दूरदर्शन और ज्ञानवर्धन

Doordarshan se gyanwardhan par ek hindi nibandh

संकेत बिंदु-(1) ज्ञान की वृद्धि का माध्यम (2) ज्ञानवर्धन के चार मार्ग (3) दूरदर्शन ज्ञान का विश्व-कोश (4) विविध कार्यक्रमों का विस्तारपूर्वक वर्णन (5) उपसंहार।

चेतन अवस्था में इंद्रियों और मन द्वारा बाहरी वस्तुओं, विषयों आदि का मन को होने वाला परिचय या बोध ज्ञान है। किसी बात या विषय के संबंध में होने वाली वह तथ्यपूर्ण, वास्तविक और संगत जानकारी या परिचय जो अध्ययन, अनुभव, निरीक्षण और प्रयोग आदि के द्वारा प्राप्त होता है, ज्ञान है। कुछ जानने, समझने आदि की योग्यता, वृत्ति या शक्ति ज्ञान है। ज्ञान की वृद्धि या विकास ज्ञानवर्धन है।

ज्ञान अज्ञान को दूर करता है। अच्छे-बुरे की पहचान करवाता है। सत्य से साक्षात्कार करवाता है। जीवन में आने वाले शारीरिक और मानसिक तापों के हरण का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्नति, प्रगति और उज्ज्वल जीवन के लिए पथ-प्रदर्शित करता है। इसलिए जीवन में ज्ञान का महत्त्व है, उसका वर्धन मानव का दायित्व है।

ज्ञानवर्धन के चार मार्ग बताए जाते हैं-अध्ययन, अनुभव, निरीक्षण और प्रयोग। कुछ जानने, समझने आदि की योग्यता, वृत्ति इन चारों बातों पर निर्भर है। दूरदर्शन वह चौराहा है, जहाँ ज्ञान के चारों मार्ग मिलते हैं। इसलिए दूरदर्शन ज्ञानवर्धन की गंगोत्री है। जिस प्रकार गंगोत्री से निकलकर गंगा भारत-भू को तृप्त करती है, पवित्र करती है, उसी प्रकार दूरदर्शन जनमानस में ज्ञान की गंगा बहाकर पवित्र करता है। इसी जीवन में ज्ञान के कपाट खोलकर सत्, चित् और आनंद के दर्शन करवाता है।

जीवन में उम्र के बढ़ने के साथ-साथ जो वस्तु मिलती है, उसका नाम है अनुभव। जिस जीवन से आप गुजरे नहीं, जिस कष्ट को आपने भोगा नहीं, जो गलतियाँ आपने की नहीं, उसका अनुभव आपको नहीं होगा। बाँझ को प्रसववेदना का क्या अनुभव? लघु जीवन में अतिलघु अनुभव द्वारा ज्ञान से परिचय कैसे हो। अकबर इलाहाबादी तो अनुभव की कमी पर रो पड़े-

कह दिया मैंने हुआ तजर्बा मुझको तो यही।

तजर्बा हो नहीं चुकता है कि मर जाते हैं।

संसार के दो महत्त्वपूर्ण अंग है-सृष्टि और प्रकृति। इन दोनों का पूर्ण तो क्या सामान्य निरीक्षण भी इस जीवन में असंभव है, दुर्लभ है। अतः निरीक्षण से ज्ञान प्राप्ति बहुत सीमित है।

ज्ञान का चौथा स्रोत है प्रयोग कोई नई बात ढूँढ निकालने के लिए की जाने वाली कोई परीक्षणात्मक क्रिया अथवा उसका साधन प्रयोग है। किसी प्रकार की क्रिया का प्रत्यक्ष रूप से होने वाला साधन प्रयोग है। प्रयोग बहुत दुस्साहपूर्ण होता है और जीवन में रिस्क (दुस्साहस) लेने से आदमी कतराता है। फिर कितने रिस्क लेकर आदमी कितना ज्ञान प्राप्त करेगा? अत्यंत सीमित।

दूरदर्शन ज्ञान का विश्व-कोश है। हर बुराई और अच्छाई का व्याख्याता है। करणीय-अकरणीय को बताने वाला दार्शनिक है। जीवन के पुरुषार्थों के कार्यान्वयन का प्रेरक है। प्रकृति के रहस्यों और सृष्टि के समाचारों की मुँह बोलती तस्वीर है।

नगर ही नहीं प्रांत, देश, विदेश; पृथ्वी ही नहीं पाताल और अंतरिक्ष; भू की ही नहीं अन्यलोकों की; मानव ही नहीं प्राणि मात्र की अद्यतन, नवीनतम खबरों की जानकारी देकर दूरदर्शन ‘करेंट नॉलिज’ (अद्यतन ज्ञान) प्रदान करता है। करेन्ट को अधिक करेन्ट बनाने के लिए हर 60 मिनिट बाद अपना कर्तव्य पूरा करता है। साथ ही अपनी खबरों के सत्यापन के लिए तत्सम्बन्धी चित्र भी दिखाता है। इससे अधिक प्रामाणिक और करेन्ट (सद्य) ज्ञान कहाँ से मिलेगा? राष्ट्र या विश्व में कोई अनहोनी घटना घटित हो जाए तो दूरदर्शन अपना कार्यक्रम रोक कर भी उस घटना की सूचना दर्शक को देता है। जैसे-इंदिरा जी की हत्या की सूचना।

