संकेत बिंदु – (1) युवा पीढ़ी और रचनात्मक कार्य का संबंध (2) मानवीय और रचनात्मक गुण अपनाकर (3) रूढ़ियों और अंधविश्वासों का विरोध (4) समाज और राष्ट्र के लिए रचनात्मक कार्य (5) रचनात्मक कार्यों के अभाव में राष्ट्र निर्माण असंभव।
अठारह वर्ष से चालीस वर्ष तक की वय का सारा जनसमुदाय युवा पीढ़ी या युवा-वर्ग है। उद्यमपूर्वक किया हुआ कार्य, कृति का उचित प्रस्तुतीकरण, कार्य का ठीक अनुष्ठान करना, ध्यानपूर्वक कार्य का उपाय करना या युक्ति लगाना तथा किसी चीज का अच्छी तरह और सुंदर रूप में निर्माण करना रचनात्मक कार्य है। युवकों द्वारा अपने को देश की भावी पीढ़ी के न्यासी मानते हुए समाज, धर्म तथा राष्ट्र हित में उद्यमपूर्वक श्रेष्ठ एवं सुंदर निर्माण करना, उनका रचनात्मक कार्य है।
युवा पीढ़ी और रचनात्मक कार्य का परस्पर घनिष्ठ संबंध है। इंग्लैंड के प्रसिद्ध प्रधानमंत्री डिजराइली तो यह मानते हैं कि ‘प्रायः प्रत्येक महान कार्य युवकों द्वारा किया गया है।’ कारण, यह पीढ़ी भावनाओं का पुंज है। इसके हृदय से उदारता, कर्मण्यता, सहिष्णुता, अदम्य साहस और अखिल उत्साह स्रोत पूर्ण वेग से बहता है, जो अपने ताप और तप से रचनात्मक कार्य की सिद्धि करता है।
युवा पीढ़ी अपने अंदर मानवीय गुणों को ग्रहण कर स्वच्छ सामाजिक जीवन अपनाकर, धार्मिक छल-प्रवंचना, अंध – विश्वास, संप्रदायवाद से बचकर राजनीतिक मुखौटों को हटाकर, ‘स्व’ का विकास करे तो यही उसका महान रचनात्मक कार्य होगा। कारण, उसके हृदय का पावित्र्य तथा चरित्र की उज्ज्वलता उसे रचनात्मक कार्य के प्रति समर्पण तथा कुछ कर गुजरने की महत्त्वाकांक्षा को शक्ति प्रदान करेगी। परिणामतः वह विघटनकारी कार्यों से बचेगा, भ्रष्ट आचरण से घृणा करेगा। उग्रवाद का डटकर मुकाबला करेगा। निराशाजनित अकर्मण्यता से दूर रहेगा।
रचनात्मक कार्य घर से आरंभ होता है। घर का कूड़ा बाहर न फेंकना, थूक और पीक से सड़कों को न सड़ाना, फलों के छिलके और चाट-पकौड़ी के दोने सड़क-गली में न फेंकना, पड़ोस में ताक-झाँक न करना, उनके व्यक्तिगत जीवन में दखल न देना पारिवारिक दृष्टि से रचनात्मक कार्य है।
घर से निकल कर हम समाज में प्रवेश करते हैं। बसों तथा अन्य वाहनों में प्रवेश के समय तथा मेलों-उत्सवों तथा सिनेमा के टिकट घर पर ठेलमठेल न करना, बस में महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पर महिला के अधिकार की रक्षा करना, जेबकतरे को पकड़ने में सहयोग तथा स्त्रियों से छेड़छाड़ और उनके उत्पीड़न का विरोध करना, सामाजिक रचनात्मक कार्य हैं। इसी प्रकार रेडियो और टी.वी. के स्वर को मंद रखकर पड़ोसियों के लिए सिर दर्द उत्पन्न न करना भी रचनात्मक कार्य है। पड़ोस या मौहल्ले में किसी दुस्साहसी असामाजिक तत्त्व के घुसने, चोरी-लूटपाट या मारने-पीटने की भनक मिल जाने पर तुरंत पुलिस को टेलीफोन करने या शोर मचाकर जनता को इकट्ठा करके असामाजिक तत्त्वों से निबटना भी रचनात्मक कार्य है।
