गरीबी उन्मूलन

bharat me gareebee kaise hatai jae par ek hindi nibandh

संकेत बिंदु-(1) गरीबी अभिशाप नहीं (2) गरीब का कसूर (3) सरकार द्वारा गरीबी निवारण के उपाय (4) अशिक्षा गरीबी का मूल कारण (5) उपसंहार।

गरीबी एक अभिशाप है? यह तथ्य, यह लोकोक्ति-सी बन गया है। गरीबी अभिशाप नहीं है, बल्कि गरीबी मनुष्य के आलसीपन, और स्वयं को गरीबी से न उभार पाने का एक कारण भी है। यह सत्य है कि मनुष्य पर पड़ा आर्थिक दबाव, विरासत में मिला पैतृक ॠऋण, परिवार के बढ़ते आकार भी गरीबी का एक कारण है। हम सन् 47 में स्वतंत्र हुए, मगर हमें यह स्वतंत्रता तो मिली लेकिन हम गरीबी के चंगुल से स्वयं को स्वतंत्र न कर पाये। गरीबी के बढ़ते आकार को देखकर कर्जे के बोझ से दबे एक मजदूर की दशा देखकर एक कवि ने कहा है-

है जिसका सर पर कर्जे का बोझ, न मिलती जिसको रोटी रोज।

करेगा वह क्या जीवन खोज-लायेगा कहाँ से बोलो ओज?

एक तो व्यक्ति गरीब है ही, क्योंकि देश की आधे से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे का जीवन जीने को विवश है और मेरे मतानुसार देश की 25-30 प्रतिशत आबादी तो गरीबी के धरातल से जुड़ी जीवन-यापन कर रही है। जो व्यक्ति गरीब है, समाज उसे हीनता की भावना से देखता है, जबकि इसमें गरीब व्यक्ति का दोष केवल इतनी ही है कि वह गरीब है। गरीब बस्तियों को यदि करीब से देखा जाए तो पायेंगे कि कुछ लोगों को धन की कमी तो है ही लेकिन यह तन को साफ रखने में भी गरीबी को दोष देते हैं। ऐसे व्यक्ति बहुत मिल सकते हैं जिन्हें नहाए हुए अनेक दिन बीत जाते हैं, गरीबी का लेबल क्या लगा कि नहाने में भी गरीबी का बहाना बनाया जाता है।

आज देश में भूखे-नँगे, दीन-हीन, देशवासियों को सरकारी योजनाओं से नहीं; गरीबी उन्मूलन के ठोस उपायों से ही गरीबी से उभारा जा सकता है। भारत सरकार ने अपने चार पंचवर्षीय योजनाओं में बेकारी और गरीबी के निवारण के लिए पर्याप्त उपायों के साथ प्रयास भी किए; परंतु गरीबी सुरसा के मुँह की भाँति बढ़ती ही गई। पंचवर्षीय योजना में गरीब हटाने के जो उपाय किए उनमें ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों की समस्याओं को मुख्य रूप से ध्यान में रखा गया। सरकारी सूत्रों के अनुसार इस दिशा में जो कदम उठाये गए वह इस प्रकार रहे-

1. ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग-धंधों का विस्तार,

2. ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब मजदूरों को ऋण सुविधा,

3. कृषि में तकनीकी शिक्षा का विस्तार,

4. ग्रामों में तकनीकी शिक्षा का विस्तार,

5. ग्रामों के गरीब युवकों को उद्योगों के प्रति प्रोत्साहन देना तथा आर्थिक सहायता,

एवं

6. शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन।

इस प्रकार की अनेक योजनाएँ देहाती क्षेत्रों में बसे गरीब परिवारों के लिए सरकार द्वारा घोषित हुई। केवल योजनाएँ और घोषणाएँ ही गरीबी हटाने का ठोस उपाय नहीं हैं। देश के गरीबों का भी कर्त्तव्य है कि वह स्वयं को गरीबी की रेखा से ऊपर उठाने का स्वयं भी कुछ प्रयास करें। सारे देश में कक्षा 5 तक सरकार द्वारा बच्चों को निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान है, मगर जो परिवार स्वयं को गरीब कहता है वह बच्चों को शिक्षा से दूर रखता है, यह उस व्यक्ति की कुंठित मानसिकता ही तो कही जाएगी। अन्यथा जब गरीब का बालक कक्षा पाँच तक पढ़कर कहीं रोजगार के लिए जाएगा तो संभवतः उसे वेतन भी अधिक मिल सकता है। शिक्षा ही मनुष्य को अच्छे-बुरे का ज्ञान कराती है। अशिक्षा के कारण ही गरीब परिवारों में बच्चे भी अधिक होते हैं, जो देश की जनसंख्या को तो बढ़ाते ही हैं साथ ही परिवार का बजट भी बिगड़ जाता है। यहाँ यह कहा जा सकता है कि अशिक्षा का होना भी गरीबी का एक मूल कारण है।-

दूसरा जो बड़ा कारण शिक्षा का अभाव का है वह यह कि यदि सरकार द्वारा गरीबों के उत्थान का कोई भी कार्यक्रम आता है तो अनपढ़ होने के कारण गरीब को उसका लाभ नहीं मिल पाता। चाहे वह बैंक से ऋण हो या अन्य कोई लाभ का विषय। यहाँ मैं यह कहना चाहूँगा कि यदि गरीब परिवारों में शिक्षा के महत्त्व को बढ़ावा दिया जाए तो संभवत: इस समस्या का कुछ निराकरण संभव हो सकता है। गरीब परिवारों में एक बात जो विशेष रूप से देखी और पाई जाती है वह है ‘अंधविश्वास’ की और इसी अंधविश्वास के कारण समाज का जागरूक वर्ग इन गरीब परिवारों का शोषण करता है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार का प्रभाव अधिक है क्योंकि अशिक्षा का प्रभाव नगरों की अपेक्षा देहातों में अधिक है। अशिक्षित व्यक्ति को लाला, जमींदार, पटवारी, आदि सभी समझदार और पढ़े व्यक्ति लूटने का प्रयास करते हैं। गरीबी उन्मूलन के लिए जो सबसे पहले किया जाने वाला प्रयास है वह है हर क्षेत्र में शिक्षा का प्रसार। सरकार को शिक्षा के विधान में एक महत्त्वपूर्ण संशोधन करना चाहिए कि गरीब परिवार का बालक जहाँ तक पढ़ना चाहे निःशुल्क पढ़ सकता है। यदि शिक्षा के क्षेत्र में इस प्रकार की सरकार का नियम बन जाए तो मेरा दावा है कि देश की गरीबी 10-15 वर्षों में कुछ हद तक समाप्त हो सकती है, क्योंकि पढ़ जाने के बाद व्यक्ति का शोषण कम होता है।

About the author

हिंदीभाषा

Leave a Comment

You cannot copy content of this page