Main Unka Hee Hota, Gajanan Madhav Muktibodh, West Bengle, Class XI, Hindi Course B, The Best Solution.

कवि परिचय : गजानन माधव मुक्तिबोध

गजानन माधव मुक्तिबोध’ का जन्म 13 नवंबर, 1917 को श्योपुर (ग्वालियर) में हुआ था। इनकी आरंभिक शिक्षा उज्जैन में हुई। मुक्तिबोध जी के पिता पुलिस विभाग के इंस्पेक्टर थे और उनका तबादला प्रायः होता रहता था। स्वातंत्र्योत्तर प्रगतिशली काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि मुक्तिबोध काहानीकार और समीक्षक भी थे। इन्होंने प्रगतिशील कविता और नई कविता के मध्य सेतु की भाँति कार्य किया। इन्होंने कहानी, कविता, उपन्यास, आलोचना आदि विधाओं में लिखा और इर क्षेत्र में उनका हस्तक्षेप अलग से महसूस किया जा सकता है। उनकी मृत्यु के पहले श्रीकान्त वर्मा ने उनकी ‘एक साहित्यिक की डायरी’ ज़रूर प्रकाशित की थी। मुक्तिबोध की रुचि अध्ययन-अध्यापन पत्रकारिता, समसामयिक राजनीतिक एवं साहित्य के विषयों के लेखन में थी। 1942 के आसपास वे वामपंथी विचारधारा की ओर झुके और शुजालपुर में रहते हुए उनकी वामपंथी चेतना मजबूत हुई। आजीवन ग़रीबी से लड़ते हुए और रोगों का मुकाबला करते हुए 11 सितम्बर, 1964 को नई दिल्ली में मुक्तिबोध की मृत्यु हो गयी। ‘अँधेरे में’ और ‘ब्रह्मराक्षस’ मुक्तिबोध की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण रचनाएँ मानी जाती हैं।

उनकी प्रमुख रचनाएँ : कविता संग्रह – चाँद का मुँह टेढ़ा है, भूरी भूरी खाक धूल

कहानी संग्रह- काठ का सपना, विपात्र, सतह से उठता आदमी

आलोचना- कामायनी : एक पुनर्विचार, नई कविता का आत्मसंघर्ष, नए समीक्षा की समास्याएँ, साहित्य का सौंदर्यशास्त्र।

आत्माख्यान- एक साहित्यिक की डायरी

रचनावली— मुक्तिबोध रचनावली (6 खंडों में)

 

 

मैं उनका ही होता

मैं उनका ही होता जिनसे

मैंने रूप-भाव पाए हैं।

वे मेरे ही लिए बँधे हैं

जो मर्यादाएँ लाए हैं।

मेरे शब्द, भाव उनके हैं,

मेरे पैर और पथ मेरा,

मेरा अंत और अथ मेरा,

ऐसे किंतु चाव उनके हैं।

मैं ऊँचा होता चलता हूँ

उनके ओछेपन से गिर-गिर,

उनके छिछलेपन से खुद खुद,

मैं गहरा होता चलता हूँ।

 

कठिन शब्दों के सरल अर्थ

Word (Hindi)

