कंप्यूटर के चमत्कार

manushya ke jeevan men kamputer ka mahattav par hindi nibandh

संकेत बिंदु-(1) श्रम और समय की बचत (2) चुनावों और बैंकों में सहायक (3) मीडिया और अन्य आपदाओं में कारगर (4) चिकित्सा और अपराध अंकुश में मददगार (5) उपसंहार।

आज का व्यक्ति समय और श्रम की बचत तथा काम में आधा माशा पाव रत्ती ‘एक्युरेसी’ (पूर्णता और शुद्धता) चाहता है। इसलिए उसे जरूरत पड़ी स्वचालित ‘कलों’ की, ताकि मेधा और हाथों का काम इलेक्ट्रानिक्स द्वारा हो जाए। कंप्यूटर इस मानव इच्छा का साकार रूप है। यह चौबीसों घंटे काम करते थकता नहीं, विश्राम के लिए रुकता नहीं। दूसरे, उसका मस्तिष्क दैवी मस्तिष्क है। उससे गलती, भूल या अशुद्धि की संभावना ही नहीं हो सकती। रही विलंब की बात, यह शब्द तो उसके शब्द-कोश में है ही नहीं। चट मँगनी पट ब्याह। कंप्यूटर का बटन दबाइए, उत्तर आपके सामने प्रस्तुत है। 6-6 अंकों का जोड़ घटा, गुणा, भाग एक सेकिण्ड में लीजिए। आप चाहें तो 30 लाख संक्रियाएँ (Operations) एक साथ कर सकते हैं। एक विशेषता और कंप्यूटर ने जटिलतम गणनाओं का हल ही नहीं निकाला, उनका संग्रह और विश्लेषण भी किया।

हिसाब करने की शक्ति, सही तथ्य खोजने का सामर्थ्य और अत्यल्प समय में बहुत अधिक काम कर सकने के कारण कंप्यूटर को ‘इलेक्ट्रानिक मस्तिष्क’ भी कहते हैं। सच्चाई ऐसी है नहीं। कंप्यूटर तो एकत्रित आँकड़ों का इलेक्ट्रानिक विश्लेषण प्रस्तुत करने वाली मशीन है। सुपर कंप्यूटर अर्थात् सर्वाधिक तेज गति से गणनाएँ और विश्लेषण करने वाली इलेक्ट्रोनिक मशीन।

इन्सेट एक उपग्रह है। यह मौसम की जानकारी ही नहीं देता, दूरदर्शन, दूरभाष प्रसारण में सहयोग भी करता है। यह सब कंप्यूटर की कृपा का परिणाम है। अत: कंप्यूटर के सहयोग के अभाव में इन्सेट या अन्य कोई भी उपग्रह न तो अंतरिक्ष में पहुँच सकता है और न ही वहाँ परिक्रमा कर सकता है।

गणना और फाइलिंग की समस्या बैंक प्रणाली की सिरदर्दी है। कंप्यूटर ने इस सिरदर्दी को दूर कर दिया। बैंक बैलेंस शीट तैयार करने में जहाँ एक-एक मास तक लगता था, वहाँ कंप्यूटर कुछ ही मिनिटों में तुलन-पत्र बनाने लगा। दूसरा लाभ एक और हुआ। आपका खाता दिल्ली के किसी बैंक की कम्प्यूटराइज्ड शाखा में है। आपको अपने कलकत्ता या बम्बई प्रवास में पैसे की जरूरत पड़ गई। आप उस बैंक की वहाँ की शाखा से चैक देकर रुपया ले सकते हैं। कारण, वहाँ का कंप्यूटर आपके दिल्ली खाते का बैलेंस देख सकता है।

अब बिजली, पानी, दूरभाष आदि के सरकारी बिल कंप्यूटर बनाने लगा है। रेलवे, बस तथा हवाई जहाज की किसी भी शहर की ‘ एडवांस बुकिंग’ किसी भी शहर में बैठकर कंप्यूटर से संभव है। समय और सिर दर्द, दोनों की बचत। फाइलिंग का स्थान कंप्यूटर फ्लापी, डिस्क, पेनड्राइव और हार्डडिस्क ने ले लिया। एक अलमारी में यदि सौ फाइलें आती हैं तो उतने ही स्थान में एक सहस्र फ्लापी, डिस्क, पेनड्राइव और हार्डडिस्क रखी जा सकती हैं।

आज यान दुर्घटना आम बात है। क्यों हुई? यह पता लगाना टेढ़ी खीर है। 23 जून, 1985 को भारत का एक बोइंग विमान ‘कनिष्क’ आकाश में ही नष्ट हो गया। 321 यात्री तथा चालक दल के सभी सदस्य मारे गए। उसके ‘ब्लैक बॉक्स’ की तलाश की गई। वह मिला और दुर्घटना के कारण का पता चला। ब्लैक बॉक्स यानी कंप्यूटर।