समाचार अफवाह भी हो सकते हैं, असत्य भी। पर जब आप अपनी आँखों से समाचारों संबंधी घटनाओं को देख रहे हैं तो फिर ‘प्रत्यक्षं किम् प्रमाणम्?’ शेयर बाजारों के सूचकांक, दैनिक तापमान के उतार-चढ़ाव, गुमशुदा व्यक्तियों के बारे में सचित्र विवरण, ‘नौकरी के लिए स्थान खाली हैं’ के लाभों (नियोजन) की सूचना देना, करों के भुगतान का स्मरण करवाना भी दूरदर्शन द्वारा ज्ञानवर्धन में शामिल है।

देश का एक बड़ा भाग ग्रामों में बसता है। खेतीबाड़ी उसका व्यवसाय है। गाँव और खेती की छोटी-से-छोटी बात को विस्तारपूर्वक समझा कर यह कृषकों का ज्ञानवर्धन करता है। सच तो यह है ग्राम विकास में दूरदर्शन का बहुत बड़ा योगदान है।

हमारा देश दर्शनीय स्थलों का आगार है। कला-कृतियों का भंडार है। विश्व का महान् आश्चर्य ‘ताजमहल’ हमारे राजपूत राजाओं का करिश्मा है। इन सबको देख पाना इस जीवन में सामान्य व्यक्ति के लिए संभव नहीं। दूसरे, आप देखने भी गए तो उसका ऊपरी दर्शन मात्र कर सकेंगे। उसके निर्माण का रहस्य, कला का रोमांच, पृष्ठभूमि का इतिहास आप नहीं जान पाएँगे। मंदिर हो या मठ, ताजमहल हो या कश्मीर स्थित अमरनाथ का मंदिर, दक्षिणी-समुद्र-स्थित विवेकानंद-शिला हो या अमृतसर का स्वर्ण मंदिर दूरदर्शन इनके पूरे इतिहास के साथ-साथ कला विशेषताओं का दिग्दर्शन करवाएगा।

विदेश भ्रमण कितने लोग कर पाते हैं। विश्व की कला कृतियों को कितने लोग देख पाते हैं? उत्तर है मुट्ठीभर। दूरदर्शन विश्व के प्रत्येक राष्ट्र के दर्शन करवाएगा, उनके रहन-सहन, रीति-रिवाज़, आस्थाओं-मान्यताओं, सभ्यता और संस्कृति का विस्तार से सचित्र परिचय करवाएगा। ज्ञान बढ़ाएगा आपका। घोड़ी नहीं चढ़े तो बारात तो देखी है की कहावत सिद्ध करेगा। स्वस्थ रहने के गुर जनता को देकर दूरदर्शन उनके स्वास्थ्य की चिंता करता है। व्यायाम की उपयोगिता और योग के लाभ बताता है। भोजन द्वारा स्वास्थ्य की शिक्षा देता है।

प्रकृति के रहस्य-रोमांच का ज्ञान पुस्तकों में मिलता है या उन शूरवीरों को है जिन्होंने जान की बाजी लगाकर वहाँ तक पहुँचने की चेष्टा की है। दूरदर्शन न केवल प्रकृति के शृंगार पहाड़ (एवरेस्ट, नीलकंठ) और जलनिधि समुद्र के रहस्य रोमांचों के दर्शन तथा परिचय करवाता है अपितु अन्य लोकों (चंद्रलोक, मंगललोक) के दर्शन भी करवा कर हमारे ज्ञान को विस्तृत करता है। डिस्कवरी अर्थात् अनुसन्धान द्वारा समस्त भूमंडल के सागरों, पर्वतों, वनों और उनमें रहने वाले अनदेखे जीवों के दर्शन कराता है।

महापुरुष किसी भी राष्ट्र की धरोहर हैं। उनकी जयंतियाँ तथा पुण्यतिथियाँ मनाना राष्ट्र की ओर से श्रद्धांजलि अर्पण है। दूरदर्शन महापुरुषों के जीवन पर प्रकाश डालकर, गोष्ठियाँ आयोजित कर जनता को उनके द्वारा किए गए महान् कार्यों की जानकारी देता है। उन्हें उन जैसा बनने की प्रेरणा देता है।

सच तो यह है कि दूरदर्शन स्रष्टा से सृष्टि तक, जीवन से लेकर मृत्यु तक आविष्कार से लेकर उपयोग तक, परिवार से लेकर समाज तक, धर्म से लेकर राजनीति तक, कला से लेकर विज्ञान तक, विश्व से लेकर ब्रह्माण्ड तक, सबका ज्ञान परोसने वाला अद्भुत यान्त्रिक साधन है।

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