ज़िंदगी के कितने सावन
तुझ बिन बिताए हैं।
उस खुदा से हमने माँगी
कितनी दुआएँ हैं।
रातें मैंने काटी हैं और
दिन भी मैंने झेलें हैं
कहीं भीड़ हैं तो कहीं
ख़्वाहिशों के मेले हैं।
इस भरी-भरी दुनिया में
कितने हम अकेले हैं।
फिर खुदा ने मुझपर अपनी
रहमत दिखाई है।
इस वीराने जीवन में तू
फूल बनाकर आई है।
तेरी खुशबू से जीवन
खुशनुमा-सा हो गया।
तनहाई मेरे जीवन से
गुमशुदा-सा हो गया।
साथ तेरा छोड़ूँगा न
ये कसम मैंने खाई है।
देख मेरी आँखों में
कितनी सच्चाई है।
तेरा साथ चाहूँ मैं तो
जनमों जनम तक
तेरा बस तेरा ही नाम
आए मेरे लब तक
संग सदा हम रहे
ये साँसें चले जब तक।
ये साँसें चले जब तक।