“ध्यान से सुनिए जो मैं कह रहा हूँ। भुवनेश्वर में 2400 स्केवेयर फीट ज़मीन, पीएफ़ में 21 लाख रुपए और एलआईसी में आठ लाख चालीस हज़ार का सम एस्श्योर्ड, ये सारी संपत्ति पूजा की ही होगी, अगर मुझे कुछ भी हो जाए तो पूजा की दूसरी शादी ज़रूर करवाइएगा।“ रात की निस्तब्धता और भय मिश्रित गंभीर आवाज़ में अस्पताल के बेड से अविनाश ने फोन पर अपने साले से ये सारी बातें कहीं।
बात कुछ ऐसी थी कि अविनाश को सिवियर नोज़ ब्लीडिंग के कारण पहली बार अस्पताल में एडमिट होना पड़ा। पिछले 06 दिनों से अस्पताल रहने पर भी ईएनटी डॉक्टर्स इस रक्त बहाव के सटीक कारणों का पता नहीं लगा पा रहे थे। एक अनिश्चित भय के कारण अविनाश को अपनी फैमिली के दो बच्चों और पत्नी के भविष्य को सुरक्षित करने की चिंता अलग से थी जो उसे अल्प्रेक्स (नींद की दवाई) लेने के बाद भी सोने नहीं दे रही थी। बीच-बीच में उसे इस बात पर भी पछतावा हो रहा था कि टर्म इंश्योरेंस का प्रस्ताव आने पर भी उसने टर्म इंश्योरेंस क्यों नहीं लिया। अगर उसने टर्म इंश्योरेंस ले लिया होता तो उसकी फैमिली आर्थिक रूप से सुरक्षित रहती।
ईश्वर के अस्तित्व में संदेह रखने वाला अविनाश भी अंतर-वैयक्तिक संवाद करते हुए ईश्वर से यही कह रहा था कि हे भगवान अभी मेरी जान मत ले यार। बच्चे अभी सात और चार साल के हैं, उनका क्या होगा? 38 साल की उम्र में मर जाना और अपने दो नन्हें बच्चों और देहातिन पत्नी को इस निष्ठुर समाज में छोड़ कर जाना उसे कतई स्वीकार नहीं था।
साक्षात् विष्णु जी भी यदि आकर उसे स्वर्गलोक के सारे सुख देने की बात करते तो भी एक झटके में वह इस प्रस्ताव को ठुकरा कर इसी दुखलोक में रहना श्रेयस्कर मानता।
चिता बनने की इसी चिंता में रात के तीन बज गए और जब उसकी पत्नी जो परिचारिका की भूमिका भी अदा कर रही थी, जाग गई और पूछा कि आप क्यों जागे हुए हैं, तो अविनाश ने यह कह दिया कि थोड़ी प्यास लग गई थी। पति ने झूठ बोला और पत्नी ने समझ लिया फिर भी दोनों शांत रहे। अगले दिन जब सारी रिपोर्ट नॉर्मल आई और नाक की एक वेन की सर्जरी से ब्लीडिंग रुक गई तो सब सामान्य हो गया। आज इस हृदय प्रकंपित घटना को लगभग 6 महीने बीत चुके हैं। अब अविनाश के परिवार में खुशियाँ पहले से ज़्यादा हैं। फिजूल की बातों को वरीयता देना और अनचाहे तनावों से वह मुक्त रहने लगा है। ससुराल में भी उसकी इज्ज़त काफी बढ़ गई है। पत्नी ने भी जब रुद्राभिषेक करवाने की बात कही तो अविनाश ने बिना किसी आना-कानी के हामी भर दी।