Meri Rachnayen

मेरे पुत्र का भविष्य

bright future of two indian boys of 4 and 6 years

मेरा अनुभव तेरा वैभव

बने यही है चाह मेरी

हो उत्तरोत्तर

उन्नति तेरी

ऐसी ही हो राह तेरी।  

ऐसी अलख आ जाए तुझमें

जो तेरे सब भ्रम हरे

मेरा मन उस परम पिता से

निसदिन विनती यही करे।

करे परख तू

तीक्ष्ण दृष्टि से

चाहे संशय की हो वृष्टि

अटल रहे तू

सत के पथ पर

खड़ी हो चाहे सकल मही।  

अनुभव, अलख और परख

जो जीवन में पा जाता है,

उसका चरित्र स्वत: ही

अनुकरणीय बन जाता है।

मेरी दृष्टि में तुम भी

कुछ ऐसा ही कर जाओगे,

अपनी जीवनी की प्रभा से

चतुर्दिग उजियारी फैलाओगे।

अविनाश रंजन गुप्ता   

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