संकेत बिंदु-(1) भारतीय सभ्यता और संस्कृति (2) ताजमहल, अजंता-एलोरा और दिलवाड़े के मंदिरों की भव्यता (3) महाबलिपुरम और लालकिला की सुंदरता (4) अन्य दर्शनीय स्थल (5) उपसंहार।
भारत एक महान् देश है। इसकी सभ्यता-संस्कृति की महत्ता के चिह्न इसके विशाल शरीर (भूभाग) को सुशोभित कर रहे हैं। कहीं यह धार्मिक आस्था के रूप मंदिर बनकर प्रकट हुआ है तो कहीं स्थापत्य कला के रूप में और कहीं प्रकृति नटी की नाट्यशाला के रूप में। जिन्हें देखकर दर्शक विभोर हो जाता है, आत्मविस्मृत हो जाता है।
मन मोह लेती है देवतात्मा हिमालय की रम्य घाटियाँ; कन्याकुमारी का आकर्षण; केरल का जलस्वर्ग बैकवार्स, गोआ के अनूठे विश्वविख्यात समुद्रतट; विन्ध्याचल, सतपुड़ा के प्रपातों की नाट्यशाला; शिवालिक का योजना-तीर्थ भाखड़ा; अरावली की मनोरम झीलें, स्वप्नलोक कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान; हरे-भरे मनभाते हिल स्टेशन (पर्वतीय स्थल); सदाबहार पहाड़ियों का महकता अंचल सह्याद्रि-नीलगिरि तीर्थाभूत चारधाम; सप्तपुरी; शैल गुफाओं का आह्वान, महानगरों की महत्ता, दर्शनीयता तथा ताजमहल की अलौकिकता, जो पयर्टक की आँखों में साकार स्वप्न बनकर झूम जाते हैं।
विश्वप्रसिद्ध आगरे के ताजमहल को ही लीजिए। स्थापत्य कला की दृष्टि से यह विश्व का एक महान् आश्चर्य माना जाता है। यह प्रेम का अमर प्रतीक है। सादगी और सौंदर्य का अद्भुत मेल है।
इसी प्रकार अजन्ता-एलौरा की गुफाएँ 2000 वर्ष पुरानी होते हुए आज भी इसकी 259 फुट ऊँची सीधी चट्टान पर उत्कीर्ण चित्र कला दर्शकों को अपने सौंदर्य से आकृष्ट और आनंदमग्न कर लेती है। इनके अतिरिक्त कलात्मक सौंदर्य के दर्शनीय स्थल हैं-भरहुत का स्तूप एवं काली की बौद्ध गुफा। कला और शिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण है कोणार्क का सूर्यमंदिर’। बारीकी और तफसील में बेजोड़ है चेन्ना केशव मंदिर, बेलूर। वीरता और शौर्य के प्रतीक हैं चितौड़गढ़ के जय स्तंभ और कीर्ति स्तंभ।
माउंट आबू के दिलवाड़ा के जैन मंदिर, हिंदू, बौद्ध, जैन मंदिरों का संगम स्थल एलोरा की गुफाएँ, ग्वालियर का राजमहल तथा मास-बहू (सहस्रबाहु) मंदिरों की पच्चीकारी देखते ही बनती है| श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) में गोमतेश्वर की 57 फुट ऊँची विशाल महावीर जिन की प्रतिमा तथा सोमनाथपुरम् मंदिर, खजुराहो का 20 मंदिरों का समूह जो भारी पेचीदगी होने पर भी संतुलित सौंदर्य के प्रतीक हैं।
दिल्ली का लालकिला मुगलवैभव, शान-शौकत और ठाट-बाट का, साक्षी है। दिल्ली की कुतुबमीनार स्थापत्य और शिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसके पास ही वह प्रसिद्ध लौह स्तंभ है जो 1500 वर्षों में निरंतर धूप वर्षा सहकर भी अक्षुण्ण और जंग रहित है।
