Path 2.2: Gaddar Kaun, Lokkatha, Narayan Lal Parmar, Class IX, Hindi Book, Chhattisgarh Board, The Best Solutions.

नारायण लाल परमार – लेखक परिचय

नारायण लाल परमार का जन्म 1 जनवरी 1927 को हुआ। वे छत्तीसगढ़ में नई कविता के प्रारंभिक कवियों में से एक थे। वे हिंदी और छत्तीसगढ़ी के ख्यातिनाम कवि थे। बच्चों के लिए भी उन्होंने कई विधाओं में बहुत-सी किताबें लिखीं। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं- रोशनी का घोषणा पत्र, काँवर भर धूप, खोखले शब्दों के खिलाफ, सब कुछ निष्पंद है तथा विस्मय का वृंदावन साहित्य के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें मुक्तिबोध सम्मान मिला। 27 अप्रैल 2003 को उनका निधन हुआ।

पाठ परिचय

गद्दार कौन लोककथा हमारी परंपराओं में निहित जीवन मूल्यों से हमें परिचित कराती है। अवांछित और अनैतिक मूल्यों को अस्वीकार कर सत्य और श्रेष्ठ का वरण करने का संदेश देती है। यह लोककथा हमारे उच्च सांस्कृतिक मूल्यों की प्रतिष्ठा करती है।

गद्दार कौन

नवलगढ़ राज्य में यह प्रथा चली आ रही थी कि हर साल दशहरे के दिन राजधानी में एक बड़ा मेला भरता। प्रजा का हर व्यक्ति राजा को अपनी शक्ति के अनुसार भेंट चढ़ाता, राजमहल खूब सजाया जाता। नगर में कम उत्साह नहीं रहता। दूर-दूर से नृत्य मंडलियाँ आतीं, संगीत के कलाकारों का जमाव होता और रामलीला का तो जैसे अंत ही न होता। सचमुच राजधानी मानिकपुरी उस दिन सजी-धजी दुल्हन से कम न लगती।

उस साल भेंट इतनी अधिक चढ़ी कि राजा रामशाह खुद आश्चर्य में पड़ गए। उन्होंने राजा साहब की तारीफ के पुल बाँध दिए और उनकी तुलना भगवान श्रीरामचंद्रजी से करने लगे। वे यह कहने से भी न चूके कि संसार में ऐसा कोई राज्य है तो वह नवलगढ़ राज्य है जिसमें शेर और बकरी एक घाट पर पानी पीते हैं।

राजा साहब सुनकर खुश हुए। पंडित रामभगत को वे राजपुरोहित कम और अपना दोस्त अधिक समझते थे। अपनी प्रसन्नता प्रकट करने के लिए उन्होंने पंडितजी को ढेर सारी सोने की मुद्राएँ भेंट कीं।

रात को पंडितजी घर में पंडिताइन से कहने लगे कि यह बूता पंडित रामभगत का ही है जिन्होंने राजा साहब के यश को चारों दिशाओं में फैला दिया है। राजा साहब उनकी हर बात को आदरपूर्वक मान लेते हैं। दूसरे राजाओं की तरह वे विलासी या आरामतलब नहीं हैं। वे प्रजा की भलाई का भी सदा ध्यान रखते हैं। प्रजा भी उन्हें सच्चे मन से चाहती है। जीवन की सफलता के अनेक रहस्य उन्होंने राजा साहब को सिखलाए हैं।

इस तरह नींद आने के पहले पंडिताइन यह मान गई कि सचमुच उसके पति नवलगढ़ राज्य की एक बहुत बड़ी हस्ती हैं।

पंडित रामभगत, जब कभी समय मिलता, अपनी इस विद्या की थोड़ी बहुत बानगी अपने इकलौते पुत्र रामचरण को भी देते। उनको यह विश्वास था कि एक न एक दिन जब राजा रामशाह की जगह उनका पुत्र लेगा तो उनकी जगह भी रामचरण बखूबी ले लेगा। अभी तो राजपुत्र और ब्राह्मणकुमार की पढ़ाई अलग-अलग होने लगी। एक दिन ऐसा भी आया कि जब राजेंद्रशाह राजा हुए और पंडितजी का बेटा उनका राजपुरोहित। नई उमर थी, नए विचार थे। आरंभ से ही दोनों टकराने लगे। राजेंद्रशाह अपने पिता से भिन्न उद्दंड और विलासी था। इसके विपरीत रामचरण कुछ अधिक बुद्धिवादी और तर्क करने वाला था।

अब रोज सवेरे नृत्य और संगीत की महफिल जमती राजेंद्रशाह को बड़ा मजा आता। रामचरण बीच में कभी उन्हें टोकता, प्रजा की ओर उनका ध्यान खींचता तो वे उसे झिड़क देते। अजीब परिस्थिति आ गई। वैसे रामचरण जानता था कि बुरी आदतों को जल्दी बदला नहीं जा सकता। वह अपमान सहता और अपने कर्तव्य का पालन करता जाता। परंतु कब तक? इधर राजा की विलासप्रियता बढ़ती गई और उधर खजाना खाली होता गया। प्रजा के दुख बढ़ने लगे। रामचरण ने राजा को आखिरी नेक सलाह दी। परिणाम में उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा।

रामचरण निराश नहीं हुआ। उसने आसपास के गाँवों में शिक्षा प्रसार का बीड़ा उठा लिया। उसे इस काम में बड़ी सफलता मिली। धीरे-धीरे राजा के कुछ खुशामदियों को यह बात खलने लगी। ज्यों-ज्यों रामचरण का यश बढ़ता जाता त्यों-त्यों उसकी शिकायतें भी बढ़ती गईं। एक दिन उसे प्रजा को भड़काने के आरोप में राजा के सामने पेश किया गया।