Meaning in Hindi

Meaning in Bangla

Meaning in English

रूप-भाव

आकार और एहसास, स्वरूप और भावनाएँ, गुण और स्वभाव

আকার ও অনুভূতি, স্বরূপ ও ভাব

Form and feelings, essence and emotions, qualities and nature

मर्यादाएँ

सीमाएँ, नियम, हदें, आदर्श

সীমা, নিয়ম, আদর্শ

Boundaries, limits, rules, ideals, decorum

शब्द

बातें, वचन, वाणी

কথা, বচন, বাণী

Words, utterances, speech

भाव

भावनाएँ, एहसास, विचार

অনুভূতি, উপলব্ধি, চিন্তা

Feelings, emotions, thoughts

पैर

पाँव, चरण

পা, চরণ

Feet

पथ

रास्ता, मार्ग

পথ, রাস্তা

Path, way, road

अंत

समाप्ति, आखिर

শেষ, সমাপ্তি

End, conclusion

अथ

आरंभ, शुरुआत

শুরু, আরম্ভ

Beginning, commencement

चाव

उत्साह, रुचि, लालसा

আগ্রহ, রুচি, আকাঙ্ক্ষা

Zeal, interest, desire, fondness

ऊँचा

श्रेष्ठ, उन्नत, उच्च

উঁচু, উন্নত, মহৎ

High, elevated, superior

ओछेपन

तुच्छता, नीचता, छिछलापन

তুচ্ছতা, নীচতা, অগভীরতা

Shallowness, meanness, pettiness, superficiality

गिर-गिर

बार-बार गिरना, पतन होना

বারবার পড়া, পতন

Falling repeatedly, stumbling

छिछलेपन

उथलापन, सतहीपन, अज्ञानता

অগভীরতা, উপরিভাগ, অজ্ঞানতা

Shallowness, superficiality, lack of depth

गहरा

गंभीर, गहरा अर्थ वाला, अनुभवजन्य

গভীর, মর্মস্পর্শী, অভিজ্ঞতাপূর্ণ

Deep, profound, insightful, experienced

 

कविता का सामान्य परिचय

यह कविता एक गहन आत्मचिंतन और व्यक्तिगत पहचान के साथ-साथ दूसरों के प्रभाव और मर्यादाओं के बीच संतुलन को दर्शाती है। कवि अपनी आंतरिक यात्रा, आत्मनिर्भरता और बाहरी प्रभावों के बीच के द्वंद्व को व्यक्त करते हैं। कविता में एक ओर स्वयं की स्वतंत्रता और आत्मिक गहराई की बात है, तो दूसरी ओर उन लोगों के प्रति कृतज्ञता और बंधन का भाव है, जिन्होंने कवि को आकार दिया।

प्रथम पंक्ति: “मैं उनका ही होता जिनसे मैंने रूप-भाव पाए हैं”

कवि कहते हैं कि उनकी पहचान और व्यक्तित्व उन लोगों से आकारित हुआ है, जिनसे उन्होंने अपने गुण, भावनाएँ और स्वरूप प्राप्त किया। यहाँ ‘रूप-भाव’ से तात्पर्य बाहरी और आंतरिक गुणों से है, जो कवि को दूसरों से मिले हैं। यह एक तरह से कृतज्ञता और जुड़ाव का भाव दर्शाता है। कवि स्वीकार करते हैं कि उनकी नींव उन लोगों पर टिकी है, जिन्होंने उन्हें बनाया।

दूसरी पंक्ति: “वे मेरे ही लिए बँधे हैं जो मर्यादाएँ लाए हैं”

यहाँ कवि उन मर्यादाओं या नैतिक नियमों की बात करते हैं, जो उनके लिए बनाए गए हैं। ये मर्यादाएँ संभवतः समाज, परिवार, संस्कृति या गुरुओं द्वारा दी गई हैं। कवि यहाँ यह कहते हैं कि ये नियम उनके लिए ही हैं, जो उनके जीवन को संयमित और दिशा प्रदान करते हैं। यह एक तरह से सामाजिक और नैतिक बंधनों के प्रति सम्मान व्यक्त करता है।

तीसरी और चौथी पंक्ति: “मेरे शब्द, भाव उनके हैं, मेरे पैर और पथ मेरा”

यहाँ कवि अपने भीतर के द्वंद्व को उजागर करते हैं। उनके शब्द और भावनाएँ उन लोगों से प्रेरित हैं, जिन्होंने उन्हें आकार दिया, लेकिन उनका रास्ता और उनकी यात्रा उनकी अपनी है। यह स्वतंत्रता और स्वायत्तता का प्रतीक है। कवि कहते हैं कि भले ही उनके विचार और भावनाएँ दूसरों से प्रभावित हों, लेकिन उनके कदम और उनके द्वारा चुना गया मार्ग पूरी तरह उनका अपना है।

पाँचवीं और छठी पंक्ति: “मेरा अंत और अथ मेरा, ऐसे किंतु चाव उनके हैं”

