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समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता / समय का सदुपयोग

use of time samay ka sadupayog par hindi nibandh

संकेत बिंदु – (1) बिना विलंब और यथा-समय कर्म (2) समय की उपेक्षा करने वाले दुखी (3) प्रकृति, समय के सदुपयोग की गुरु (4) प्रत्येक कार्य के समय निश्चित (5) गाँधीजी और नेहरू जी प्रेरणा स्रोत।

अपने कर्तव्य कर्म को बिना विलंब यथा समय करना ही समय का सदुपयोग है। जिस समय जो कार्य करना अपेक्षित है, उस समय वही कार्य करना समय का सदुपयोग है। परिस्थिति और परिवेश को समझ कर अपना कार्य सिद्ध करना समय का सदुपयोग है।

योग वाशिष्ठ का कथन है-

कार्यमण्वपि काले तु कृतमेत्युपकारताम्।

महानत्युकारोऽपि रिक्ततामेत्यकालतः॥

अर्थात् ठीक समय पर किया हुआ थोड़ा-सा भी कार्य बहुत उपयोगी होता है और समय बीतने पर किया हुआ महान् उपकार भी व्यर्थ हो जाता है। अंग्रेज दार्शनिक बेकन ने भी कहा, ‘समय का उचित उपयोग, समय की बचत है।’ समय का सदुपयोग सफलता की कुंजी है, सुशीलता का चिह्न है, प्रगति का लक्षण है, श्रेष्ठ स्वभाव का परिचायक है और है शुभ जीवन तथा लक्ष्मी का अक्षय भंडार।

‘जीवेम शरदः शतम्’ अर्थात् सौ वर्ष तक हम जीएँ की कामना करके वैदिक ऋचाओं में जीवन की सीमा बाँध दी है, पर सौ वर्ष की आयु तो गिनती में गिनने योग्य लोग ही प्राप्त कर पाते हैं। आज की औसत आयु सत्तर वर्ष है। लीजिए, 30 वर्ष जीवन में वैसे ही कम हो गए। इधर, काल देवता अपनी इच्छा का स्वामी है। उसकी जब इच्छा होती है, वह ले जाता है। औसत आयु की भी प्रतीक्षा नहीं करता। इसलिए जीवन में अपने दायित्व की उचित पूर्ति के लिए समय का सदुपयोग नितांत आवश्यक है। दूसरे शब्दों में, जीवन की सफलता का रहस्य समय के सदुपयोग में ही छिपा है।

जो व्यक्ति दिनचर्चा का सदुपयोग करने में अर्थात् व्यायाम, भोजन और विश्राम में ढील दिखाएगा उसे रोग चित कर देगा। जिस व्यक्ति ने समय और परिस्थिति को पहचानते हुए भी उसकी उपेक्षा की अर्थात् उचित समय पर कर्तव्य-कर्म न किया, वह नष्ट हो गया। कारण, समय की उपेक्षा करने वालों को समय स्वयं नष्ट कर देता है। नेपोलियन का सेनापति ग्रूसी युद्ध क्षेत्र में केवल पाँच मिनट देर से आया। बस, युद्ध का पासा ही पलट गया। नेपोलियन पराजित हो चुका था।

कार्यों के लिए नियत किए गए समय पर यदि वे न किए जाएँ तो पछताना पड़ता हैं। संस्कृत के एक सुभाषित में कहा है-

प्रथमे नार्जिता विद्या द्वितीये नार्जितं धनम्।

तृतीये नार्जितं तपः चतुर्थे किं करिष्यति॥

जिसने प्रथमावस्था में (बाल्यावस्था में) विद्या नहीं पढ़ी, द्वितीयावस्था में (यौवन में) धन न कमाया और तृतीय अवस्था (प्रौढ़ावस्था में) तप न किया, वह चतुर्थावस्था में (बुढ़ापे में) क्या करेगा?