नए राजपुरोहित ने मामले को संगीन बताया। उसने कहा- प्रजा को राजा के विरुद्ध भड़काना सबसे बड़ा पाप है। राज दरबारियों ने भी हामी भरी। बेचारा रामचरण क्या करता? उसकी एक न सुनी गई।

मृत्युदंड सुनाने के पहले राजेंद्रशाह ने पूछा कि यदि कोई अंतिम इच्छा है तो कहो। रामचरण ने कहा ‘महाराज! अब तक मैंने आपको अपनी शक्ति के अनुसार बहुत सी बातें बतलाई हैं। अब चाहता हूँ कि मोतियों की फसल उगाने का गुर भी आपको बता दूँ।

यह सुनना था कि दरबारी दंग रह गए। कुछ लोगों को शंका हुई कि यह कहीं धोखा देकर भाग न जाए। परंतु राजा ने उस पर विश्वास किया। कहा, “हम तुम्हें मौका देंगे। अपनी यह विद्या तुम हमें अवश्य सिखा दो। राजा से आज्ञा लेकर रामचरण अपने काम में जुट गया। उसने कुछ बीघे अच्छी जमीन ली। उसे जोतकर उसमें गेहूँ डलवा दिए। शर्त यह रखी गई कि वह अपना काम चुपचाप ही करेगा। कोई भी उसमें बाधा न डाल सकेगा।

दुश्मनों ने बहुत चाहा कि देखें, आखिर वह पंडित का बच्चा क्या करता है? परंतु वे रामचरण के काम की टोह न पा सके। समय पर अंकुर निकले और फिर पौधे बड़े हो गए।

एक धुंध भरी सुबह को रामचरण राजा और उसके मुसाहिबों को लेकर खेत पर पहुँचा। हर पौधा ओस की सुनहरी बूँदों से जड़ा हुआ था। रामचरण ने कहा लीजिए- मोतियों की फसल। एक मुसाहिब ज्यों ही उसे तोड़ने के लिए बढ़ा, रामचरण चिल्लाया, ‘ठहरो! यह मोतियों की पवित्र फसल है, इसे वही व्यक्ति हाथ लगा सकता है जिसने अब तक देश के प्रति गद्दारी न की हो।

सब के चेहरे फीके पड़ गए। कुछ देर तक वे एक दूसरे की सूरत देखते रहे और जिधर से जाते बना, सब चल दिए। अंत में बचे राजा। उनकी आँखें आत्मज्ञान से मानो चमक उठीं। दूसरे ही पल उनका मस्तक पंडित रामचरण के चरणों में था।

सारांश

‘गद्दार कौन’ एक नैतिक कहानी है जो नवलगढ़ राज्य के राजा रामशाह और उनके राजपुरोहित पंडित रामभगत की मित्रता से शुरू होती है। दशहरे के मेले में प्रजा की उदार भेंट से राजा प्रसन्न होते हैं और पंडितजी को पुरस्कृत करते हैं। पंडितजी अपनी विद्या से राजा को जीवन के रहस्य सिखाते हैं। समय के साथ राजा का पुत्र राजेंद्रशाह उद्दंड हो जाता है, जबकि पंडितजी का पुत्र रामचरण तर्कशील। रामचरण की सलाह पर राजा क्रोधित होकर उसे निकाल देता है। रामचरण शिक्षा प्रसार में सफल होता है, लेकिन राजा के चाटुकारों की शिकायत पर उसे राजद्रोह का दोषी ठहराया जाता है। मृत्यु दंड से पहले रामचरण “मोतियों की फसल उगाने” का गुर बताने का प्रस्ताव रखता है। वह गेहूँ की फसल उगाता है और कहता है कि इसे केवल गद्दारी न करने वाले ही छू सकते हैं। इससे दरबारी भाग जाते हैं, और राजा को अपने गद्दार का बोध हो जाता है। कहानी नैतिकता, सत्याग्रह और आत्मचिंतन का संदेश देती है।

शब्दार्थ

लालसा – प्राप्त करने की इच्छा

विलासी – आमोद-प्रमोद और व्यसन में डूबा रहने वाला

बखूबी – अच्छी तरह से, भली-भाँति

उद्दंड – अक्खड़

गुर – युक्ति, कार्य सिद्धि का मूलमंत्र

आराम तलब – आराम करने की इच्छा रखने वाला

मुसाहिब – चाटुकार

 

हिंदी शब्द

हिंदी अर्थ

English Meaning

उद्दंड

अशिष्ट, अनियंत्रित

Rebellious, unruly

विलासी

विलासिता पसंद करने वाला

Luxurious, indulgent

बुद्धिवादी

तर्क और बुद्धि पर आधारित विचारक

Intellectual, rationalist

महफिल

सभा, संगीत या नृत्य की सभा

Gathering, assembly

खुशामदिया

चापलूस, तुष्टिकरण करने वाला

Flatterer, sycophant

संगीन

गंभीर, भारी

Serious, grave

मुसाहिब

सलाहकार, साथी

Companion, advisor

आत्मज्ञान

आत्म-बोध, स्वयं का ज्ञान

Self-realization

बानगी

नमूना, उदाहरण

Specimen, example

चरण

पैर, चरण

Feet, step

नेक सलाह

अच्छी सलाह

Good advice

यश

कीर्ति, प्रसिद्धि

Fame, glory

बूता

प्रतिष्ठा, प्रभाव

Prestige, influence

विद्या

ज्ञान, कला

Knowledge, art

प्रजा

जनता, प्रजा

Subjects, people

 

अभ्यास

पाठ से

  1. दशहरे पर नवलगढ़ राज्य में होने वाले आयोजन के बारे में लिखिए।

उत्तर – दशहरे पर नवलगढ़ राज्य की राजधानी मानिकपुरी में एक बड़ा मेला लगता था। प्रजा अपनी शक्ति के अनुसार राजा को भेंट चढ़ाती थी, राजमहल को खूब सजाया जाता था, दूर-दूर से नृत्य मंडलियाँ आती थीं, संगीत कलाकारों का जमावड़ा होता था और रामलीला का आयोजन किया जाता था।

  1. राजा रामशाह और उनके राजपुरोहित पंडित रामभगत के आपसी संबंध कैसे थे?

