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Meri Rachnayen

जाहिल से ज़हीन

चोरी सबने की थी, लेकिन मेरी चोरी पकड़ी गई। सबकी चोरी की सजा इक मुझको ही दी गई। चोरी क्या कलंक थी...

Meri Rachnayen

स्वयं से शपथ

कुछ भी अप्राप्य नहीं जगत में इसे तुम आत्मसात कर जाओ अपने सपने को पूरा करने बस जज़्बातों से भर जाओ।...

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