सुनो बच्चो न करो नादानी
चलो सुनाए तुम्हें कहानी
सुनो बच्चो न करो नादानी
चलो सुनाए तुम्हें कहानी
सुनो सुनाए तुम्हें कहानी
इक ऐसे इंसान की
जिनको जानें, जिनको पूजे
मिट्टी हिंदुस्तान की
जन्मे थे वे आम बनके
नाम उनका कलाम था
धीरे-धीरे बन गए खास
क्योंकि …..
लक्ष्य उनके पास था।
विपदाओं में थे मुसकाते
दुख से थे न वे कतराते
समझे …..
विपदाओं में थे मुसकाते
दुख से थे न वे कतराते
हल मिले न जबतक उनको
हल मिले न जबतक उनको
यत्न लगन से करते जाते
अपने कर्मों से ही वे
देश का गौरव मान बढ़ाते।
अपने कर्मों से ही वे
भारत देश की शान बढ़ाते।
एक दिन ऐसा भी आया,
हम सबने ली जब गहरी चैन
क्योंकि भारत में जन्मा था
एक अपूर्व मिसाइल मैन
समर क्षेत्र में अमर किया और
और हुई देश की प्रबल प्रगति
इसीलिए वे चुने गए
भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति
इसीलिए वे चुने गए
भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति
जीवन के अंतिम बिन्दु तक
वैचारिक क्रांति फैलाई
अपनी वाणी और रचना से
वैज्ञानिक ज्योति भी जलाई।
सारा जीवन अर्पित करके
कोटी छात्रों को मर्मित करके
सुकर्मों को अर्जित करके
एक दिन ऐसा भी आया
जब …….
दो सहस्र और पंद्रह को
उनको बैकुंठ धाम मिला
उनके कृत्यों से धरती पर
मानवता का फूल खिला।
मृत्योपरांत दिनांक बनें वो
नक्षत्रों में शशांक बनें वो
जो अपनी आभा से धरती को
अब भी आलोकित करते हैं
व्योम से अपनी धरती माँ को
अब भी देखा करते हैं।
अविनाश रंजन गुप्ता