उत्तर – राजा रामशाह और उनके राजपुरोहित पंडित रामभगत के आपसी संबंध बहुत घनिष्ठ थे। राजा उन्हें राजपुरोहित से अधिक अपना दोस्त समझते थे और उनकी हर बात का आदर करते थे।

  1. रामचरण को नौकरी से क्यों हाथ धोना पड़ा?

उत्तर – राजा राजेंद्रशाह की विलासिता के कारण राज्य का खजाना खाली हो रहा था और प्रजा दुखी थी। जब रामचरण ने राजा को आखिरी बार नेक सलाह दी, तो परिणाम स्वरूप उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा।

  1. मोतियों की फसल वस्तुतः क्या थी?

उत्तर – मोतियों की फसल वस्तुतः गेहूँ के पौधे थे, जिनकी पत्तियाँ सुबह-सुबह ओस की सुनहरी बूँदों से जड़ी हुई थीं और मोतियों के समान चमक रही थीं।

  1. रामचरण की सफलता पर किस तरह की प्रतिक्रियाएँ हुईं?

उत्तर – जब रामचरण ने शिक्षा प्रसार का काम शुरू किया और उसका यश बढ़ने लगा तो राजा के कुछ खुशामदी (चाटुकार) उससे जलने लगे और राजा से उसकी शिकायतें करने लगे।

  1. राजा रामशाह और उनके पुत्र राजेंद्रशाह के व्यक्तित्व में क्या-क्या समानताएँ थीं? एक तालिका के रूप में लिखिए।

राजा रामशाह                 राजा राजेंद्रशाह

उत्तर – पाठ के अनुसार, राजा रामशाह और उनके पुत्र राजेंद्रशाह के व्यक्तित्व में कोई समानता नहीं थी, बल्कि उनका स्वभाव एक-दूसरे के विपरीत था। उनकी चारित्रिक विशेषताओं का तुलनात्मक विवरण इस प्रकार है:

राजा रामशाह

राजा राजेंद्रशाह

1. वे प्रजा की भलाई का ध्यान रखते थे।

1. वह प्रजा के प्रति लापरवाह था।

2. वे विलासी या आरामतलब नहीं थे।

2. वह उद्दंड और विलासी था।

3. वे अपने राजपुरोहित का आदर करते थे।

3. वह सही सलाह देने पर राजपुरोहित को झिड़क देता था।

4. प्रजा उन्हें सच्चे मन से चाहती थी।

4. उसके कुशासन से प्रजा दुखी थी।

 

पाठ से आगे

  1. अपने गाँव या शहर में किसी पर्व पर चली आ रही प्रथा के विषय में लिखिए।

उत्तर – हमारे गाँव में दीपावली के पर्व पर ‘गौरा-गौरी’ विवाह की प्रथा चली आ रही है। इस दिन मिट्टी से शिव-पार्वती की प्रतिमाएँ बनाकर उनका पारंपरिक रीति-रिवाजों से विवाह कराया जाता है और भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें पूरा गाँव उत्साह से भाग लेता है।

  1. आपके गाँव में प्रचलित तीन अच्छी और तीन बुरी प्रथाओं के विषय में तीन-तीन वाक्य लिखिए।

उत्तर – तीन अच्छी प्रथाएँ –

सामुदायिक उत्सव (जैसे कर्मा और हरेली) – गाँव में कर्मा और हरेली जैसे त्योहारों पर सभी लोग एक साथ मिलकर नृत्य, गीत और पूजा करते हैं। ये उत्सव सामाजिक एकता को बढ़ाते हैं और सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखते हैं। इससे गाँववासियों में आपसी प्रेम और सहयोग की भावना मजबूत होती है।

सामूहिक खेती और सहायता – गाँव में किसान फसल बोने और कटाई के समय एक-दूसरे की मदद करते हैं। यह प्रथा श्रम को साझा करती है और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को सहारा देती है। इससे सामुदायिकता और सहकारिता की भावना बनी रहती है।

लोककथाओं और गीतों का प्रचलन – गाँव में पंडवानी और ददरिया जैसे लोकगीत और कथाएँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुनाई जाती हैं। ये सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हैं और बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास करते हैं। इनके माध्यम से इतिहास और परंपराएँ जीवित रहती हैं।

तीन बुरी प्रथाएँ –

दहेज प्रथा – गाँव में विवाह के समय दुल्हन के परिवार से दहेज की माँग अभी भी प्रचलित है। यह प्रथा आर्थिक बोझ बढ़ाती है और सामाजिक असमानता को जन्म देती है। कई बार इससे लड़कियों के परिवार को कर्ज में डूबना पड़ता है।

जातिगत भेदभाव – कुछ लोग अभी भी जाति के आधार पर सामाजिक भेदभाव करते हैं, जैसे मंदिर प्रवेश या सामाजिक आयोजनों में बँटवारा। यह प्रथा गाँव की एकता को कमजोर करती है और सामाजिक तनाव को बढ़ावा देती है। इससे समावेशी विकास में बाधा आती है।

अंधविश्वास और टोना-टोटका – गाँव में बीमारी या विपत्ति को टोने-टोटके से जोड़कर ओझा-गुनी की मदद लेने की प्रथा है। यह वैज्ञानिक चिकित्सा को नजरअंदाज करती है और अक्सर गलत उपचार से नुकसान होता है। इससे शिक्षा और जागरूकता की कमी उजागर होती है।

  1. यदि राजेंद्रशाह के स्थान पर रामचरण राजा बन जाता तो राज्य की स्थिति क्या होती?