कवि यहाँ कहते हैं कि उनकी शुरुआत और अंत दोनों उनके अपने हैं, अर्थात् उनकी जिंदगी की शुरुआत और अंतिम गंतव्य उनकी अपनी पसंद और नियति है। लेकिन इसके बावजूद, उनके जीवन का उत्साह और रुचि उन लोगों से आती है, जिन्होंने उन्हें प्रभावित किया। यह एक संतुलन को दर्शाता है—स्वतंत्रता और बाहरी प्रभावों के बीच का सामंजस्य।

सातवीं और आठवीं पंक्ति: “मैं ऊँचा होता चलता हूँ उनके ओछेपन से गिर-गिर”

यहाँ कवि एक विरोधाभास की बात करते हैं। वे कहते हैं कि वे ऊँचे उठते हैं, लेकिन यह ऊँचाई उन्हें दूसरों के ‘ओछेपन’ अर्थात् दूसरे के निम्न व्यवहार से मिलती है। यहाँ ‘गिर-गिर’ से तात्पर्य है कि दूसरों की कमियों या गलतियों से सीखकर कवि स्वयं को बेहतर बनाते हैं। यह एक तरह से आत्म-विकास की प्रक्रिया को दर्शाता है, जहाँ दूसरों की कमियों से प्रेरणा लेकर कवि अपनी ऊँचाई को प्राप्त करते हैं।

नौवीं और दसवीं पंक्ति: “उनके छिछलेपन से खुद खुद, मैं गहरा होता चलता हूँ”

यह पंक्ति पिछले विचार को और गहराई देती है। कवि कहते हैं कि दूसरों के ‘छिछलेपन’ (सतहीपन) से प्रेरणा लेकर वे स्वयं को और गहरा करते हैं। यहाँ ‘खुद खुद’ का अर्थ है आत्म-चिंतन और आत्म-निरीक्षण की प्रक्रिया। कवि दूसरों की सतही प्रकृति को देखकर अपने भीतर की गहराई को खोजते हैं और उसे बढ़ाते हैं। यह आत्मिक विकास और स्वयं की खोज का प्रतीक है।

कविता का केंद्रीय भाव

यह कविता आत्मनिर्भरता, बाहरी प्रभावों और आत्मिक विकास के बीच के संबंध को खूबसूरती से दर्शाती है। कवि अपनी पहचान को उन लोगों से जोड़ते हैं, जिन्होंने उन्हें बनाया, लेकिन साथ ही अपनी स्वतंत्रता और व्यक्तिगत यात्रा पर जोर देते हैं। दूसरों की कमियों और सतहीपन को वे अपने विकास का साधन बनाते हैं। यह कविता एक गहन दार्शनिक चिंतन है, जो यह बताती है कि व्यक्ति का विकास न केवल स्वयं की मेहनत से, बल्कि बाहरी प्रभावों और उनसे मिली सीख से भी होता है।

कविता का स्वर और शैली

कविता का स्वर आत्मचिंतनशील और दार्शनिक है। इसमें विरोधाभासों का सुंदर प्रयोग है, जैसे ऊँचाई और ओछेपन, गहराई और छिछलेपन। भाषा सरल लेकिन गहन है, जो पाठक को सोचने पर मजबूर करती है। कविता में एक लयबद्ध प्रवाह है, जो इसे और प्रभावशाली बनाता है।

निष्कर्ष

यह कविता व्यक्ति की आंतरिक और बाहरी दुनिया के बीच के तालमेल को दर्शाती है। यह बताती है कि हमारी पहचान और विकास में दूसरों का योगदान तो होता है, लेकिन अंततः हमारा मार्ग और हमारी गहराई हमारी अपनी खोज और मेहनत का परिणाम है। यह कविता हमें आत्म-निरीक्षण और दूसरों से सीखने के महत्व को समझाती है।

