विज्ञान

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विज्ञान : वरदान और अभिशाप / विज्ञान का महत्त्व / आधुनिक युग को विज्ञान की देन

संकेत बिंदु-(1) मानव के लिए कामधेनु (2) यातायात, मनोरंजन और मुद्रण में क्रांति (3) चिकित्सा और घरेलू जीवन पर प्रभाव (4) आवास और भोजन समस्या का हल (5) मानव के लिए हानिकारक।

विज्ञान मानव के लिए कामधेनु है, कल्पतरु है। यह प्राणिमात्र के लिए अमृत-कुंड है। जीवनदायिनी शक्ति का पुंज है। प्रकृति की गुप्त निधियों के द्वार खोलने की कुंजी है। विश्व को पारिवारिक रूप प्रदान करने का माध्यम है। वस्तुतः विज्ञान मानव-कल्याण का नेत्र है, जो अहर्निश मानव-कल्याण की चिंता में लीन है।

आज का विश्व विज्ञान के दृढ़ स्तंभ पर टिका है, अतः आज का युग विज्ञान का युग कहलाता है। प्रतिदिन होने वाले नवीन वैज्ञानिक आविष्कार संसार में नूतन क्रांति कर रहे हैं। आज मानव-जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान का देवता अपना आधिपत्य जमा चुका है। उनकी आशातीत उन्नति से आज सभी चमत्कृत हैं। विज्ञान की इस महत्ता का एकमात्र कारण है-विज्ञान द्वारा प्रदत्त विभिन्न आविष्कार।

विज्ञान की इस आशातीत उन्नति और सर्वव्यापकता का श्रेय पिछली चार शताब्दियों को है, जिसमें क्रमश: जापान, जर्मनी, इंग्लैंड, रूस, अमेरिका आदि देश एक से बढ़कर एक आश्चर्यजनक आविष्कार करके विज्ञान को चरम सीमा पर पहुँचा रहे हैं। विज्ञान के इन आविष्कारों को दैनिक जीवन संबंधी, शिक्षण, चिकित्सा, यातायात, संचार आदि अनेक वर्गों में बाँटा जा सकता है।

यातायात-साधनों के विकास ने जहाँ मानव को सरलतापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान पर कम-से-कम समय में पहुँचाया, वहाँ संपूर्ण विश्व एक राष्ट्र-सा लगने लगा। विज्ञान की कृपा से साइकिल, मोटरसाइकिल, कार, बस, रेल, वायुयान, जलयान आदि वाहन बने। यातायात सरल हुआ, सुगम हुआ और हुआ द्रुतगामी। मीलों का सफर मिनटों में तय होने लगा। पृथ्वीपुत्र-मानव चंद्रमा, शुक्र ग्रह एवं मंगल ग्रह तक पहुँचने का दम भरने लगा। हेलीकॉप्टर तो जंगल में या खेत में, जहाँ चाहो वहाँ उतार देता है। सच्चाई यह है कि संसार सिमट कर इतना बौना हो गया कि तीन पग में सारी धरती नाप लीजिए और आधे में आसमान पर चढ़ जाइए।

अंधकार में प्रकाश हुआ, अमावस पूनम में बदली। विद्युत् ईंधन बनी। पंखे, कूलर, हीटर, वातानुकूलन के यंत्र बने। रेडियो, टेलीविजन-रेडियोग्राम, लाउड स्पीकर, सिनेमा आदि संचार और मनोरंजन के माध्यम बने। इन आविष्कारों से मानव जीवन सुखी, सुविधा संपन्न हुआ, ज्ञानसंपन्न और मनोरंजनपूर्ण बना। विश्व में घटित घटनाओं के सजीव चित्र घर की चारदीवारी में बैठे टेलीविजन पर देखने को मिले। चलचित्र द्वारा मनोरंजन हुआ। उपग्रह टेक्नॉलोजी ने तो संचार सेवाओं में चार चाँद ही लगा दिए।

मुद्रण-विज्ञान का क्षेत्र व्यापक हुआ। पुस्तकों के द्वारा मानव शिक्षित हुआ, ज्ञानी हुआ। आगामी पीढ़ी के लिए ज्ञान का भंडार सुरक्षित रख सका। मुद्रण कला ने ही समाचार-पत्र एवं पत्रिकाओं को भी जन्म दिया। आज भारत में ही अंग्रेजी के 353, हिंदी के 2202 तथा अन्य भाषाओं के 2335 दैनिक समाचार-पत्र विश्व के नवीनतम सचित्र-समाचार और ज्ञानवर्धक सामग्री देने में मानवीय और भारतीय ज्ञान कोष के विकास में सफल हैं।  

