दैनिक जीवन में विज्ञान

Importance of science in our day to day life

संकेत बिंदु-(1) विज्ञान, मानव का सच्चा मित्र (2) दिनचर्या का आरंभ वैज्ञानिक वस्तुओं से (3) विज्ञान के आविष्कार से बनी वस्तुएँ (4) कार्यालय में विज्ञान प्रदत वस्तुओं का प्रयोग (5) उपसंहार।

दैनिक जीवन में विज्ञान मानव का सच्चा दोस्त है, जो मित्र के कल्याण में रत रहता है और पग-पग पर उसकी शारीरिक और मानसिक चिंताओं को कम करने में योग देता है। जीवन को सरल, सुविधापूर्ण और सरस बनाने में अपना कर्तव्य समझता है।

स्वेट मार्टेन ने कहा है-‘हमारा सदा यही लक्ष्य रहा है कि हमारा जीवन सुख और आनंद से परिपूर्ण हो।’ महाकवि जयशंकर प्रसाद प्रसन्नता को ही जीवन का सत्य मानते हैं। सत्य का अर्थ है – विज्ञान। कारण, विज्ञान सत्य का सार है। अतः जीवन में सुख, आनंद और प्रसन्नता के लिए विज्ञान परमावश्यक है। विज्ञान ने संपूर्ण जीवन को आज न केवल भौतिक सुविधाओं से परिपूर्ण किया है, अपितु मनुष्यों के दैनिक जीवन में भी सुविधाओं का अंबार लगा दिया है।

दिनचर्या आरंभ होती है ब्राह्ममुहूर्त में शय्या त्यागने के उपरांत। शौच आदि से निवृत्त होकर दाँत साफ करने के पश्चात् बिजली के शेवर से अपनी शेव करते हैं, कुकिंग गैस और कूकर प्रातराश (सुबह का भोजन) और भोजन तैयार करते हैं। टूथपेस्ट, दंत मंजन, शेवर, गैस, कूकर विज्ञान के आविष्कार हैं। यदि चाय में पड़ने वाली चीनी कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बनी वैज्ञानिक देन ही तो है तो भोजन कृषि विज्ञान की देन है।

नगरों के दैनिक जीवन में तलब होती है समाचार-पत्र की। समाचार पत्र क्या है? दुनिया की ताजा खबरों का संग्रह और विशेष घटनाओं पर संपादकीय और विशेष लेख। समाचार संग्रह का विशेष साधन है टेलीप्रिंटर। मुद्रण का साधन है विशालकाय छापे की मशीनें। छपता है कागज पर। ये सब प्रक्रिया और साधन विज्ञान की देन हैं जिससे आदमी दैनिक जीवन का ‘करेंट नॉलेज मैन’ अर्थात् सद्यज्ञानी बन जाता है।

काम पर जाएँगे तो दोपहर का भोजन भी साथ ले जाएँगे। भोजन ठंडा हो गया तो खाने का मजा किरकिरा हो जाएगा। इसलिए विज्ञान ने एअर टाइट फूड-फ्रीजर लंच बॉक्स बनाए। अब आप जब भी खाएँगे, खाना गर्म ही रहेगा।

आपने काम पर जाना है। पैदल जाएँगे? नहीं। कारण समय अधिक लगेगा, पैदल चलने से थकान बढ़ेगी। विज्ञान ने कृपा की। काम पर जाने के लिए साइकिल, मोटरसाइकिल, स्कूटर, कार, बस, ट्राम, ट्रेन बना दीं। अब आप आराम से कम समय में, बिना थके काम पर पहुँच सकते हैं।

कार्यालय पहुँचे। हाय राम ! चार-पाँच मंजिलें चढ़नी पड़ेंगी। नानी दादी याद आएगी। नहीं साहब, नानी दादी याद न कीजिए। विज्ञान ने ‘लिफ्ट’ प्रदान कर दी। लिफ्ट में खड़े हुए, बटन दबाया और एक मिनिट में चौथी या पाँचवीं मंजिल पर पहुँच गए।

कार्यालय में अंधेरा है, दूकान में प्रदर्शित वस्तुओं के लिए प्रकाश चाहिए। विज्ञान ने प्रकाश का प्रबंध कर दिया, विद्युत् प्रदान कर। बटन दबाया और कार्यालय प्रकाश से भर गया। इस प्रकाश में भी आपके नयन आपका साथ नहीं दे रहे। विज्ञान ने कहा, ‘लो बेटा! चश्मा ले और आँखों पर चढ़ा। तुझे सब कुछ दिखाई देगा। चश्मों में बोझ लगता है तो कानटेक्ट लेंस लगवा लो।’

