Meri Rachnayen

A poem on good memories अच्छी यादें

यादें अच्छी होंगी तो

स्मित रहेगी अधरों पर

यादों का सुंदर होना तो

आधारित है हर रिश्तों पर

रिश्तों का ताना-बाना

बुनने से पहले

ये याद रखो

रिश्ते कम हों

पर मणि सम हों

सुख-दुख में अहम् (मैं)

अवश्य वयं (हम) हो 

यहाँ प्रेम भी हो

प्रतिकार भी हो

डाँटने का अधिकार भी हो

न हो तो वह हो अहं का भाव

निहित हो केवल हितम् का भाव

ऐसे रिश्ते हो जीवन में

तो जीवन सुखमय बन जाता है

जितना भी संघर्ष हो करना

संघर्ष सहर्ष हो जाता है।

अविनाश रंजन गुप्ता

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