उत्तर – यदि राजेंद्रशाह के स्थान पर रामचरण राजा बन जाता, तो वह अपनी बुद्धिमत्ता, तर्कशीलता और प्रजा के प्रति कर्तव्यनिष्ठा से राज्य का बेहतर संचालन करता। उसकी नीतियाँ प्रजा के हित में होतीं, राज्य का खजाना भरा रहता और नवलगढ़ में पुनः सुख-शांति का वास होता।

  1. कहानी में राजपुरोहित द्वारा राजा की झूठी तारीफ कर सोने की मुद्राएँ प्राप्त करते हुए बताया गया है। ऐसा करना उचित है या अनुचित? अपने उत्तर तर्क सहित लिखिए।

उत्तर – राजा की झूठी तारीफ कर मुद्राएँ प्राप्त करना सर्वथा अनुचित है। एक राजपुरोहित या सलाहकार का कर्तव्य राजा को सही मार्ग दिखाना होता है, न कि झूठी प्रशंसा करके अपना स्वार्थ सिद्ध करना। झूठी प्रशंसा राजा को अहंकारी और पथभ्रष्ट बना सकती है, जिससे अंततः प्रजा और राज्य का अहित होता है, जैसा कि कहानी में राजा राजेंद्रशाह के साथ हुआ।

 

भाषा के बारे में

  1. पाठ में दिए गए इन मुहावरों के अर्थ लिखकर उनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए-

(क) तारीफ के पुल बाँधना

(ख) बीड़ा उठाना

(ग) राई का पहाड़ बनाना

(घ) चेहरा फीका पड़ना

(ङ) टोह न पाना

(क) तारीफ के पुल बाँधना

अर्थ – बहुत अधिक प्रशंसा करना।

वाक्य प्रयोग – अपना काम निकलवाने के लिए स्वार्थी लोग अक्सर अधिकारियों के सामने उनकी तारीफ के पुल बाँधने लगते हैं।

(ख) बीड़ा उठाना

अर्थ – किसी कठिन काम को करने की जिम्मेदारी लेना।

वाक्य प्रयोग – रामचरण ने गाँव में शिक्षा के प्रसार का बीड़ा उठाया

(ग) राई का पहाड़ बनाना

अर्थ – छोटी-सी बात को बहुत बड़ा या गंभीर मुद्दा बना देना।

वाक्य प्रयोग – मीना ने अपने भाई के देर से घर आने को राई का पहाड़ बना दिया और पूरे परिवार को परेशान कर दिया।

(घ) चेहरा फीका पड़ना

अर्थ – घबरा जाना या लज्जित होना।

वाक्य प्रयोग – जब रामचरण ने कहा कि फसल को वही हाथ लगा सकता है जिसने गद्दारी न की हो, तो सभी दरबारियों का चेहरा फीका पड़ गया

(ङ) टोह न पाना

अर्थ – पता न लगा पाना, कोई सुराग न मिलना।

वाक्य प्रयोग – दुश्मनों ने बहुत कोशिश की, परंतु वे रामचरण के काम की टोह न पा सके

  1. वाक्य के रेखांकित शब्दों में अनुस्वार () या चंद्रबिंदु () लगाइए और लिखिए –

(क) राजा ने पंडित जी को ढेर सारी मुद्राए दीं।

उत्तर – राजा ने पंडित जी को ढेर सारी मुद्राएँ दीं।

(ख) हर पौधा ओस की सुनहरी बूदों से जड़ा हुआ था।

उत्तर – हर पौधा ओस की सुनहरी बूँदों से जड़ा हुआ था।

(ग) मृत्युदड सुनाने से पहले राजेंद्रशाह ने पूछा।

उत्तर – मृत्युदंड सुनाने से पहले राजेंद्रशाह ने पूछा।

(घ) अभी तो राजपुत्र और ब्राह्मण कुमार आगन में खेल रहे थे।

उत्तर – अभी तो राजपुत्र और ब्राह्मण कुमार आँगन में खेल रहे थे।

(ङ) दूर-दूर से नृत्य मडलिया आतीं।

उत्तर – दूर-दूर से नृत्य मंडलियाँ आतीं।

  1. निम्नांकित वाक्यों के रेखांकित शब्दों को उनके हिंदी पर्याय से इस तरह बदल कर लिखिए कि उनके अर्थ में परिवर्तन न हो।

(क) हम तुम्हें मौका देंगे।

उत्तर – हम तुम्हें अवसर देंगे।

(ख) कुछ खुशामदियों को यह बात खलने लगी।

उत्तर – कुछ चाटुकारों को यह बात खलने लगी।

(ग) नए राजपुरोहित ने मामले को संगीन बताया।

उत्तर – नए राजपुरोहित ने मामले को गंभीर बताया।

(घ) प्रजा को राजा के खिलाफ भड़काना पाप है।

उत्तर – प्रजा को राजा के विरुद्ध भड़काना पाप है।

(ङ) इधर राजा की विलासप्रियता बढ़ती गई और उधर खजाना खाली होता गया।

उत्तर – इधर राजा की विलासप्रियता बढ़ती गई और उधर कोष खाली होता गया।

 