कार्यालय में काम करते थक गए या सिर-दर्द हो गया। चक्कर आने लगे। सिर पकड़ कर बैठ गए। तभी विज्ञान ने आपको उठाया। थकान है तो विटामिन ‘बी कंपलेक्स’ की गोली लो। सिर-दर्द है तो एस्प्रो या एनासिन लो। बेल्ड प्रेशर है तो ‘कलकीगार्ड’ की एक गोली खालो। मन उदास न करो। विज्ञान ने कहा, मैं तुम्हारे साथ हूँ।

आज सर्दी बहुत है। नजला, जुकाम और खाँसी ने चेहरा बिगाड़ दिया है। नाक पोंछते-पोंछते रूमाल भी जवाब दे गया। ऊपर से हरारत ! हाय माँ ! कहीं बुखार न हो जाए। विज्ञान ने मानव को झकझोरा। पीठ पर थपकी दी। ‘जा कोलड्रिन, विक्स या क्रोसीन ले ले।’ तंग करने और चेहरा बिगाड़ने वाली बीमारी छू मंतर हो जाएँगी। आदमी खुश !

आदमी का पैर फिसला। चोट लग गई। घुटनों में दर्द हुआ और गैस की कुकृपा से हाथ जल गया तो आदमी रोया-चिल्लाया। प्रभु विज्ञान ने मानव को सुझाया चोट पर ‘आयोडेक्स’, घुटनों पर ‘ मूव’ और जले पर ‘बरनोल’ लगा।’ तेरा कष्ट दूर हो जाएगा।

इतना ही नहीं, यदि दैनिक जीवन में और कोई भी रोग या कष्ट होता है तो डॉक्टर के पास जा। वह मेरे वरदान से तुझे ठीक कर देगा।

कार्यालय की फाइलें, योजनाएँ, जोड़-गुणा-घटा का हिसाब करते-करते तंग आ गया। विज्ञान ने मानव के सिर पर आशीर्वाद का हाथ रखा और उसे ‘कंप्यूटर’ रूपी खिलौना दे दिया। ‘ले प्रज्ञा ! तू दिमाग न खराब कर। तेरा दिमागी काम यह करेगा, वह भी अत्यल्प समय में।’

शाम को थका-माँदा आदमी घर पहुँचा। चाय या काफी पीकर शरीर में स्फूर्ति आई, पर मन ! उसे चाहिए मनोरंजन। विज्ञान ने हँसकर आदमी को गुद्गुदाया। दूरदर्शन का बटन दबा और मनोरंजन कर मनोरंजन ही नहीं ज्ञानवर्धन भी। अब तो मैंने इसमें अनेक चैनल भर दिए हैं ताकि रात-दिन इसे देखता रहे और कभी उदास न हो। वैसे आकाशवाणी भी तेरा मनोरंजन कर सकती है।

दिनचर्या का अंतिम पड़ाव है शय्या आदमी शय्या पर लेट गया, किंतु नींद नहीं आ रही। आदमी घबरा गया, नींद नहीं आएगी तो प्रातः शरीर टूटा टूटा रहेगा विज्ञान ने मानव के सिर पर आशीर्वाद का हाथ रखा और ‘स्लिीपिंग पिल्स’ खिला दी। मनुष्य खर्राटे लेने लगा। दैनिक जीवन में विज्ञान ने अपने प्रयोग पर सदा सचेत और सावधान रहने की हिदायत भी दी। उसे समझाया। मेरे जरा से गलत प्रयोग से तुम भयंकर हानि उठा सकते हो। बटन की जगह नंगे तार पर हाथ लगा दिया तो सीधे यमपुरी पहुँच जाओगे। अगर गैस का बटन बंद नहीं किया तो रिस-रिस कर घर को ‘ओम् स्वाहा’ कर देगी।

इस प्रकार विज्ञान ने दैनिक जीवन में पग-पग आने वाली कष्ट कठिनाइयों को यथासंभव दूर कर जीवन को सुख-सुविधापूर्ण बना दिया है।

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Avinash Ranjan Gupta

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