Meri Rachnayen

एक तमन्ना थी और है …..

Lost love poem

एक तमन्ना थी

एक आरज़ू थी  

एक ही चाहत थी

की तेरी कुर्बत में

मेरी सारी ज़िंदगी गुजरे

अब एक

दूसरी तमन्ना है

दूसरी आरज़ू है

दूसरी चाहत है

कि तू क्या

तेरा साया भी

मेरे पास से न गुजरे

इसकी वजह जान लीजिए साहब

मेरी पहली तमन्ना ने

मुझे निकम्मा बना दिया।

इसी जिंदगी में

दोज़ख दिखा दिया

मेरी कमजोरी को

ताकत बनाकर

और भी कमजोर बना दिया

और अपने अंतिम लफ्जों में

ये कहकर – कि तुम बदल गए

मुझसे दामन छुड़ा लिया।

अविनाश रंजन गुप्ता

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