  1. निम्नांकित वाक्यों से कारक चिह्न पहचानकर अलग कीजिए।

(क) प्रजा का हर व्यक्ति राजा को अपनी शक्ति के अनुसार भेंट चढ़ाता।

उत्तर – प्रजा का हर व्यक्ति राजा को अपनी शक्ति के अनुसार भेंट चढ़ाता। (कारक चिह्न – का, को, के)

(ख) परिणामतः उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा।

उत्तर – परिणामतः उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। (कारक चिह्न – से)

(ग) उनकी आँखें आत्मज्ञान से मानो चमक उठीं।

उत्तर – उनकी आँखें आत्मज्ञान से मानो चमक उठीं। (कारक चिह्न – से)

(घ) संसार में ऐसा अगर कोई राज्य है तो वह नवलगढ़ है।

उत्तर – संसार में ऐसा अगर कोई राज्य है तो वह नवलगढ़ है। (कारक चिह्न – में)

(ङ) राजा ने उस पर विश्वास किया।

उत्तर – राजा ने उस पर विश्वास किया। (कारक चिह्न – ने, पर)

योग्यता विस्तार

  1. एक अन्य लोककथा खोजकर लाइए और उसे अपनी भाषा में लिखकर शाला की भित्ति पत्रिका में लगाइए।

उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।

  1. ‘आँख से संबंधित मुहावरों की सूची तैयार कीजिए और उनके अर्थ भी लिखिए।

उत्तर –

क्रमांक

मुहावरा

अर्थ

1

आँख का तारा होना

बहुत प्यारा या प्रिय होना

2

आँखें खोलना

सच्चाई का ज्ञान होना / जागरूक होना

3

आँखें चार होना

किसी से नज़रें मिलना / प्रेम की शुरुआत होना

4

आँखों में धूल झोंकना

धोखा देना / छल करना

5

आँखें फेर लेना

मुँह मोड़ लेना / मदद न करना

6

आँख का अंधा

वास्तविकता को न देख पाने वाला व्यक्ति

7

आँखों में बसाना

किसी को बहुत प्रिय मानना / दिल में जगह देना

8

आँखों का तारा

अत्यंत प्रिय व्यक्ति

9

आँखों में खटकना

किसी को अप्रिय लगना / ईर्ष्या का कारण होना

10

आँखें तरेरना

गुस्से से देखना / डराना

11

आँखें बिछाना

स्वागत में अत्यधिक प्रसन्नता दिखाना

12

आँखें नीची करना

शर्माना / संकोच करना

13

आँख बचाकर

चोरी-छिपे / छिपकर कोई कार्य करना

14

आँखों के सामने

प्रत्यक्ष रूप से / आँखों के सामने होना

15

आँखों में आँसू आना

दुखी या भावुक होना

16

आँखें फटी की फटी रह जाना

बहुत अधिक आश्चर्यचकित हो जाना

17

आँखें लगना

नींद आना

18

आँखों में चढ़ना

किसी का प्रिय या विशेष बन जाना

19

आँख मूँदकर

बिना सोचे-समझे / अंधविश्वास में

20

आँखों में खून उतरना

अत्यधिक क्रोधित हो जाना

 

  1. अपने अधिकारी या प्रभावशाली व्यक्ति की झूठी प्रशंसा कर लाभ उठाने के उदाहरण तुम्हारे आसपास भी दिखाई देते होंगे। कक्षा, विद्यालय या समाज से ऐसा एक उदाहरण ढूँढ़कर उसके विषय में अपने साथियों से चर्चा करें।

उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।

  1. आपने राजा और राजपुरोहित की यह कथा पढ़ी। इसी तरह अकबर-बीरबल तथा तेनालीराम की कथाएँ लिखी गई हैं। इन्हें खोजकर पढ़िए।

उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।

  1. छत्तीसगढ़ के मानचित्र में निम्नांकित स्थानों को दर्शाइए।

(क) खैरागढ

(ख) रतनपुर

(ग) सरगुजिहा भाषा वाला क्षेत्र

(घ) कांगेर घाटी

(ङ) कुटुंबसर गुफा

(च) मैनपाट

(छ) राज्य का सबसे ठंडा क्षेत्र

(ज) दंतेवाड़ा

उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।

 

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

नवलगढ़ राज्य में दशहरे के दिन क्या आयोजित होता था?

a) युद्ध प्रतियोगिता

b) बड़ा मेला

c) धार्मिक उपवास

d) व्यापार मंडी

   उत्तर – b) बड़ा मेला 

 

राजा रामशाह ने पंडित रामभगत की तुलना किससे की?

a) भगवान विष्णु से

b) भगवान श्रीरामचंद्रजी से

c) भगवान शिव से

d) भगवान कृष्ण से

   उत्तर – b) भगवान श्रीरामचंद्रजी से 

पंडित रामभगत ने राजा को क्या सिखाया?

a) युद्ध कला

b) जीवन की सफलता के रहस्य

c) संगीत

d) चित्रकला

   उत्तर – b) जीवन की सफलता के रहस्य 

राजेंद्रशाह अपने पिता से किस रूप में भिन्न था?

a) उदार

b) उद्दंड और विलासी

c) धार्मिक

d) मेहनती

   उत्तर – b) उद्दंड और विलासी 

रामचरण ने नौकरी छोड़ने के बाद क्या कार्य शुरू किया?

a) व्यापार

b) शिक्षा प्रसार

c) सेना भर्ती

d) कृषि सुधार

   उत्तर – b) शिक्षा प्रसार 

रामचरण पर क्या आरोप लगाया गया?