कविता मैं उनका ही होतापर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न

  1. कविता की पहली पंक्ति “मैं उनका ही होता जिनसे मैंने रूप-भाव पाए हैं” का क्या अर्थ है?
    अ) कवि अपनी संपत्ति के बारे में बात करते हैं।
    ब) कवि उन लोगों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं जिनसे उनकी पहचान बनी।
    स) कवि अपनी स्वतंत्रता की बात करते हैं।
    द) कवि अपने शत्रुओं के बारे में बात करते हैं।
    उत्तर – ब) कवि उन लोगों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं जिनसे उनकी पहचान बनी।
  2. “वे मेरे ही लिए बँधे हैं जो मर्यादाएँ लाए हैं” में मर्यादाएँ किसे संदर्भित करती हैं?
    अ) कवि के व्यक्तिगत नियम
    ब) समाज या परिवार द्वारा दी गई नैतिक सीमाएँ
    स) कवि की स्वतंत्र इच्छाएँ
    द) कवि के सपने
    उत्तर – ब) समाज या परिवार द्वारा दी गई नैतिक सीमाएँ
  3. पंक्ति “मेरे शब्द, भाव उनके हैं, मेरे पैर और पथ मेरा” में कवि क्या व्यक्त करते हैं?
    अ) उनकी पूरी जिंदगी दूसरों के नियंत्रण में है।
    ब) उनके विचार दूसरों से प्रभावित हैं, लेकिन उनका मार्ग उनका अपना है।
    स) वे दूसरों के विचारों को अस्वीकार करते हैं।
    द) वे केवल अपने विचारों पर चलते हैं।
    उत्तर – ब) उनके विचार दूसरों से प्रभावित हैं, लेकिन उनका मार्ग उनका अपना है।
  4. “मेरा अंत और अथ मेरा” से कवि का क्या तात्पर्य है?
    अ) कवि का जीवन दूसरों के नियंत्रण में है।
    ब) कवि की जिंदगी की शुरुआत और अंत उनकी अपनी नियति है।
    स) कवि का जीवन दूसरों के उत्साह पर निर्भर है।
    द) कवि का कोई नियंत्रण नहीं है।
    उत्तर – ब) कवि की जिंदगी की शुरुआत और अंत उनकी अपनी नियति है।
  5. पंक्ति “मैं ऊँचा होता चलता हूँ उनके ओछेपन से गिर-गिर” का क्या अर्थ है?
    अ) कवि दूसरों की कमियों से प्रेरणा लेकर ऊँचा उठते हैं।
    ब) कवि दूसरों की गलतियों से गिरते हैं।
    स) कवि दूसरों की ऊँचाई से प्रेरित होते हैं।
    द) कवि दूसरों की मदद से ऊँचा उठते हैं।
    उत्तर – अ) कवि दूसरों की कमियों से प्रेरणा लेकर ऊँचा उठते हैं।
  6. “उनके छिछलेपन से खुद खुद, मैं गहरा होता चलता हूँ” में “खुद खुद” का क्या अर्थ है?
    अ) दूसरों की नकल करना
    ब) आत्म-चिंतन और आत्म-निरीक्षण
    स) दूसरों की आलोचना करना
    द) अपनी कमियों को स्वीकार करना
    उत्तर – ब) आत्म-चिंतन और आत्म-निरीक्षण
  7. कविता का केंद्रीय विषय क्या है?
    अ) सामाजिक अन्याय
    ब) आत्मनिर्भरता और बाहरी प्रभावों के बीच संतुलन
    स) प्रेम और रिश्ते
    द) प्रकृति का सौंदर्य
    उत्तर – ब) आत्मनिर्भरता और बाहरी प्रभावों के बीच संतुलन
  8. कविता का स्वर कैसा है?
    अ) हास्यपूर्ण
    ब) आत्मचिंतनशील और दार्शनिक
    स) क्रोधपूर्ण
    द) रोमांटिक
    उत्तर – ब) आत्मचिंतनशील और दार्शनिक

