गुलाबी नगर ‘जयपुर’

gulabi shahar jaypur rajsthan par ek shandaar hindi nibandh

संकेत बिंदु-(1) जयपुर ‘गुलाबी नगर ‘ (2) भौगोलिक स्वरूप (3) ऐतिहासकि पर्यटन स्थल (4) जयपुर का जंतर-मंतर (5) उपसंहार।

राजस्थान की राजधानी ‘जयपुर’ ‘गुलाबी नगर ‘ के नाम प्रसिद्ध है। सन् 1875 में इंग्लैंड का राजकुमार (रानी विक्टोरिया का पुत्र) जयपुर आया था तो जयपुर के महाराजा ‘सवाई राम सिंह’ ने जयपुर के मुख्य बाजार को गुलाबी परदों से सजाया था। उस समय से गुलाबी रंग इस शहर की इमारतों की विशेषता बन गया और जयपुर ‘गुलाबी शहर’ बन गया।

जयपुर के तीन ओर एशिया की सबसे पुरानी पर्वत शृंखला अरावली की पहाड़ियाँ हैं। शहर के चारों ओर एक दीवार है। इसमें 7 प्रवेश द्वार हैं। जयपुर 6 आयताकार भागों में बँटा है, यह समुद्र की सतह से 431 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। जयपुर की स्थापना सवाई राजा जय सिंह ने सन् 1727 में की थी। उनके नाम पर इस शहर का नाम जयपुर पड़ा। जय सिंह ने भारतीय ग्रंथ ‘शिल्पशास्त्र’ के आधार पर योजनाबद्ध तरीके से शहर का निर्माण कराया। इसलिए जयपुर आज भी सुंदर रास्तों एवं इमारतों की एक-सी बनावट हेतु प्रसिद्ध है। गुलाबी नगर जयपुर आज भी अपनी सुंदरता और एकरूपता के लिए प्रसिद्ध है।

सितंबर से मार्च तक का समय जयपुर में घूमने के लिए अच्छा समय है, भारत के किसी भी स्थान से जयपुर हवाई जहाज, रेल एवं बस द्वारा पहुँचा जा सकता है। जयपुर में हिंदी, राजस्थानी एवं उसकी उपबोली ‘केरादी’ बोली जाती है। दिल्ली से जयपुर के लिए ‘पिंक सिटी एक्सप्रैस अच्छी गाड़ी है। पर्यटक आसानी से आकर जयपुर घूम सकते हैं।

जयपुर एक ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है। और इस नगर में तथा इसके आस पास अनेक ऐतिहासिक स्थल स्थित हैं। ‘सिटी पैलेस’ जयपुर शहर के बीचों बीच स्थित है। यह शहर के लगभग 1/7 क्षेत्र में फैला हुआ है। यह इस समय संग्रहालय है। इसमें राजपूत एवं मुगलकालीन चित्रकारी के सुंदर नमूने, दुर्लभ पांडुलिपियाँ, मूर्तियाँ, कालीन एवं एक शस्त्रंगार है। सिटी पैलेस में जाने के कई दरवाजे हैं किंतु त्रिपोलिया द्वार ठीक महल में पहुँचाता है। अंदर जाकर पहली इमारत ‘मुबारक महल’ दिखती है। जिसे राजा माधो सिंह ने बनवाया था, इसके बाद ‘दीवाने आम’ एवम् ‘ दीवाने खास’ है। इसके बाद ‘चंद्र महल’ आता है। इस महल की ऊपरी मंजिल ‘मुकुट महल’ कहलाती है, इससे सारे शहर का सुंदर दृश्य दिखता है, चंद्र महल के उत्तर में गोविंद देव का मंदिर है, महल के अंदर हथियारों का संग्रह है। जयपुर के अन्य ऐतिहासिक स्थलों में जयपुर का हवा महल भी अपनी विशालता और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। इसका निर्माण महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने सन् 1799 में करवाया था, इस इमारत की शिल्पकला का सौंदर्य अत्यंत मनमोहक है, यह पाँच मंजिला भवन है। इसके 8 कोनों वाले झरोखे, शानदार गुम्बदें, वक्ररेखीय छत एवं कलश इमारत की सुंदरता को चार चाँद लगा देते हैं। यह ऐतिहासिक इमारत शिल्पकला का खूबसूरत नमूना है पर्यटक इसे देखकर मुग्ध हो जाते हैं।

जयपुर का जंतर-मंतर अन्य पाँचों जंतर-मंतरों दिल्ली, मथुरा, उज्जैन, वाराणसी एवं जयपुर में से सबसे विशालतम और सुंदर है। इसे सन् 1726 में महाराजा जय सिंह द्वारा बनवाया गया था, यह सिटी पैलेस के पास ही है। जयपुर के आस-पास भी अनेक ऐतिहासिक स्थल हैं, इनमें जयपुर से लगभग 11 कि.मी. दूर दिल्ली-जयपुर रोड़ पर बंजर पहाड़ियों पर बना आमेर का किला प्राचीन एवं शानदार है। प्राचीनकाल में आमेर जयपुर की राजधानी था। सन् 1150 में ‘कुशवाहों’ के एक वंशज ‘घोलराम’ ने आमेर को अपनी राजधानी बनाया था, वर्तमान किला अकबर के सेनापति राजा मान सिंह (1592-1615) ने बनवाया था इसके बाद राजा जय सिंह ने इसका पूरा निर्माण करवाया था, यह भवन-निर्माण कला का बेजोड़ नमूना है इसके दीवाने आम, जय सिंह महल, सुख निवास, जल महल, जय मंदिर एवं काली मंदिर दर्शनीय हैं।

जयपुर से लगभग 30 कि.मी. दूर बानगंगा नदी पर बाँध बनाकर ‘रामगढ़ झील’ का निर्माण किया है। यह झील भी सैलानियों के लिए एक प्रमुख पिकनिक स्थल है। और यहाँ पर पर्यटक नौकायन का भी आनंद उठाते हैं।

अतः जयपुर आइए, यहाँ घूमिए, राजस्थान की प्रसिद्ध दस्तकारी की वस्तुएँ, सांगानेरी वस्त्र, कशीदाकारी के जूते-चप्पल, हाथी दाँत एवं चंदन की वस्तुएँ आदि खरीदिए। गुलाबी शहर की सैर कर गुलाबी मन से घर वापस आइए।

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