a) चोरी

b) प्रजा को राजा के विरुद्ध भड़काना

c) धोखाधड़ी

d) जासूसी

   उत्तर – b) प्रजा को राजा के विरुद्ध भड़काना 

मृत्युदंड से पहले रामचरण ने क्या इच्छा व्यक्त की?

a) धन प्राप्ति

b) मोतियों की फसल उगाने का गुर बताना

c) क्षमा मांगना

d) विदेश यात्रा

   उत्तर – b) मोतियों की फसल उगाने का गुर बताना 

रामचरण ने मोतियों की फसल के लिए क्या बोया?

a) चावल

b) गेहूँ

c) जौ

d) बाजरा

   उत्तर – b) गेहूँ 

मोतियों की फसल को छूने की शर्त क्या थी?

a) केवल राजा छू सकता है

b) वही व्यक्ति जो देश के प्रति गद्दारी न की हो

c) केवल ब्राह्मण

d) केवल बच्चे

   उत्तर – b) वही व्यक्ति जो देश के प्रति गद्दारी न की हो 

कहानी का अंतिम दृश्य क्या दर्शाता है?

a) रामचरण की मृत्यु

b) राजा का आत्मज्ञान और रामचरण के चरणों में नमन

c) युद्ध

d) मेले का आयोजन

    उत्तर – b) राजा का आत्मज्ञान और रामचरण के चरणों में नमन 

पंडित रामभगत को राजा कितना मानते थे?

a) शत्रु के रूप में

b) दोस्त के रूप में अधिक

c) उपेक्षित

d) भयभीत

    उत्तर – b) दोस्त के रूप में अधिक 

राजेंद्रशाह को क्या आनंद देता था?

a) प्रजा सेवा

b) नृत्य और संगीत की महफिल

c) अध्ययन

d) कृषि कार्य

    उत्तर – b) नृत्य और संगीत की महफिल 

रामचरण की विशेषता क्या थी?

a) चापलूसी

b) बुद्धिवादी और तर्क करने वाला

c) विलासी

d) उद्दंड

    उत्तर – b) बुद्धिवादी और तर्क करने वाला 

नए राजपुरोहित ने रामचरण के मामले को कैसे बताया?

a) हल्का

b) संगीन

c) मजाकिया

d) अनदेखा

    उत्तर – b) संगीन 

रामचरण के काम में क्या शर्त रखी गई?

a) सार्वजनिक प्रदर्शन

b) चुपचाप कार्य करना

c) सहायता लेना

d) धन व्यय

    उत्तर – b) चुपचाप कार्य करना 

मोतियों की फसल देखकर दरबारियों का क्या हुआ?

a) वे खुश हुए

b) चेहरे फीके पड़ गए और भाग गए

c) नृत्य करने लगे

d) पुरस्कार दिए

    उत्तर – b) चेहरे फीके पड़ गए और भाग गए 

कहानी का मुख्य संदेश क्या है?

a) धन संचय

b) गद्दारी का परिणाम और आत्मचिंतन

c) विलासिता

d) शिक्षा का विरोध

    उत्तर – b) गद्दारी का परिणाम और आत्मचिंतन 

पंडिताइन को पंडित रामभगत ने क्या समझाया?

a) राजा की कमियां

b) अपनी हस्ती और यश

c) गरीबी के कारण

d) युद्ध की तैयारी

    उत्तर – b) अपनी हस्ती और यश 

राजा रामशाह ने नवलगढ़ राज्य की तुलना किससे की?

a) स्वर्ग से

b) शेर और बकरी के शांतिपूर्ण सहअस्तित्व से

c) नरक से

d) जंगल से

    उत्तर – b) शेर और बकरी के शांतिपूर्ण सहअस्तित्व से 

रामचरण ने राजा को आखिरी नेक सलाह कब दी?

a) बचपन में

b) खजाना खाली होने पर

c) मृत्यु से पहले

d) मेले में

    उत्तर – b) खजाना खाली होने पर 

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1 – नवलगढ़ राज्य में दशहरे के दिन क्या प्रथा थी?

उत्तर – नवलगढ़ राज्य में यह प्रथा थी कि हर साल दशहरे के दिन राजधानी में एक बड़ा मेला लगता था और प्रजा राजा को भेंट चढ़ाती थी।

प्रश्न 2 – राजा रामशाह और राजपुरोहित पंडित रामभगत के बीच कैसा संबंध था?

उत्तर – राजा रामशाह, पंडित रामभगत को राजपुरोहित से अधिक अपना दोस्त समझते थे और उनकी हर बात को आदरपूर्वक मानते थे।

प्रश्न 3 – राजा रामशाह ने प्रसन्न होकर पंडितजी को क्या भेंट किया?

उत्तर – राजा रामशाह ने प्रसन्न होकर अपनी प्रसन्नता प्रकट करने के लिए पंडितजी को ढेर सारी सोने की मुद्राएँ भेंट कीं।

प्रश्न 4 – पंडित रामभगत को अपने पुत्र रामचरण के भविष्य के बारे में क्या विश्वास था?

उत्तर – पंडित रामभगत को यह विश्वास था कि एक दिन जब राजकुमार राजा बनेगा तो उनका पुत्र रामचरण भी नए राजा का राजपुरोहित बनेगा।

प्रश्न 5 – नए राजा राजेंद्रशाह का स्वभाव अपने पिता से किस प्रकार भिन्न था?

उत्तर – नए राजा राजेंद्रशाह अपने पिता से भिन्न, उद्दंड और विलासी स्वभाव का था।

प्रश्न 6 – रामचरण का स्वभाव राजा राजेंद्रशाह से किस प्रकार अलग था?

