही है। वैज्ञानिक साधनों से अनाज और फलों की सघन खेती हो रही है। इतना ही नहीं शोध-कार्यों द्वारा इनकी नई-नई किस्में पैदा की जा रही हैं। कृषि विश्वविद्यालय देश को कृषि वैज्ञानिक प्रदान कर रहे हैं और अनुसंधान केंद्र भारत भू को सस्य-श्यामला बनाकर अन्न से भरपूर कर रहे हैं। यही कारण है कि 100 करोड़ भारतीयों को आज भारत-भूमि अन्न देने में सक्षम है।
भारतीय सेना अधिक प्रभावकारी एवं श्रेष्ठ भारतीय शस्त्रों एवं उपकरणों से सज्जित है। नई किस्म की पर्वतीय तोप, अर्ध-स्वचलित राइफल, टैंक नाशक, सुरंग विस्फोटक, फील्ड आर्टिलरी रडार, चेतावनी रडार यंत्र आदि अस्त्र-शस्त्रों के अतिरिक्त वायुयान एवं विशाल जलयानों का निर्माण भी भारतीय वैज्ञान की प्रगति की पहचान हैं।
औद्योगिक क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिक संस्था G.S.I.R. की कृपा से भारतीय उद्योग में क्रांति का बिगुल ही बजा दिया है। फलस्वरूप देश में शीशा, चमड़ा, वस्त्र, रसायन, धातु, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे उद्योगों का बहुत बड़े पैमाने पर विकास हुआ। उद्योग का आधार है मशीन। ‘ यांत्रिक इंजीनियरी अनुसंधान संस्थाओं’ ने भारत में ही विशालकाय मशीनों का निर्माण कर न केवल उत्पादन ही बढ़ाया, अपितु विदेशी मुद्रा की भी बचत की हैं।
ज्ञान के क्षेत्र में पुस्तक तथा समाचार-पत्र प्रकाशनों की तकनीकी में गुणात्मक सुधार प्रदान कर घर-घर में ज्ञान का दीप जलाया। मुद्रण-कला में नई तकनीक ने प्रवेश कर क्रांति मचा दी है। मासिक या साप्ताहिक पत्र ही नहीं, दैनिक पत्र भी रंगीन आधुनिक साज-सज्जा से छपने लगे हैं।
कंप्यूटर के क्षेत्र में भारत विश्व का अग्रणी राष्ट्र है। सुपर पावर कंप्यूटर दस लाख का निर्माण सर्वप्रथम भारत में ही हुआ है। विश्व के सर्वोत्तम सुपर कम्प्यूटरों में से एक ‘फ्लोसोलवर एम.के. 3’ है। इसका प्रयोग मानसून गतिविधि, रचना संबंधी यंत्र विद्या, प्रतिबिम्बों के प्रसंस्करण तथा क्रिस्टल विद्या में अत्यधिक तथा तेज गणनाओं के लिए किया जाता है।
प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी भारत निरंतर प्रगतिशील है। जिन उत्पादों का सफलतापूर्वक उत्पादन और विपणन किया गया, उनमें पहली बार जेनेटिक इंजीनियरिंग से बनाया गया टीका, मक्के के भूसे से बना ‘जैव कीटनाशक’, सूर्य मीन ब्रांड का विपचिण पदार्थ, तपेदिक के इलाज में प्रयुक्त औषधि के निर्माण में प्रयुक्त होने वाले महत्त्वपूर्ण वैकल्पिक औषधि ‘इंटरमीडिएट डी. एल. 2’ अमीना बुटानोल; सिफलोसप्रिन, एंटीबायोटिक की खाने की दवाई, ‘सिफीक्सीम तथा रिंकबीनेट हेपिटाइट्स बी’ टीका शामिल हैं। पूर्ण स्वदेशी कम्पोजिट से बना दो सीटों वाला प्रशिक्षण विमान’हंस’ के प्रवर्तन के साथ भारत में नागरिक विमानन उद्योग की शुरूआत हुई और 11 मई 1998 को इसे तीन महान् प्रौद्योगिक उपलब्धियों में शामिल किया गया। इनके अतिरिक्त सैंकड़ों अन्य उत्पाद हैं जिनमें भारतीय तकनीक ने झंडे गाड़े हैं।
जीवन के हर क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान कर रहे हैं। वे भारतीय जीवन को सुख-समृद्धि की ओर तेजी से अग्रसर करने का प्रयास कर रहे हैं। उनमें बुद्धि है, बल है, जीवन हैं। वह पहाड़ों की छाती को फोड़ रहे हैं। समुद्र का मंथन कर रहे हैं, नभ को चीरकर जन-कल्याणकारी पदार्थ प्रस्तुत कर रहे हैं। अंतरिक्ष में अपना स्थान निश्चित कर रहे हैं। भूमि को उर्वरा, सस्य श्यामला बना रहे हैं। काल और स्थान को दूर कर, यातायात और संचार व्यवस्था को सरल और सुगम बना रहे हैं। प्रकृति को मानव की चेरी बनाकर, ऐश्वर्य और वैभव उसके चरणों में उँडेल देने के लिए कटिबद्ध हैं।