कविता मैं उनका ही होतापर आधारित एक वाक्य वाले प्रश्न-उत्तर  

  1. प्रश्न – कवि किसके प्रति अपनी सम्पूर्ण निष्ठा व्यक्त करता है?
    उत्तर – कवि उन लोगों के प्रति अपनी सम्पूर्ण निष्ठा व्यक्त करता है जिनसे उसने रूप और भाव प्राप्त किए हैं।
  2. प्रश्न – कवि के अनुसार मर्यादाएँ किसके लिए बँधी हुई हैं?
    उत्तर – कवि के अनुसार मर्यादाएँ उसी के लिए बँधी हुई हैं जिन्होंने उसे मर्यादा प्रदान की है।
  3. प्रश्न – कविता में ‘शब्द’ और ‘भाव’ किसके माने गए हैं?
    उत्तर – कविता में ‘शब्द’ और ‘भाव’ उन लोगों के माने गए हैं जिनसे कवि ने प्रेरणा और भावनाएँ पाई हैं।
  4. प्रश्न – कवि के अनुसार उसका ‘पैर और पथ’ किसका प्रतीक है?
    उत्तर – कवि के अनुसार उसका ‘पैर और पथ’ उसके स्वयं के जीवन और दिशा का प्रतीक है।
  5. प्रश्न – ‘ऐसे किंतु चाव उनके हैं’ का क्या संकेत है?
    उत्तर – ‘ऐसे किंतु चाव उनके हैं’ से यह संकेत मिलता है कि कवि की प्रेरणा और रचनात्मकता का आकर्षण उन लोगों की ओर है जिन्होंने उसे भाव दिए हैं।
  6. प्रश्न – कवि ‘ऊँचा’ कैसे होता चलता है?
    उत्तर – कवि ऊँचा होता चलता है दूसरों के ओछेपन से बार-बार गिरकर भी उनसे ऊपर उठते हुए।
  7. प्रश्न – कविता के अनुसार गहराई किसके कारण आती है?
    उत्तर – कविता के अनुसार गहराई दूसरों के छिछलेपन और तुच्छ व्यवहार से टकराकर खुद में खोज करने से आती है।

कविता मैं उनका ही होतापर आधारित 30-40 शब्दों वाले प्रश्न-उत्तर  

  1. प्रश्न- कवि किनसे ‘रूप-भाव’ पाने की बात कर रहे हैं?

उत्तर – कवि उन स्रोतों या व्यक्तियों से ‘रूप-भाव’ (आकार और भावनाएँ) पाने की बात कर रहे हैं जिनसे उनका अस्तित्व और पहचान बनी है। यह उनके माता-पिता, गुरुजन, या समाज हो सकता है, जिन्होंने उन्हें जीवन के मूल्यों और स्वभाव से परिचित कराया। कवि इन प्रभावों को अपने व्यक्तित्व का आधार मानते हैं।

  1. प्रश्न- ‘मर्यादाएँ मेरे ही लिए बँधी हैं’ से कवि का क्या तात्पर्य है?

उत्तर – कवि का तात्पर्य है कि जो नियम, सीमाएँ और आदर्श समाज या पूर्वजों द्वारा स्थापित किए गए हैं, वे उसके व्यक्तिगत विकास और मार्गदर्शन के लिए ही हैं। ये मर्यादाएँ उसे सही दिशा देने और एक व्यवस्थित जीवन जीने में सहायक होती हैं, जिससे वह भटकने से बचता है।

  1. प्रश्न- कवि के ‘शब्द’ और ‘भाव’ किसके हैं, और ‘पैर’ व ‘पथ’ किसके हैं?

उत्तर – कवि कहते हैं कि उनके शब्द और भाव उन लोगों या प्रभावों के हैं जिनसे उन्होंने प्रेरणा ली है। लेकिन, उनके पैर और पथ (रास्ता) स्वयं उनके अपने हैं। इसका अर्थ है कि अभिव्यक्ति और भावनाएँ भले ही बाहरी प्रभावों से प्रेरित हों, पर जीवन की यात्रा और निर्णय उनके स्वयं के हैं।

  1. प्रश्न- ‘मेरा अंत और अथ मेरा’ का क्या अर्थ है?

उत्तर – इस पंक्ति का अर्थ है कि कवि अपने जीवन की शुरुआत (अथ) और अंत (अंत) दोनों पर अपना स्वामित्व मानते हैं। भले ही उन्हें दूसरों से प्रेरणा मिली हो, पर उनके जीवन का प्रारंभ और समापन उनके व्यक्तिगत निर्णय और कर्मों से निर्धारित होता है। यह उनकी स्वतंत्र चेतना को दर्शाता है।

  1. प्रश्न- कवि कैसे ‘ऊँचा होता चलता हूँ’ कहते हैं?