उत्तर – रामचरण, राजा राजेंद्रशाह के विपरीत, कुछ अधिक बुद्धिवादी और तर्क करने वाला था।

प्रश्न 7 – जब रामचरण राजा को नेक सलाह देता तो राजा की क्या प्रतिक्रिया होती थी?

उत्तर – जब रामचरण राजा को प्रजा की भलाई के लिए टोकता, तो राजा उसे झिड़क देते थे।

प्रश्न 8 – रामचरण को अपनी नौकरी से हाथ क्यों धोना पड़ा?

उत्तर – रामचरण ने राजा की बढ़ती विलासप्रियता पर उन्हें आखिरी नेक सलाह दी, जिसके परिणाम में उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा।

प्रश्न 9 – नौकरी छूटने के बाद रामचरण ने क्या करने का निर्णय लिया?

उत्तर – नौकरी छूटने के बाद रामचरण ने निराश होने के बजाय आसपास के गाँवों में शिक्षा प्रसार का बीड़ा उठा लिया।

प्रश्न 10 – रामचरण की सफलता पर राजा के खुशामदियों की क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर – रामचरण का यश बढ़ता देख राजा के खुशामदियों को यह बात खलने लगी और वे राजा से उसकी शिकायतें करने लगे।

प्रश्न 11 – रामचरण पर क्या आरोप लगाकर उसे राजा के सामने पेश किया गया?

उत्तर – रामचरण पर प्रजा को राजा के विरुद्ध भड़काने का आरोप लगाकर उसे राजा के सामने पेश किया गया।

प्रश्न 12 – मृत्युदंड सुनाने से पहले रामचरण ने अपनी अंतिम इच्छा क्या बताई?

उत्तर – मृत्युदंड सुनाने से पहले रामचरण ने अपनी अंतिम इच्छा के रूप में राजा को मोतियों की फसल उगाने का गुर सिखाने की बात कही।

प्रश्न 13 – मोतियों की फसल उगाने के लिए रामचरण ने क्या किया?

उत्तर – मोतियों की फसल उगाने के लिए रामचरण ने कुछ बीघे जमीन को जोतकर उसमें गेहूँ के बीज डलवा दिए।

प्रश्न 14 – असल में “मोतियों की फसल” क्या थी?

उत्तर – “मोतियों की फसल” वास्तव में गेहूँ के पौधे थे, जो सुबह की धुंध में ओस की सुनहरी बूँदों से जड़े हुए थे और मोतियों की तरह चमक रहे थे।

प्रश्न 15 – रामचरण ने मोतियों की फसल को तोड़ने के लिए क्या शर्त रखी?

उत्तर – रामचरण ने यह शर्त रखी कि इस पवित्र फसल को केवल वही व्यक्ति हाथ लगा सकता है, जिसने कभी देश के प्रति गद्दारी न की हो।

प्रश्न 16 – रामचरण की शर्त सुनकर सभी दरबारियों की क्या दशा हुई?

उत्तर – रामचरण की शर्त सुनकर सभी दरबारियों के चेहरे फीके पड़ गए और वे एक-दूसरे की सूरत देखते हुए वहाँ से चल दिए।

प्रश्न 17 – इस कहानी के अनुसार असली गद्दार कौन थे?

उत्तर – इस कहानी के अनुसार, राजा और उसके दरबारी असली गद्दार थे क्योंकि वे अपनी सच्चाई साबित करने के लिए फसल को छू न सके।

प्रश्न 18 – अंत में राजा राजेंद्रशाह की आँखें किस भाव से चमक उठीं?

उत्तर – अंत में राजा राजेंद्रशाह की आँखें आत्मज्ञान के भाव से चमक उठीं।

प्रश्न 19 – आत्मज्ञान होने पर राजा राजेंद्रशाह ने क्या किया?

उत्तर – आत्मज्ञान होने पर राजा राजेंद्रशाह का मस्तक शर्म और सम्मान में पंडित रामचरण के चरणों में झुक गया।

प्रश्न 20 – इस कहानी का मुख्य संदेश क्या है?

उत्तर – इस कहानी का मुख्य संदेश यह है कि सच्ची देशभक्ति और ईमानदारी ही सबसे बड़ा गुण है और जो अपने कर्तव्य से विमुख होता है, वही असली गद्दार है।

लघु प्रश्न और उत्तर (40-50 शब्द)

  1. कहानी का केंद्रीय पात्र कौन है और उसकी मुख्य समस्या क्या है?

उत्तर – रामचरण कहानी का केंद्रीय पात्र है। उसकी समस्या राजा राजेंद्रशाह की विलासिता और प्रजा के शोषण के विरुद्ध सत्य बोलना है, जिससे उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ता है और राजद्रोह का आरोप लगता है। 

  1. पंडित रामभगत और राजा रामशाह के संबंध कैसे थे?

उत्तर – पंडित रामभगत और राजा रामशाह के संबंध मित्रवत थे। पंडितजी राजा को जीवन के रहस्य सिखाते थे, और राजा उनकी हर बात मानते थे। दशहरे की भेंट पर राजा ने उन्हें सोने की मुद्राएँ भेंट कीं। 

  1. राजेंद्रशाह की कमियां क्या थीं?

उत्तर – राजेंद्रशाह उद्दंड, विलासी और प्रजा की भलाई से विमुख थे। वे नृत्य-संगीत की महफिलों में लिप्त रहते थे, खजाना खाली कर देते थे, और रामचरण की सलाह पर झिड़कते थे। 

  1. रामचरण ने शिक्षा प्रसार क्यों शुरू किया?

