हम सब पृथ्वीपुत्र धरित्री
माता तू सबकी है।
है विराट पर्जन्य प्रजापति
तू धारा सुख की है।
हम सब पृथ्वीपुत्र धरित्री
माता तू सबकी है।
जन-जन के काया की धात्री
शुभाशीष देती तू विधात्री
तू कोमल मन की है
हम सब पृथ्वीपुत्र धरित्री
माता तू सबकी है।
पंचतत्त्व की तू है देवी
सकल जीव हैं तेरे सेवी
विविधता तेरे हैं कण-कण में
गतियाँ तेरे हैं क्षण-क्षण में
तू मूरत गति की है
हम सब पृथ्वीपुत्र धरित्री
माता तू सबकी है।
अविनाश रंजन गुप्ता