हे पुरुष, पुरुषार्थ कर,
यह धर्म है तेरा अमर,
चढ़ना है तुझे शिखर पर
पुरुषार्थ कर, पुरुषार्थ कर,
हे पुरुष, पुरुषार्थ कर।
राह में रुकना नहीं तू,
कष्ट से झुकना नहीं तू,
है मिला कौशल तुझे
प्रभु का है ये दिव्य वर,
पुरुषार्थ कर, पुरुषार्थ कर,
हे पुरुष, पुरुषार्थ कर।
भव्य तेरा विजय पथ है,
साथ तेरे दिव्य रथ है,
अमरता के मार्ग पर,
रहना सदा ही तू प्रखर,
पुरुषार्थ कर, पुरुषार्थ कर,
हे पुरुष, पुरुषार्थ कर।
तू है अमर, अक्षय अजर
ध्येय श्रेष्ठ जानकर
कीर्तियों का निर्माण कर
पुरुषार्थ कर, पुरुषार्थ कर,
हे पुरुष, पुरुषार्थ कर।
अविनाश रंजन गुप्ता