अंग्रेजी में एक कहावत है, ‘Strick when the iron is hot.’ अर्थात् लोहा जब गर्म हो तभी चोट कीजिए, अन्यथा प्रभाव शून्य हो जाएगा। प्रकारांतर से यही समय का सदुपयोग है। कैकैयी ने वर माँगने के लिए सुअवसर चुना तो उसे वर प्राप्त हुए। कृष्ण तो समय के सदुपयोग के महान द्रष्टा थे। उन्होंने पार्थ से कहा, ‘देख अभी दिन शेष है,’ परिणामतः जयद्रथ वध हो गया। कर्ण का पहिया भूमि में धँसा है, ‘चला बाण।’ कर्ण धराशायी हो गया। दुर्योधन का शरीर माँ के आशीर्वाद से वज्रसम है। अतः हे भीम, तू उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा, इसलिए जंघा तोड़। जंघा टूटी और दुर्योधन गिर गया। पांडवों की महाभारत-विजय समय के सदुपयोग का प्रत्यक्ष उदाहरण है।

प्रकृति समय के सदुपयोग की गुरु है। ब्राह्म मुहूर्त सैर और व्यायाम का निमंत्रण देता है; प्रातः काल कर्मक्षेत्र की तैयारी के लिए प्रेरित करता है। मध्याह्न कर्म में निष्ठापूर्वक जुटने का आह्वान करता है। सायंकाल मनोरंजन की प्रेरणा देता है तो रात्रि सुख स्वप्नों में खोने को लालायित करती है। ग्रीष्म तेज का, वर्षा जल का तथा शरद शरीर की पुष्टि करके लाभ उठाने का समय है। पुष्प कहते हैं, हम विकसित हैं, फल कहते हैं हम पक चुके हैं, साग-सब्जियाँ कहती हैं, हम पूर्ण यौवन को प्राप्त हैं, हमें तोड़ने का यही उचित समय है। इस समय का सदुपयोग करो, नहीं तो पछताओगे। गया वक्त फिर लौटकर आता नहीं। प्रकृति कहती है, उचित समय पर उचित काम करो तो जीवन में आनंद की स्रोतस्विनी बहेगी। जो बीत गया सो बीत गया। शेष जीवन को ही लक्ष्य में रखते हुए प्राप्त अवसर को परखो, समय का मूल्य समझो।

हर काम के लिए एक समय और हर समय के लिए एक काम निश्चित होना चाहिए। कोई कार्य असमय नहीं करना चाहिए। जिन लोगों के काम करने का कोई निश्चित समय नहीं होता, जब चाहे खाएँ, जब चाहे सोएँ, वे लोग कायर और निरुद्यमी बन जाते हैं। जो प्रत्येक कार्य के लिए अपना समय निश्चित कर लेते हैं, वे न तो खाली बैठते हैं और न उन्हें कोई काम भूलता ही है। दूसरे, इससे आदमी का मन बुरी बातों की ओर भी नहीं जाता। जो लोग निठल्ले बैठते हैं, उनके मन में बुरी-बुरी बातें सूझती हैं। कहावत भी है- ‘खाली दिमाग शैतान का घर।’

जो लोग यह शिकायत करते हैं कि उन्हें समय नहीं मिलता, वे अपने आलस्य को छुपाते हैं। वस्तुत वे स्वयं को धोखा देते हैं। समय चोर की भाँति चुपके से दबे पाँव निकल जाता है। यदि हमने प्रत्येक कार्य निश्चित समय पर परिश्रम से किया, तो अन्य कार्यों के लिए हमारे पास अवश्य समय निकल आएगा।

नेहरूजी और गाँधीजी बहुत व्यस्त रहते थे। इतने पर भी नेहरूजी ने दैनिक व्यायाम और ढेर सारी फाइलों को रोजाना निबटाने का काम कभी नहीं छोड़ा। गाँधी जी प्रातः कालीन भ्रमण, अखबार में लेख लिखना और चिट्ठियों का जवाब देने का समय निकाल लेते थे। प्रतिदिन प्रार्थना सभा में भाग लेना तो उनसे मृत्यु पर्यंत न हटा।

समय का सदुपयोग करने का एक ही सरल उपाय है- समय का नियोजन। समय के नियोजन के लिए समय तालिका बनाइए। उसका दृढ़ता और निष्ठा से पालन कीजिए। क्योंकि निर्धारित समय पर निश्चित काम करने में ही जीवन सफलता का रहस्य है।

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