महाबलिपुरम् के सात पगोडाओं नाम से प्रसिद्ध मंदिर कलात्मकता के चिह्न हैं. साँची (भोपाल) का स्तूप प्राचीनतम स्तूप है, इनके मुख्य द्वार पर जातक कथाएँ अंकित हैं। सर्वाधिक प्राचीन हैं सिरगुजा के भित्तिचित्र। 70 फुट ऊँची प्राचीन और अष्टभुज बुर्ज वाला आगरे का लालकिला। तिरुचिरापल्ली के श्री रंगम् का विष्णु मंदिर। सोन नदी तट पर स्थित शेरशाह का मकबरा। ताजमहल की तुलना में प्राचीन हैं शिल्पकला के जैसलमेर के जैन मंदिर।
भारत के कुछ अन्य दर्शनीय स्थलों की पहचान बना ली जाए। औरंगाबाद का कैलाश मंदिर और बीवी का मकबरा। कश्मीर में भगवान अमरनाथ की गुफा। तंजौर का बृहदेश्वर मंदिर। कर्नाटक का वृंदावन गार्डन्स। फतेहपुर सीकरी का बुलन्द दरवाजा और पंचमहल। हैदराबाद की चार मीनार। भुवनेश्वर के पास चिलका झील।
बम्बई के ‘ हैंगिंग गार्डन्स’, मालाबार हिल्स, प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूजियम, टावर ऑफ सायलेंस तथा गेटवे ऑफ इंडिया। जिला कोलाबा का इगिल्सवेस्ट (रायगढ़ का किला), अमृतसर का स्वर्ण मंदिर तथा दुर्गियाणा मंदिर। बीजापुर की गोल गुम्बद। जयपुर का हवामहल और आमेर का किला। उदयपुर का जलमहल। आगरे की एत्माउद्दौला की दरगाह। पुरी (उड़ीसा) का जगन्नाथ मंदिर। कर्नाटक के गरसोपा झरने। कन्याकुमारी का कन्याकुमारी मंदिर तथा स्वामी विवेकानंद स्मारक। छतरपुर का खजुराहो। बड़ौदा का लक्ष्मी विलास महल। बीकानेर का लालगढ़ महल। भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर। उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर। मदुरई का मीनाक्षी मंदिर। जूनागढ़ के माउंट गिरनार का जैन मंदिर। मद्रास का नटराज मंदिर। श्रीनगर का निशात बाग, शालीमार बाग, डल झील। त्रिवेन्द्रम का पद्मनाभ मंदिर। हेम्पी की उग्र नरसिंह जी की मूर्ति। तिरुपति का तिरुपति बाला जी मंदिर। कलकत्ता का विक्टोरिया मैमोरियल तथा हावड़ा ब्रिज। दिल्ली में महात्मा गाँधी की समाधि राजघाट, नेहरू जी समाधि शांतिवन तथा लालबहादुर शास्त्री की समाधि विजयघाट के अतिरिक्त लक्ष्मीनारायण मंदिर (बिड़ला मंदिर) तथा जंतर-मंतर।
आदि शंकराचार्य के चार मठों के दर्शन बिना दर्शनीय स्थलों की सूची का अभाव खलेगा। ये हैं-ज्योर्तिमठ (जोशी मठ, बदरीनाथ धाम), गोवर्धन पीठ (जगन्नाथ पुरी), शारदा मठ (द्वारिका) तथा शृंगेरी मठ (रामेश्वर)।
पुराणों की दृष्टि से सात मोक्षदायिनी पुरियों के महत्त्व को आज के वैज्ञानिक युग में भी नकारा नहीं जा सका, तो फिर क्यों न इनकी भी चर्चा कर लें-
अयोध्या, मथुरा, माया, काशी, काञ्ची, अवन्तिका। पुरी द्वारावती चैव सप्तैताः मोक्षदायिकाः।| माया अर्थात् हरिद्वार और अवन्तिका अर्थात् उज्जैन।
आज भारत अपना स्वरूप तेजी से बदल रहा है। भवन निर्माण में शिल्पकला, स्थापत्यकला तथा अलंकरण-कला को महत्त्व दिया जा रहा है। बहुमंजली अट्रालिकाएँ, कलात्मक सौंदर्य युक्त स्टेडियम (क्रीडांगण), यातायात के लिए विशाल और विस्तृत पुल; विशाल बाँध; गगनचुंबी दूरदर्शन टावर (दिल्ली) जैसे अनेक दर्शनीय स्थान भारत के सौंदर्य को अलंकृत करेंगे, गौरव को द्विगुणित करेंगे, सैलानियों को आकर्षित करेंगे तथा पयर्टकों को मोहित करेंगे।