हे विद्या तुम बनो सारथी
मेरे इस जीवन रथ के।
मन ने मुझे बहुत भरमाया,
उल्टी-सीधी राह चलाया,
दास बनाया जिन विषयों का,
उनमें ही रह गया उलझ के,
हे विद्या तुम बनो सारथी
मेरे इस जीवन रथ के।
विद्या से दुविधा कट जाए
सकल संशय सब मिट जाए
बुद्धि चमके प्रखर रवि –सा
विद्या का जो तिलक लगाए ,
हे विद्या तुम बनो सारथी
मेरे इस जीवन रथ के।
ले लो मेरा मन-ध्यान सब
संसारी ऐश्वर्य मान सब,
तुम्हीं संभालों इस नौका को
पार करो भवसागर से
हे विद्या तुम बनो सारथी मेरे इस जीवन रथ के।