समाचार-पत्र

bharat me samachar patron ki ahamiyat par ek hindi nibandh

संकेत बिंदु-(1) वर्तमान स्थिति का दर्पण (2) देश-विदेश, व्यापार, खेलकूद के समाचार (3) लोकतंत्र का चतुर्थ स्तंभ (4) समाचार पत्र का जन्म और विभिन्न पत्र-पत्रिकायें (5) उपसंहार।

समाचार पत्र संसार की वर्तमान स्थिति का दर्पण है। विश्व में घटित घटनाओं का विश्वसनीय दस्तावेज है। सत्ता और विरोधी पक्ष के विचारों के गुण-दोष विवेचन का राजहंस है। ज्ञान-वर्धन का सबसे सस्ता, सरल और प्रमुख साधन है। मानवीय जिज्ञासा, कौतूहल और उत्सुकता की शांति का साधन है। लोकतंत्र का चतुर्थ स्तंभ है।

समाचार-पत्र केवल 5-10 रुपए में विश्व दर्शन करवाता है। कितना सस्ता साधन है, ज्ञानवर्धन का हॉकर समाचार-पत्र को घर पर डाल जाता है। बिना कष्ट किए ही हमें उसकी उपलब्धि हो जाती है। कितनी सुगम है इसकी प्राप्ति। जीवन और जगत की अद्यतन जानकारी देने वाला विश्वसनीय दूत है, यह इसकी प्रामाणिकता में संदेह के लिए कोई स्थान नहीं।

समाचार-पत्र में देश-विदेश के ताजे समाचार तथा शासकीय, व्यापारिक एवं खेलकूद के समाचार पढ़िए। सरकारी आदेश, निर्देश, सूचनाएँ देखिए। सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, साहित्यिक तथा सिने संसार की गतिविधियों की जानकारी लीजिए। आकाशवाणी और दूरदर्शन के दिन-भर के कार्यक्रमों का विवरण पढ़िए चलचित्र जगत का पोस्टमार्टम प्राप्त कीजिए।

व्यापारिक मंडियों के भाव, शेयरों के उतार-चढ़ाव, नौकरी के लिए कहाँ-कहाँ स्थान खाली है? कौन सी फिल्म किस सिनेमाघर में लगी है? इसकी जानकारी के लिए समाचार-पत्र पढ़िए। बेटी-बेटे के लिए वर-वधू की खोज समाचार-पत्र के माध्यम से कीजिए।

समाचार-पत्र के विज्ञापन व्यापार वृद्धि के प्रमुख साधन हैं। विज्ञापन समाचार-पत्रों के आय के स्रोत भी हैं। संवाददाताओं, फोटोग्राफरों की आमदनी बढ़ाते हैं। लाखों कर्मचारियों को जीविका प्रदान करते हैं। लाखों हॉकरों को रोजी-रोटी देते हैं।

समाचार-पत्र लोकतंत्र के चतुर्थ स्तंभ हैं, उसके जागरूक प्रहरी हैं। राजनैतिक बेईमानी, प्रशासनिक शिथिलता तथा भ्रष्टाचरण एवं मिथ्या आश्वासनों और जनता के अहितकर षड्यन्त्रों का पर्दाफाश करते हैं। 1974 से 1977 तर्क के आपत्कालीन तिमिरावृत भारतीय काल को चीर देने का श्रेय समाचार-पत्रों को ही है। अमेरिका के वाटरगेट काण्ड का भंडाफोड़ समाचार-पत्रों ने ही किया था। चुनावों के खोखलेपन की शल्यक्रिया करने वाले ये समाचार-पत्र ही हैं। भारत में प्रजातंत्र के छद्म-वेश में परिवार तंत्र की स्थापना के प्रति सचेत करने का दायित्व समाचार-पत्र ही वहन किए हुए हैं।

समाचार-पत्र सामाजिक कुरीतियों तथा धार्मिक अंधविश्वासों को दूर कराने में सहायक सिद्ध हुए हैं। अखबार के संपादकीय बड़े-बड़ों के मिजाज ठीक कर देते हैं। ये सरकारी नीति के प्रकाशन तथा सरकार की आलोचना के भी सुंदर साधन हैं। वास्तव में विचारों को स्पष्ट और सही रूप में प्रस्तुत करने के लिए समाचार-पत्र से अधिक अच्छा साधन और कोई नहीं है। वर्तमान युग में विचारों की (बुद्धि की) प्रधानता है। सर्वत्र बुद्धिवाद का ही बोलबाला है। तर्कसम्मत और प्रभावोत्पादक ढंग से विचारों को प्रस्तुत करना ही सफलता की कुंजी है। इसके लिए समाचार पत्र सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण साधन हैं। प्रसिद्ध विचारक श्री हेन ने ठीक ही कहा है-आजकल हम विचारों के लिए संघर्ष करते हैं और समाचार-पत्र हमारी किलेबन्दियाँ हैं।’