परिवार को नियोजित रखकर तथा दहेज प्रथा का विरोध करके युवा पीढ़ी जो रचनात्मक कार्य करेगी, वह न केवल समाज के लिए, अपितु राष्ट्र के लिए परम कल्याणकारी होगी।
धर्म के आडंबरों और पाखंडों का विरोध, अंधविश्वासों का खंडन कबरों, पीर-फकीरों की पूजा का विरोध; व्यर्थ के कर्मकांड पर अविश्वास; सर्वपंथ समादर, पूजा-स्थलों के प्रति पवित्र भावना और व्यवहार धार्मिक रचनात्मक कार्य हैं। धार्मिक कर्मों की सरेबाजार आलोचना, अपने पूज्य देवी-देवताओं की निंदा तथा धार्मिक आस्थाओं पर होने वाले प्रहारों से धर्म की रक्षा करना भी धार्मिक रचनात्मक कार्य हैं।
आर्थिक दृष्टि से अनावश्यक वस्तु न खरीदना; घरेलू चीजों का अत्यधिक संग्रह न करना; घरेलू उत्सवों-पर्वों, विवाह आदि संस्कारों में घर-फूँक तमाशा न देखना, युवा पीढ़ी का रचनात्मक कार्य होगा।
उद्योग राष्ट्र के आर्थिक जीवन के प्राण हैं। औद्योगिक संस्थाओं में आंदोलन और हड़ताल का मार्ग छोड़कर निष्ठापूर्वक कार्य करके उत्पादन बढ़ाने में युवा पीढ़ी का रचनात्मक सहयोग माना जाएगा। अपने उत्पादनों को विदेशों में निर्यात करके देश की समृद्धि में युवा उद्यमियों का कार्य देश-निर्माण में रचनात्मक सहयोग माना जाएगा। इतना ही नहीं, आय की दृष्टि से अत्यंत लाभप्रद, फैशनेबल और महँगी चीजों के उत्पादन को प्रमुखता तथा प्राथमिकता न देना भी उनका रचनात्मक कार्य है।
युवा-वैज्ञानिक समाज और राष्ट्र हित के लिए रचनात्मक दृष्टिकोण लेकर नए-नए अनुसंधान करें, लाभकारी नए आविष्कारों को जन-जन तक पहुँचाएँ, यही उनका रचनात्मक कार्य माना जाएगा। युवा डॉक्टर गाँवों-कस्बों में जाकर, निर्धन-अशक्त- रोगियों का उपचार करें तो उनका कार्य रचनात्मक कार्य समझा जाएगा। रोगी का यथा योग्य उपचार और उनसे सद्-व्यवहार डॉक्टर का रचनात्मक कार्य होगा।
कृषक हमारे अन्नदाता हैं। युवा कृषक यदि निष्ठापूर्वक नई वैज्ञानिक शैली से अपनी कृषि उपज को बढ़ाएँगे, उसको उचित दामों में बाजार में प्रस्तुत करेंगे, उसको देश के विभिन्न क्षेत्रों तक पहुँचाने में सफल होंगे तो यह उनका कार्य रचनात्मक कार्य की श्रेणी में ही आएगा।
युवा पीढ़ी के रचनात्मक कार्यों के अभाव में राष्ट्र-निर्माण अपंग है, अधूरा है। कारण, निर्माण को चाहिए उदात्त गुणों की उपजाऊ धरती; साहस और शक्ति की खाद तथा त्याग और बलिदान का बीज। वह केवल युवा पीढ़ी ही दे सकती है। देश की स्वतंत्रता और आपत्कालीन संवैधानिक सुविधाओं के अपहरण से मुक्ति युवा शक्ति के रचनात्मक कार्यों का ही परिणाम है। विघटनकारी तत्त्वों का मुकाबला तथा विषाक्त राजनीतिक मुखौटों .को युवा शक्ति ही उतार सकती है|
जीवन और जगत के प्रत्येक क्षेत्र में यदि किसी ने सुख, शांति और सौंदर्य की त्रिवेणी बहाई है, तमसाच्छन्न पृथ्वी में अंधकार को चीर कर दिव्य ज्योति से साक्षात्कार करवाया है, प्रकृति के रहस्यों को उजागर कर उसे कल्प वृक्ष बनाया है तो इन सभी का श्रेय युवा पीढ़ी के रचनात्मक कार्यों को ही है। विश्व आज उसके कार्यों पर गर्व करता है और मानव- मात्र उनके प्रति कृतज्ञता अर्पित करता है।