मेरा मेरा कहने को तो बस तू ही है
मेरे जीने की वजह तो बस तू ही है
मेरी चाहत बस इतनी, है दुआ इतनी-सी
तू खुशी से रहे, तू फुले फले
तेरी खुशी भी तो मेरी खुशी ही तो है।
मेरा मेरा कहने को तो बस तू ही है।
मैं जो पा न सका, वो तुझको मिले
जहाँ जा न सका, हो तेरे कदमों तले
तू आगे बढ़े, बढ़ता ही रहे
तेरी दुनिया में खुशियों के फूल खिले
मेरी खुशी बस इतनी लगाऊँ तुझको गले
मेरी दुनिया में बस तू ही तो है।
मेरा मेरा कहने को तो बस तू ही है।
मेरी ज़िद इतनी-सी है, तुझसे सुन ले
मेरी अंतिम घड़ी में साथ रहना मेरे
साझा करना सुनहरे पलों को पल-पल
प्राण निकलें मेरे, तो हाथ थामूँ तेरा
तू ही देना चिता को अग्नि मेरे
मेरी दुनिया में बस तू ही तो है।
मेरा मेरा कहने को तो बस तू ही है।
अविनाश रंजन गुप्ता

