धरा को धारण जिसने किया है,
जिसने धरा में जीवन दिया है,
जिसने सबका पुण्य किया है,
जिससे धरा में बसी दुनिया है,
नाम उसी का वृक्ष हमने दिया है..
नाम उसी का वृक्ष हमने दिया है।
इसको ही कहे हम धरा का गहना,
इसके बिना नहीं संभव जीना,
सब जीवों की रक्षा करे ये,
सब जीवों को सुंदर लगे ये,
इसने हरित आभूषण है पहना…
इसने हरित आभूषण है पहना।
छाया में इसके मिलती तृप्ति,
ये हरते हैं सारी विपत्ति,
उदर पोषण करे सब जीवों का…
उदर पोषण करे सब जीवों का…
ईश्वर की है यह अनुपम कृति…
ईश्वर की है यह अनुपम कृति।
इतना ही जानें, इतना ही मानें,
धारण करे यही मनोवृत्ति,
सकल संसार की श्रेष्ठ संपत्ति…
सकल संसार की श्रेष्ठ संपत्ति…
नाम दिया है इसको वनस्पति।
नाम दिया है इसको वनस्पति।
अविनाश रंजन गुप्ता