Meri Rachnayen

दीपक A lamp of wisdom The best poem

Lamp of wisdom by Avinash Poem

घर का दीपक बार रे मनुवा,  

मन का दीपक बार।  

ज्योति अंदर की जो जागे,  

मिटे जगत अँधियार,

घर का दीपक बार रे मनुवा, 

मन का दीपक बार।

ये तन ही तेरा मंदिर है,   

देवता भी तेरे अंदर है,  

अर्पण कर उसके चरणों में,

भक्ति-भाव उपहार,

घर का दीपक बार रे मनुवा 

मन का दीपक बार।  

निर्मल कर ले मन का आँगन,

अपने मन में कर प्रभु दर्शन,  

आएँगे खुद आरती करने,

सूरज तेरे द्वार,   

घर का दीपक बार रे मनुवा 

मन का दीपक बार।

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Avinash Ranjan Gupta

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