समाचार-पत्र का जन्म सोलहवीं शताब्दी में चीन में हुआ था।’ पीकिंग गजट’ विश्व का प्रथम समाचार-पत्र था। अंग्रेजों के आगमन के पश्चात् मुद्रण-कला के विकास के साथ-साथ भारत में भी समाचार-पत्र का प्रारंभ हुआ। भारत का प्रथम समाचार पत्र ‘इण्डिया गजट’ था। इसके बाद ईसाई पादरियों ने समाचार-पत्र निकाले। हिंदी का पहला-पत्र ‘ उदंत मार्तण्ड’ 30 मई, 1826 को प्रकाशित हुआ। यह साप्ताहिक था। तत्पश्चात् राजा राममोहन राय ने ‘कौमुदी’ और ईश्वरचंद्र ने ‘प्रभाकर’ पत्र निकाले। आजकल तो समाचार-पत्रों की बाढ़ आई हुई है।

संपूर्ण भारत में अंग्रेजी में 353, हिंदी में 2202, उर्दू में 509, तमिल में 344, मराठी में 302, कन्नड़ में 290 तथा मलयालम में 208 दैनिक समाचार पत्र छपते हैं। इनके अतिरिक्त अंग्रेजी सहित सभी भारतीय भाषाओं में 14743 साप्ताहिक तथा 5913 पाक्षिक और 12065 मासिक पत्रिकाएँ छपती हैं।

आठ क्षेत्रीय कार्यालयों और 33 कार्यालयों एवं सूचना केंद्रों द्वारा ‘पत्र सूचना कार्यालय’ विभिन्न प्रसारण माध्यमों, जैसे प्रेस विज्ञप्तियाँ, प्रेस नोटों, विशेष लेखों, संदर्भ सामग्री, प्रेस ब्रीफिंग, साक्षात्कारों, संवाददाता सम्मेलनों और प्रेस दौरों आदि की सूचना 13 क्षेत्रीय भाषाओं में आठ हजार समाचार-पत्रों तथा समाचार संगठनों तक पहुँचाता है। कंप्यूटर और इंटरनेट के माध्यम से दुनियाभर के समाचार-पत्रों को भी ये सूचनाएँ उपलब्ध हैं।

समाचार संग्रह का प्रमुख साधन है-टेलीप्रिण्टर। समाचार-पत्र कार्यालयों में लगी ये मशीनें अहर्निश टप-टप की ध्वनि में समाचारों को टंकित करती रहती हैं। टेलीप्रिण्टर को संचालित करती हैं-समाचार एजेंसियाँ। ये समाचार संग्रह की विश्व व्यापी संस्थाएँ हैं। ये अपने संवाददाताओं द्वारा समाचार संग्रह करके टेलीप्रिण्टर द्वारा समाचार-पत्रों को भेजती हैं। भारत में दो प्रमुख समाचार एजेंसियों हैं-

(1) प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (P. T. I.)

तथा (2) यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (U.N.I.)।

इनके अतिरिक्त गुट निरपेक्ष समाचार एजेंसी पूल (N.A.N.A.P.) है।

दैनिक समाचार-पत्र नवीनतम दैनिक समाचारों का दस्तावेज हैं, तो साप्ताहिक पत्र साप्ताहिक गतिविधियों के मीमांसक दर्पण पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्र-पत्रिकाएँ विषय-विशेष के रूप को उजागर करती हैं। ये विविध रूपा हैं-जैसे साहित्यिक, राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक आदि। विशिष्ट ज्ञानवर्धक सामग्री प्रस्तुत करना इनका ध्येय है।

जैसे-जैसे मानव में ज्ञान के प्रति जागरूकता बढ़ेगी, जीवन और जगत की जानकारी के प्रति जिज्ञासा जागृत होगी, संसार की अद्यतन गतिविधियों के प्रति जल बिन मीन की तरह छटपटाहट होगी, वह ‘समाचार पत्रम् शरणम् गच्छामि’ के उद्घोष को मुखरित करेगा।

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