उत्तर – नौकरी से निकाले जाने के बाद रामचरण निराश न हुए। उन्होंने आसपास के गाँवों में शिक्षा प्रसार का कार्य शुरू किया, जिसमें उन्हें बड़ी सफलता मिली, जो राजा के चाटुकारों को खलने लगा। 

  1. “मोतियों की फसल” का प्रतीकात्मक अर्थ क्या है?

उत्तर – “मोतियों की फसल” गेहूँ की फसल का प्रतीक है, जो सत्य और नैतिकता का प्रतिनिधित्व करती है। इसे केवल गद्दार न करने वाले ही छू सकते हैं, जो दरबारियों की गद्दारी उजागर करती है। 

  1. दरबारियों का मोतियों की फसल देखकर क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर – मोतियों की फसल (गेहूँ) देखकर दरबारियों के चेहरे फीके पड़ गए। वे अपनी गद्दारी के भय से भाग गए, क्योंकि शर्त थी कि केवल निर्दोष ही इसे छू सकता है। 

  1. कहानी में दशहरे के मेले का महत्व क्या है?

उत्तर – दशहरे का मेला राज्य की समृद्धि और प्रजा की निष्ठा दर्शाता है। भेंटों की अधिकता से राजा प्रसन्न होते हैं और पंडित रामभगत को पुरस्कृत करते हैं, जो कहानी की शुरुआत का आधार बनता है। 

  1. रामचरण और नए राजा के बीच टकराव का कारण क्या था?

उत्तर – रामचरण तर्कशील था और प्रजा की भलाई की सलाह देता था, जबकि राजेंद्रशाह विलासी थे। महफिलों में टोकने पर राजा झिड़कते, जिससे टकराव बढ़ा और रामचरण को नौकरी से निकाल दिया गया। 

  1. राजा का अंतिम बोध कैसे हुआ?

उत्तर – मोतियों की फसल की शर्त से दरबारी भाग गए, राजा को अपनी गद्दारी का बोध हुआ। उनकी आँखें आत्मज्ञान से चमक उठीं, और वे रामचरण के चरणों में नमन कर गए। 

  1. कहानी का नैतिक संदेश क्या है?

 उत्तर – कहानी सत्य बोलने, प्रजा सेवा और आत्मचिंतन का संदेश देती है। गद्दारी प्रजा और राज्य के हितों के विरुद्ध है, और सत्य अंततः विजयी होता है, जैसा रामचरण के माध्यम से दिखाया गया। 

 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

    1. कहानी में रामचरण के चरित्र की विशेषताएँ क्या हैं और वे कैसे राज्य के लिए उपयोगी सिद्ध हुए?

    उत्तर – रामचरण बुद्धिवादी, तर्कशील और प्रजा-हितैषी था। वह राजा की विलासिता पर सलाह देता रहा, भले अपमान सहा। नौकरी छोड़कर शिक्षा प्रसार में सफल हुआ। “मोतियों की फसल” के माध्यम से राजा को गद्दारी का बोध कराया, जिससे राज्य में सुधार की संभावना जगी। उसका साहस और नैतिकता राज्य के पतन को रोकने में उपयोगी सिद्ध हुई। 

    1. नवलगढ़ राज्य में राजा रामशाह और राजेंद्रशाह के शासन की तुलना कीजिए।

    उत्तर – राजा रामशाह प्रजा-प्रिय, धार्मिक और पंडित रामभगत के मित्र थे। वे भेंटों से प्रसन्न होकर राज्य की शांति की तुलना रामराज्य से करते थे। इसके विपरीत, राजेंद्रशाह उद्दंड, विलासी थे, जो खजाना खाली कर प्रजा को दुखी करते थे। रामचरण की सलाह न मानकर उन्होंने राज्य को संकट में डाला, जो पिता से पूर्ण विपरीत था। 

     

    1. “मोतियों की फसल” प्रसंग कहानी का चरमोत्कर्ष कैसे है?

    उत्तर – “मोतियों की फसल” प्रसंग कहानी का चरमोत्कर्ष है, जहाँ रामचरण गेहूँ की फसल को मोतियों का प्रतीक बनाकर दरबारियों की गद्दारी उजागर करता है। शर्त से सभी भाग जाते हैं, सिवाय राजा के, जो आत्मज्ञान प्राप्त कर रामचरण के चरणों में गिरते हैं। यह नैतिक विजय और राज्य सुधार का प्रतीक है। 

    1. कहानी में चाटुकारों (खुशामदियों) की भूमिका क्या है?

    उत्तर – चाटुकार दरबारी राजा राजेंद्रशाह के विलास को बढ़ावा देते थे और रामचरण की सफलता से ईर्ष्या करते थे। उन्होंने रामचरण पर राजद्रोह का झूठा आरोप लगाकर मामले को संगीन बनाया। मोतियों की फसल पर उनकी भागने की प्रतिक्रिया उनकी गद्दारी को प्रमाणित करती है, जो राज्य के पतन का कारण बने। 

    1. कहानी का समग्र नैतिक संदेश क्या है और यह वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिक क्यों है?

    उत्तर – कहानी का नैतिक संदेश है कि सत्य और प्रजा-हित राज्य की नींव हैं; गद्दारी और विलास पतन लाते हैं। रामचरण का साहस आत्मचिंतन सिखाता है। वर्तमान में यह भ्रष्टाचार, चाटुकारिता और नेतृत्व की नैतिकता पर प्रासंगिक है, जहाँ सत्य बोलने वाले अक्सर दबाए जाते हैं, लेकिन अंततः विजयी होते हैं।

     

You cannot copy content of this page