संकेत बिंदु-(1) खेल मनुष्य के लिए उपयोगी (2) विशिष्ट अतिथि के रूप में (3) खेल प्रारंभ और मध्यावकाश का निर्णम (4) मध्मावकाश के बाद का खेल (5) उपसंहार।
खेल मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी हैं। विशेषकर विद्यार्थी जीवन में खेलों का बहुत महत्त्व है। खेलकूद से शरीर तो स्वस्थ रहता ही है, चरित्र-निर्माण भी होता है। खेल के मैदान में हमें अनेक अच्छी बातें सीखने को मिलती हैं। परस्पर सहयोग एवं सहनशीलता खेलों की सबसे बड़ी देन है। इसी को ‘खेल भावना’ (Sportsman Spirit) कहा जाता है। खेल भावना के विकास के लिए भिन्न-भिन्न स्तरों पर मैच आयोजित किए जाते हैं। प्रायः सभी खेलों में अंतर्विद्यालयीय मैचों से लेकर अंतर्राष्ट्रीय मैच तक प्रचलित हैं। मैच (प्रतियोगिता) का दृश्य बड़ा ही आकर्षक और प्रसन्नताप्रद होता है। लीजिए एक अंतर्विद्यालयीय हॉकी मैच का आनंद।
इस वर्ष ‘सीनियर सेकेंडरी स्कूल हॉकी टूर्नामेंट’ का फाइनल मैच गवर्नमेंट वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय और डी.ए.वी. वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के बीच वसंत पंचमी के दिन हुआ। स्थान था, शिवाजी हॉकी स्टेडियम। मैच सायंकाल 5 बजे से आरंभ होना था।
साढ़े चार बजे से ही लोगों का आना शुरू हो गया था। पौने पाँच बजे दिल्ली के शिक्षा मंत्री महोदय पधारे। आज के मैच की विशेष अतिथि वही थे। समय पर मैदान भर चुका था। ठीक पाँच बजे से पाँच मिनट पूर्व दोनों स्कूलों के खिलाड़ी मैदान में उतरे। गवर्नमेंट स्कूल के खिलाड़ी सफेद कमीज और खाकी निक्कर पहने थे तथा डी.ए.वी. स्कूल के खिलाड़ियों का गणवेश था पीली जर्सी और नीली निक्कर। पहले दोनों ओर के खिलाड़ियों ने पंक्तिबद्ध खड़े होकर माननीय मुख्य अतिथि को बालचर-प्रणाम किया और उसके बाद उन्होंने खेल के मैदान में अपनी पोजीशन ले ली।
ठीक पाँच बजे निर्णायक (रेफरी) की सीटी की आवाज पर दोनों ओर के कप्तान उपस्थित हो गए। निर्णायक ने दिशाओं का निर्णय करने के लिए टॉस किया, जिसमें डी.ए.वी. स्कूल जीता। दिशा-निर्णय होने पर दोनों ओर के खिलाड़ी यथा-स्थान खड़े हो गए। निर्णायक की दूसरी सीटी बजते ही दोनों स्कूलों के अग्रसरों ने परस्पर तीन बार हॉकी छुआकर खेल प्रारंभ किया।
खेल आरंभ हुए पाँच मिनट भी नहीं बीते थे कि डी.ए.वी. स्कूल के खिलाड़ियों ने अकस्मात् गवर्नमेंट स्कूल पर एक गोल कर दिया। बस, विद्यार्थियों में हलचल मच गई। डी.ए.वी. स्कूल के विद्यार्थी लगे ताली बजाने। कुछ उछल-उछलकर अपने स्कूल की जय-जयकार कर रहे थे। गवर्नमेंट स्कूल वालों के चेहरे उदास हो गए, फिर भी वे खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर रहे थे।
गोल होने के बाद पुनः खेल शुरू हुआ तो गवर्नमेंट स्कूल के विद्यार्थी अधिक सतर्क और सक्रिय थे। उन्होंने गोल करने की बार-बार कोशिश की, किंतु सफलता न मिली। इस भाग-दौड़ में निर्णायक की सीटी बज गई और मध्यावकाश हो गया।
मध्यावकाश का दृश्य दर्शनीय था। डी.ए.वी. स्कूल के विद्यार्थी अपने खिलाड़ियों को शाबाशी दे रहे थे और गवर्नमेंट स्कूल के विद्यार्थी अपने खिलाड़ियों को डाँट रहे थे, किंतु उनके शिक्षक महोदय कह रहे थे-‘घबराने की कोई बात नहीं। हिम्मत से काम लोगे तो एक की क्या बात है, दो गोल कर दोगे।’
निर्णायक की सीटी के पश्चात् खेल पुनः आरंभ हुआ। इस बार टीमों ने गोल की दिशा बदल ली थी। इस बार खेल में गवर्नमेंट स्कूल के खिलाड़ी गोल करने की जी-तोड़ कोशिश कर रहे थे। सौभाग्य से एक बार गेंद डी.ए.वी. स्कूल के गोल की सीमा तक पहुँच भी गई। एक खिलाड़ी ने बड़ी शान से हिट जमा दी, किंतु गोलकीपर की सावधानी से गेंद गोल के अंदर न जा सकी।
गेंद अधिकतर गवर्नमेंट स्कूल के गोल के समीप ही रहती थी, किंतु दूसरा गोल नहीं हो रहा था। उधर गोल करने के लिए मानों गेंद ने उन्हीं के गोल के समीप रहने की कसम खाई थी। इस चक्कर में खेल समाप्त होने में कुल पाँच मिनट शेष रह गए। एकाएक गेंद डी.ए.वी. स्कूल के गोल के समीप गई। एक खिलाड़ी ने जोर से हिट मारी और गेंद गोल के अंदर पहुँच गई और गवर्नमेंट स्कूल के खिलाड़ियों की जान में जान आई।
अब तीन मिनट बाकी थे। दोनों ओर के खिलाड़ी जान की बाजी लगाकर खेल रहे थे। गवर्नमेंट स्कूल का सितारा तेज था। निर्णायक की सीटी बजने को ही थी कि गेंद डी.ए.वी. स्कूल के गोल में पहुँची हुई थी। मरते-मरते गवर्नमेंट स्कूल ने एक गोल से बाजी मार ली।
गवर्नमेंट स्कूल के खिलाड़ियों को उनके साथी कन्धों पर उठा-उठाकर खुशियाँ प्रकट कर रहे थे। गवर्नमेंट स्कूल के कप्तान ने ‘डी.ए.वी. स्कूल : हिप हिप हुर्रे’ का तीन बार नारा लगवाया। उधर डी.ए.वी. स्कूल वालों के चेहरे फीके पड़े हुए थे। इतना अवश्य है कि जीत चाहे गवर्नमेंट स्कूल की हुई, किंतु उन्हें भी जीवन भर स्मरण रहेगा कि पाला किसी बलवान् से पड़ा था।
दस मिनट की अशांति के पश्चात् प्रबंधकों ने शांति स्थापित करवा दी। आदरणीय अतिथि ने ‘खेल और स्वस्थ प्रतियोगिता’ का महत्त्व समझाते हुए एक संक्षिप्त भाषण दिया और अंत में गवर्नमेंट स्कूल के कप्तान को अपने कर-कमलों से विजय की प्रतीक ‘शील्ड’ प्रदान की। शिक्षा निदेशक ने आदरणीय अतिथि महोदय का धन्यवाद करते हुए कार्यक्रम- समाप्ति की घोषणा की।