प्रिय सुमन
सुमन नाम से तुम्हें आपको पत्र लिखने के तीन महत्त्वपूर्ण कारण हैं। पहला मेरा प्रेम प्रस्ताव यदि अपनी परिणति तक नहीं पहुँच पाए तो इस पत्र की वजह से तुम्हें आपको कोई दिक्कत न हो। दूसरा, यह कि इतने दिनों के दौरान मैंने यह गौर किया है कि तुम्हारा आपका मन बहुत सुंदर है और सुंदर मन के लिए ‘सुमन’ शब्द का प्रयोग किया जाता है। तीसरा और अंतिम कारण यह है कि मुझे तुम आप सुमन अर्थात् फूल की तरह ही सुंदर लगती हैं। एक और बात जो आपको विचित्र लग सकती है वह यह है कि आज के आधुनिक एआई (AI) वाले युग में भी मैं आपको पत्र लिख रहा हूँ और वो भी हिन्दी भाषा में और उसे जिसने अभी तक की अपनी पूरी शिक्षा-दीक्षा अंग्रेज़ी माध्यम से प्राप्त की है। इसका कारण यह है कि मैं हिन्दी सम्मान का छात्र और आप ‘द रॉयल सबजेक्ट’ फ़िजिक्स ऑनर्स की छात्रा को अपनी वास्तविकता से अवगत कराना चाहता हूँ। सुमन जी, पत्र प्रेम प्रकाशित करने का सबसे पुराना और प्रभावी माध्यम है और पत्र के माध्यम से किसी और को इस गुप्त क्रिया का बोध नहीं होगा। सुमन जी यह पत्र मैं आपको बहुत विचार-विमर्श करने के उपरांत लिख रहा हूँ। मेरा आपके प्रति यह अनुराग आज जो पत्र के माध्यम से प्रकाशित होगा वह पहली नज़र वाला बिलकुल नहीं है बल्कि यह तो आपके सतत आकर्षण का परिणाम है कि मेरे हृदय में आपके प्रति कोमल भावना का संचार हुआ है। सुमन जी, मुझे पता है कि आप उच्च मध्य वर्गीय परिवार से संबंध रखती हैं। धनाभाव से वंचित होने के साथ-साथ आपको स्नेह और वात्सल्य का प्राचुर्य भी सदा से प्राप्त रहा है। आज भी जब कभी आपके अभिभावक आपसे मिलने आते हैं तो उनकी आँखों की चमक और आपके चेहरे का प्राकृतिक उल्लास यह स्पष्ट करता है कि उनका आपके प्रति प्रेम Ö की तरह बढ़ रहा है। सुमन जी, मैं भी आपको यह वचन देता हूँ कि यदि हमारा हस्तबंधन हुआ तो आपको मिलने वाली स्नेह और वात्सल्य की धारा को गणित विषय की ¥ तरह तक बहाता रहूँगा। मेरा यकीन कीजिए अगर आपकी खुशी के लिए मुझे अपने प्राणों की भी आहुति देनी पड़ी तो वो भी मेरे लिए शिरोधार्य होगा परंतु ऐसी स्थिति कभी नहीं आएगी ठीक उसी तरह जिस तरह सूर्य कभी शीतल किरणें नहीं दे सकता। सुम्मू, यदि हमारा गठबंधन हुआ तो प्रेम स्वरूप हमारी पहली आत्मजा (बेटी) को सहर्ष आपकी सहमति से लालन-पालन के लिए आपके अभिभावक को देना मैं उचित समझूँगा ताकि उन्हें आपकी कमी अधिक विचलित न कर पाए। इन सबके अतिरिक्त जीवन में और भी कुछ बातें विशेष भूमिका में रहती है, उस पर भी थोड़ा विचार कर लेना आवश्यक है। सुम्मू, वर्तमान मैं छात्र की भूमिका में प्राइवेट ट्यूशन करके कुछ ही कमा पाता हूँ। तो यह तय है कि आने वाले दिनों में इस हिन्दी ऑनर्स के छात्र को कोई न कोई नौकरी मिल ही जाएगी। संपत्ति से भले ही मैं लक्ष्मी का कृपापात्र न बन पाऊँ परंतु आपको स्वतन्त्रता, सम्मान और सहमति में कभी भी कोई समस्या नहीं होगी। सुमन जी, मैं यह समझ सकता हूँ कि कोई भी युवती अपने से श्रेष्ठ का वरण करना चाहती हैं। लक्ष्मी जी ने भी तो विष्णु का वरण किया था परंतु क्या आप इसके विपरीत जाकर मेरा वरण करेंगी। यह निर्णय केवल और केवल आपका ही होना चाहिए। आपकी सहमति और असहमति में न ही आपके अंतरंग सहेली का सुझाव होना चाहिए और न ही किसी और का। यह मेरी तरह शायद आपको भी उचित न लगे कि प्रेम का विज्ञापन हो। सुमन जी, अगर आपका जवाब न में हो तो स्पष्ट रूप से आप कोई भी प्रतिक्रिया न भेजें। मैं समझ सकता हूँ कि आप अपने अभिभावकों को दुखी नहीं करना चाहती यह आप पहले से ही किसी संबंध में हैं या आप अपने करियर पर फोकस करना चाहते हैं। यकीन कीजिए सुमन जी मेरे मन में आपके लिए जीवन में कभी भी कोई दुर्भावना नहीं आएगी। और अगर आप यह सोचेंगी कि मेरे न कह देने से यह दुखी हो जाएगा और कहीं कुछ गलत कदम उठा लेगा तो। तो मैं आपको यह भी बता देना चाहता हूँ कि मैंने बहुत कम प्रतिशत की श्योरिटी का अंदाज़ा पहले से लगा रखा है। मेरे ऊपर जिम्मेदारियों का बोझ भी है जो मुझे देवदास या निठल्ला बनने का कोई भी स्कोप नहीं देता है। अपने जीवन में इस बात पर न पछताऊँ कि शायद एक बार कह लेता, पूछ लेता और बात बन जाती। बस इसी वजह से आपको यह पत्र लिख रहा हूँ। और हाँ एक बात और कि प्रत्युत्तर में मुझसे यह मत कहिएगा कि मैं आपका अच्छा मित्र बन सकता हूँ। हम दोस्त की तरह रह सकते हैं। ऐसा मुझसे न हो पाएगा क्योंकि दोस्ती में बिछड़ना पड़ता है। और मैं आपके करीब आकर आपसे बिछड़ना नहीं चाहता। हाँ, यदि किस्मत ने हमें कभी भी और कहीं भी मिलाया और हमारी नज़रें मिल गईं तो मुझसे आकर कुछ बात ज़रूर कीजिएगा, नज़र चुराकर मुझे अनदेखा नहीं कीजिएगा।
अब अच्छा और हल्का लग रहा है जैसे भीतर के भाव बाहर आ गए हैं।
एक प्रार्थी
अविनाश

