खंभे जैसे पैर हैं इसके
कान सूप के जैसे हैं।
सूँड़ है इसकी लंबी मोटी
आँखें छोटी-छोटी हैं
काले रंग का होता है ये
कद भी इसका ऊँचा है
भारी कितना होगा ये
क्या कभी किसी ने सोचा है
मीठे गन्ने खाता है ये
सूँड़ से पानी पीता है
मस्त चाल में चलता है ये
शान से जीवन जीता है
चिंघाड़े जब गुस्से से ये
सब देख इसे डर जाते हैं
वन के राजा बब्बर शेर भी
गुफा में अपनी छुप जाते हैं
ऐसे ताकतवर के साथी
भी ताकतवर होते हैं
ऐसे ताकतवर तो केवल
जंगल के हाथी होते हैं।
अविनाश रंजन गुप्ता