आओ जी लें अपना बचपन
जी लें जी लेंअपना बचपन
आओ जी लें अपना बचपन
फूलों की खुशहाली में
पत्तों की हरियाली में
देखो-देखो अपना बचपन
आओ जी लें अपना बचपन
जी लें जी लें अपना बचपन
देखो उड़ते पंछी को
रंग-बिरंगी तितली को
कितने अच्छे लगते हैं
सखा ये सच्चे लगते हैं
इनसे मिलकर रहना सीखें
जी लें जी लें बचपन जी लें
आओ अपना बचपन जी लें
जी लें जी लें अपना बचपन
देखो बहती नदियों को
गिरि से गिरते झरने को
सागर की तरंगों को
उठती – गिरती लहरों को
इनमें गति ही गति भरी है
खुद को गति से भरना सीखें
जी लें जी लें बचपन जी लें
आओ अपना बचपन जी लें
जी लें जी लें अपना बचपन।
अविनाश रंजन गुप्ता