उत्तर – कवि कहते हैं कि वे दूसरों के ओछेपन (तुच्छता या नीचता) से गिर-गिर कर ऊँचा उठते हैं। इसका मतलब है कि दूसरों की कमियों या नकारात्मक अनुभवों से सीखकर वे अपने आप को और बेहतर बनाते हैं। ये अनुभव उन्हें आत्म-चिंतन और सुधार का अवसर देते हैं, जिससे उनका व्यक्तित्व विकसित होता है।

  1. प्रश्न- ‘उनके छिछलेपन से खुद खुद, मैं गहरा होता चलता हूँ’ का क्या भाव है?

उत्तर – कवि का कहना है कि वे दूसरों के छिछलेपन (उथलेपन या सतहीपन) को देखकर स्वयं को और गहरा बनाते हैं। अर्थात, जब वे दूसरों में गंभीरता की कमी या सतही विचारों को देखते हैं, तो वे स्वयं को अधिक विचारशील और अनुभवी बनाते जाते हैं। यह उन्हें जीवन के प्रति अधिक गंभीर और सूक्ष्म दृष्टिकोण प्रदान करता है।

  1. प्रश्न- इस कविता का केंद्रीय भाव क्या है?

उत्तर – इस कविता का केंद्रीय भाव आत्म-विकास और स्वयं की पहचान का सफर है। कवि स्वीकार करते हैं कि वे बाहरी प्रभावों और मर्यादाओं से आकार लेते हैं, लेकिन अंततः वे अपने जीवन के निर्माता स्वयं हैं। वे दूसरों की कमियों से भी सीखकर स्वयं को और अधिक गहरा और ऊँचा बनाते हुए आगे बढ़ते हैं।

 

कविता मैं उनका ही होतापर आधारित 60-70 शब्दों वाले प्रश्न-उत्तर  

प्रश्न 1: कविता की पहली दो पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट करें।

उत्तर – “मैं उनका ही होता जिनसे मैंने रूप-भाव पाए हैं” में कवि उन लोगों के प्रति कृतज्ञता दिखाते हैं, जिन्होंने उनकी पहचान बनाई। “वे मेरे ही लिए बँधे हैं जो मर्यादाएँ लाए हैं” में सामाजिक और नैतिक नियमों की बात है, जो कवि के जीवन को दिशा देते हैं। यह जड़ों और बंधनों के प्रति सम्मान दर्शाता है।

प्रश्न 2: “मेरे शब्द, भाव उनके हैं, मेरे पैर और पथ मेरा” का क्या अर्थ है?

उत्तर – इस पंक्ति में कवि कहते हैं कि उनके विचार और भावनाएँ दूसरों से प्रभावित हैं, जैसे परिवार या समाज से। लेकिन उनके कदम और चुना हुआ मार्ग उनकी अपनी पसंद है। यह आत्मनिर्भरता और बाहरी प्रभावों के बीच संतुलन को दर्शाता है, जो कविता का केंद्रीय भाव भी है।

प्रश्न 3: “मैं ऊँचा होता चलता हूँ उनके ओछेपन से गिर-गिर में विरोधाभास की व्याख्या करें।

उत्तर – यहाँ कवि कहते हैं कि वे दूसरों के “ओछेपन” (निम्न व्यवहार) से सीखकर ऊँचा उठते हैं। ‘गिर-गिर’ दूसरों की कमियों से प्रेरणा लेने की प्रक्रिया को दर्शाता है। यह विरोधाभास बताता है कि नकारात्मक अनुभव भी आत्म-विकास का साधन बन सकते हैं, जो कविता का दार्शनिक संदेश है।

प्रश्न 4: कविता का केंद्रीय भाव क्या है?

उत्तर – कविता का केंद्रीय भाव आत्मनिर्भरता और बाहरी प्रभावों का संतुलन है। कवि अपनी पहचान को दूसरों से जोड़ते हैं, लेकिन अपनी स्वतंत्रता पर जोर देते हैं। दूसरों की कमियों से सीखकर वे गहराई और ऊँचाई प्राप्त करते हैं। यह कविता आत्म-चिंतन और विकास की प्रेरणा देती है।

 

You cannot copy content of this page