पुस्तक, समाचार पत्र, पत्र-पत्रिकाएँ ज्ञानवर्धन के सर्वश्रेष्ठ साधन हैं। पहले इनका मुद्रण हाथ की कम्पोजिंग से होता था। सैकड़ों हाथ मिलकर एक समाचार-पत्र को प्रातः निकाल पाते थे। कंप्यूटर ने कम्पोजिंग की। श्रम शक्ति बची। जो कम्पोजिंग घंटों में होती थी, अब मिनिटों में होने लगी। डिजाइन चित्रों के लिए ब्लॉक बनते थे। यह काम भी कंप्यूटर करने लगा। डिजाइनिंग, स्केचिंग तथा ब्लॉक की समस्या समाप्त। अखबार लाखों की संख्या में छपता रहता है, कंप्यूटर गिनता रहता है। कंप्यूटर की कृपा से पुस्तकों का भाषांतरण, समितियों का प्रतिवेदन मिनटों में तैयार। झंझट खत्म।

भवन-निर्माण, क्षेत्र विशेष का विकास, परिसर का नियोजन, आज का महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। इसके लिए चाहिए शिल्पकार। इस कार्य के लिए शिल्पकार को चाहिए पर्याप्त समय। कंप्यूटर का डिजाइनिंग प्रोग्राम क्षेत्र की लंबाई, चौड़ाई और आंकड़ों के अनुसार कुछ ही घंटों में नक्शा तैयार कर देता है। कम समय में उत्तम काम करने का श्रेय मिला कंप्यूटर को।

चिकित्सा क्षेत्र में कंप्यूटर जीवन-रक्षक कवच बन कर अवतरित हुआ। शरीर में रासायनिक परिवर्तन, स्नायुओं की गतिविधि, रोगों का निदान और औषधियों का विधान, शल्यक्रिया और अंगरोपणों का निरीक्षण का दायित्व कंप्यूटर ने अपने ऊपर ले लिया।

फैशन की दुनिया में कंप्यूटर इष्ट देवता है। कारण, ड्राइंग, डिजाइनिंग के विविध प्रयोगों का यह कोश है। कंप्यूटर पर विविध रंगीन आर्ट को पसंद कीजिए और फैशन का डिजाइन बनाइए।

कंप्यूटर को दूरभाष लाइन से जोड़कर समूचे विश्व की सूचनाएँ प्राप्त की जा सकती हैं, और भेजी भी जा सकती हैं।

कंप्यूटर को रोबोट जैसी मशीनों के साथ जोड़कर वेल्डिंग, पेंटिंग, कचरा साफ करना, परमाणु भट्टी के समीप काम करना, भारी सामान की संभालने जैसे कष्टकर भयप्रद और श्रम साध्यं काम भी कराए जा सकते हैं। इतना ही नहीं कंप्यूटर पर अनेक और विविध खेल खेले जा सकते हैं, पहेलियाँ बुझाई जा सकती हैं।

विदेशों में अपराध पर अंकुश लगाने का काम भी कंप्यूटर कर रहा है। अमेरिका के प्रसिद्ध वैज्ञानिक चार्ल्स फ्रायट ने ‘फेस’ नामक ऐसा कंप्यूटर तैयार किया है जिसमें जिस स्थान पर अपराध होगा उस घटना स्थल के निरीक्षण के लिए जो व्यक्ति जाएगा उसके कानों के पीछे एक सॉकेट जैसा उपकरण लगाया जाएगा। यही उपकरण घटनास्थल की तरंगों को पकड़ेगा। सॉकेट जैसा उपकरण बाल और अंगुलियों के निशान आदि से कंप्यूटर स्क्रीन पर अपराधी का रेखाचित्र तैयार करेगा। बाद में साइबरनेटिक्स की सहायता से उसका पूरा शरीर तैयार हो जाएगा। कैलीफोर्निया, ओरेगान व फ्लोरिडा में पुलिस व गुप्तचर संस्थाएँ अपराधी को पकड़ने में इस कंप्यूटर की मदद लेने लगी हैं।

सुपर कंप्यूटर से पृथ्वी पर पड़ने वाले सभी ग्रहों के प्रभाव की गणना कर सकते हैं। ‘चिकित्सक शरीर के भीतरी अंगों के त्रि-आयामी चित्रों का नजारा सुपर कंप्यूटर के जरिए ले सकते हैं। सुपर कंप्यूटर के माध्यम से कार और हथियारों के डिजाइन से लेकर किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसे चलती है, इसकी भी जानकारी पायी जा सकती है। सुपर कंप्यूटर आकाशगंगाओं की टक्कर और उससे होने वाले परिणामों की जानकारी देने के अलावा पृथ्वी के वातावरण की बनावट संबंधी जानकारी भी दे सकता है। फ्रियॉन सहित अन्य प्रदूषणकारी तत्त्वों का पर्यावरण पर क्या और कैसे विपरीत प्रभाव पड़ सकता है, इसकी भी गणना सुपर कंप्यूटर द्वारा की जा सकती है।

कंप्यूटर विज्ञान का वरदान है। स्वचालित मशीनों के समूह का नाम है। अथाह मस्तिष्क मेधा का पुरोधा है। शुद्ध और प्रामाणिकता की साक्षात् प्रतिमा है। गणितीय और व्यावहारिक कार्यों का जादूगर है। समय और श्रम की बचत का साधन हैं। इसलिए जीवन और जगत के लिए इस कल्पवृक्ष की आवश्यकता ही नहीं, नितांत अनिवार्यता भी है।

About the author

हिंदीभाषा

Leave a Comment

You cannot copy content of this page