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उम्मीदों की जीत Hardwork and Dedication Paid-off, The Best Hindi Poem

Hardwork and dedication paid off hindi poem

उम्मीदों की जीत

उम्मीदों के सागर में,

जब कोई गोते लगाता है।

मोती मिले या न मिले,

अनुभव ज़रूर वह पाता है।

अनुभवों के बल पर ही,

वह यह तय कर पाता है,

लक्ष्य प्राप्य है लेकिन

वह प्रयास बदलता जाता है।

साफल्य भी देखती है उसे,

पर पास नहीं उसके जाती है,

उसके चाहने वाले हजारों हैं,

वह तो श्रेष्ठ को ही अपनाती है।

इधर सफल होने हेतु,

वह ज़ोर बहुत लगाता है,

नाउम्मीदी को निकट अपने,

पलभर के लिए भी नहीं बुलाता है।

जीत के सपने देखता है,

वह हँसता है मुस्काता है,

दुख-पीड़ा सुख में बदलेगी,

दिल को यह समझाता है।  

लगन में मगन देखकर,  

सफलता भी मोह जाती है,

एक दिन उसके चरणों में,

वह दासी बन आ जाती है।

अविनाश रंजन गुप्ता

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