चिकित्सा क्षेत्र में विज्ञान की सफलता अद्भुत है। दवाइयों, इंजेक्शन, ऐक्स-रे, रेडियम एवं विद्युत्-चिकित्सा ने मृतक समान मानव को भी प्राणदान दिया। छोटी-छोटी शल्य क्रिया की बात छोड़िए, आज तो चिकित्सकों को हृदय-रोपण तक में सफलता प्राप्त हो रही है। मशीन जिगर का काम करने लगी है। कृत्रिम गर्भाधान से ‘ट्यूब बेबी’ जन्म लेता है। प्लास्टिक सर्जरी ने कुरूप को भी सुंदरता प्रदान कर दी। ‘पानी केरा बुद्-बुदा त्यों मानुस की जात’ वाली उक्ति निरर्थक-सी हुई।

समाचार भेजने के क्षेत्र में विज्ञान ने अद्भुत योगदान दिया। टेलीफोन, तार, फेक्स, ई-मेल, इंटरनेट, टेलेक्स और रेडियो से तुरंत समाचार पहुँचने लगे हैं।

विज्ञान ने हमारे घरेलू जीवन को भी प्रभावित किया। बिजली तथा गैस भोजन बनाने लगी, सिलाई की मशीनें कपड़े सीने लगीं। पिसाई की मशीनें गेहूँ, जौ, बाजरा पीसने लगीं। मशीनों द्वारा गन्ने से गुड़ और चीनी बनने लगी। वस्त्र, जुराब, बनियान बनाने और स्वेटर बुनने की मशीनें मिनटों में परिधान तैयार करने लगीं।

और तो और, मानव मस्तिष्क का काम भी लोहे की मशीन ‘कंप्यूटर’ करने लगा। शरीर में रासायनिक परिवर्तन, स्नायुओं की गतिविधि, रोगों का निदान, औषधियों का विधान, सब कंप्यूटर करेंगे। हवाई जहाजों की गति, दूरी, उँचाई, खतरा, सभी कंप्यूटर से इंगित होंगे। उद्योग जगत में उत्पादन प्रक्रिया के सभी चरणों पर नियंत्रण से कंप्यूटर ने क्रांति ही ला दी है।

आवास की समस्या पर्याप्त मात्रा में हल हुई है। विज्ञान की कृपा से गगनचुंबी अट्टालिकाओं के निर्माण से यह संभव हो रहा है। इन अट्टालिकाओं पर चढ़ने के लिए लिफ्ट और स्केलेटर का निर्माण किया गया है। कुछ ही क्षणों में अट्टालिकाओं की किसी भी मंजिल पर पहुँच जाइए। दूसरी ओर, वातानुकूलन ने गर्मी में सूर्य के प्रकोप से और सर्दी में हाड़ कँपा देने वाली शीत से जीवन सुरक्षित किया। उदर-पूर्ति को विज्ञान ने ‘भूख-मिटावन’ से हरा कर विविध व्यंजनों तथा पेयों से तृप्त किया। स्वादिष्ट और स्वास्थ्य कर भोजन देकर मनुष्य के स्वाद को बदला। समय की बचत के लिए ‘फास्ट फूडिंग’ का आविष्कार किया।

कुछ लोग विज्ञान को मानव के लिए हानिकर भी मानते हैं। उनका कहना है कि एक ओर विज्ञान द्वारा निर्मित अस्त्र-शस्त्र और बम नागासाकी और हिरोशिमा जैसे सुंदर नगरों को क्षणभर में खंडहरों में बदल देते हैं तो दूसरी ओर, यान्त्रिक उन्नति ने मानव को आलसी, सुस्त और निकम्मा बना दिया है। तीसरी ओर, यान्त्रिक खराबी और मानव की जरा-सी भूल जीवन को नष्ट कर देती है, पदार्थ का अस्तित्व समाप्त कर देती है। नभ में उड़ता विमान जरा-सी यान्त्रिक खराबी से कुछ ही क्षणों में यात्रियों को परलोक में पहुँचाकर धूल चाटने लगता है। बिजली के नंगे तार पर भूल से हाथ लगा और मृत्यु से साक्षात्कार हुआ। खाना बनाने की गैस रिसी नहीं कि आग लगते देर नहीं लगती। नगरों में प्रदूषण की समस्या विज्ञान की ही देन है, जिसके कारण न स्वच्छ वायु मिल पाती है, न स्वच्छ जल प्राप्त होता है और न शुद्ध भोजन प्राप्त होता है।

सच्चाई यह है कि आज सभी राष्ट्रों का अधिकांश बजट वैज्ञानिक उन्नति द्वारा मानव को स्वस्थ, सुखी, समृद्ध और जीवन को सर्वाधिक आनंदप्रद बनाने पर खर्च हो रहा है। भूमि, जल तथा नभ के विस्फोटों द्वारा हो या नभ में उपग्रह की स्थापना द्वारा, विज्ञान मानवीय कल्याण में अग्रसर है।

ईश्वर की तीनों शक्तियों ब्रह्मा (उत्पत्ति), विष्णु (पालन), तथा महेश (विनाश) को विज्ञान आज अपने हाथों में ले रहा है-मानव के सुख, समृद्धि और कल्याण के लिए।

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Avinash Ranjan Gupta

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