सतीश जायसवाल – जीवन परिचय
वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार सतीश जायसवाल का जन्म 17 जून 1942 को हुआ। उन्हें रिपोर्ताज, कविता, कहानी तथा विशेषतः संस्मरण और यात्रावृत्तांत लेखन के लिए जाना जाता है। बख्शी सृजनपीठ छत्तीसगढ़ के अध् यक्ष रह चुके सतीश जी को पत्रकारिता का द स्टेट्समैन अवार्ड फॉर रूरल रिपोर्टिंग (लगातार दो बार) तथा बनमाली कथा सम्मान प्राप्त है। उनकी प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ हैं —
कहानी संकलन :- जाने किस बंदरगाह पर धूप ताप, कहाँ से कहाँ, नदी नहा रही थी। बाल साहित्य :- भले घर का लड़का, हाथियों का गुस्सा, संपादन :- छत्तीसगढ़ के शताधिक कवियों का प्रतिनिधि संकलन- कविता छत्तीसगढ़। संस्मरण कील काँटे कमन्द। वर्तमान में आप बिलासपुर छ.ग. में निवासरत हैं।
कविता परिचय – गृह प्रवेश
सतीश जायसवाल की कविता गृह प्रवेश में एकाकी जीवन जी रहे व्यक्ति को अपने एकांत के सन्नाटे को तोड़ने का उपक्रम करते दिखाया गया है। कविता में ऊपरी दिखावे से भरा प्रेम, थके हारे व्यक्ति की व्यथा, एकाकीपन में जीवन का ठहराव तथा पक्षियों के प्रति प्रेम और अंत में सपनों में ही सही ‘घर का घर’ हो जाना चित्रित हुआ है। कविता इन अनुभवों से गुजरते हुए पाठक को संवेदना से जोड़े रखती है।
गृह- प्रवेश
पहले लटकाई मैंने
धान की बालियों वाली झालर
दरवाजे की चौखट पर
फिर भेजा चिड़ियों को न्योता
गृह प्रवेश का विधिवत।
चिड़ियों ने भी
न्योते को मान दिया,
आई, दाना चुगा।
और लौट गई
बाहर ही बाहर दरवाजे से
वैसे
समारोह के बाद जैसे
लौटते हैं
आमंत्रित अतिथि सभी।
छूट गया घर
सूने का सूना,
पहले से भी वीराना
किसी रंग बिरंगे
और उमंग भरे
मेले से लौटने पर
एक आदमी जैसे।
थका हारा और बिलकुल अकेला।
तब लटकाया मैंने एक आईना
भीतर
अंतःपुर की दीवार पर।
आईने के काँच में झाँका
तो एक से दो हुआ,
संतोष हुआ।
अपनी ही छाया ने समझाया
सूनापन कुछ तो दूर हुआ।
ऐसे ही
नींद में
सपनों का साथ जुड़ जाएगा
धीरे-धीरे घर भी
घर हो जाएगा।
सपने में
आवाज दे रही थी
चिड़िया,
जगा रही थी
सुबह सबेरे।
आईने पर खटखट
जैसे खटखटा रही थी
घर का दरवाजा।
किसी अतिथि की तरह
बाहर ही बाहर से
नहीं लौटी इस बार चिड़िया,
अब अंतःपुर में
चिड़िया
काँच के आईने में
अपने को निहारती
शृंगार करती
और एक घर सजाती।
घर
धीरे-धीरे घर बन रहा था।
कविता का सार
कविता ‘गृह-प्रवेश’ में कवि एक नए घर में प्रवेश की प्रक्रिया और अकेलेपन के भाव को चित्रित करता है। कवि धान की बालियों वाली झालर लटकाकर और चिड़ियों को न्योता देकर गृह-प्रवेश करता है। चिड़ियाँ दाना चुगकर लौट जाती हैं, जिससे घर सूना लगता है। अकेलापन दूर करने के लिए कवि अंतःपुर में आईना लटकाता है, जो आत्म-चिंतन का प्रतीक है। सपनों में चिड़िया की आवाज और उसका आईने में शृंगार करना घर को जीवंत बनाने की उम्मीद जगाता है। धीरे-धीरे घर सजीव और आत्मीय बनता जाता है।
शब्दार्थ
शब्द | हिंदी अर्थ | English Meaning |
गृह-प्रवेश | नए घर में प्रवेश करने की रस्म | Housewarming ceremony |
झालर | सजावटी किनारी या माला | Fringe or garland |
चौखट | दरवाजे का ढांचा | Doorframe |
न्योता | आमंत्रण | Invitation |
विधिवत | नियमानुसार, औपचारिक रूप से | Formally, as per tradition |
वीराना | सुनसान, उजाड़ | Desolate, barren |
उमंग | उत्साह, जोश | Enthusiasm, excitement |
अंतःपुर | घर का आंतरिक भाग | Inner chamber of the house |
शृंगार | सजावट, अलंकरण | Adornment, decoration |
संतोष | तृप्ति, सुकून | Satisfaction, contentment |
पाठ से
- कवि चिड़ियों को बुलाने के लिए क्या-क्या करता है?
उत्तर – कवि चिड़ियों को बुलाने के लिए सबसे पहले धान की बालियों वाली झालर को दरवाजे की चौखट पर लटकाता है। इसके बाद वह विधिवत रूप से चिड़ियों को गृह-प्रवेश का न्योता भेजता है।
- चिड़ियों के दाना चुगकर लौट जाने पर कवि कैसा महसूस करता है?
उत्तर – चिड़ियों के दाना चुगकर लौट जाने पर कवि वीरानापन और सूनापन महसूस करता है। वह खुद को किसी रंग-बिरंगे और उमंग भरे मेले से लौटने पर थके-हारे और बिलकुल अकेले आदमी जैसा महसूस करता है, जिसका घर पहले से भी अधिक सूना हो गया है।
- सूनापन दूर करने के लिए कवि कौन-कौन से उपाय करता है?
उत्तर – सूनापन दूर करने के लिए कवि सबसे पहले धान की बालियों वाली झालर लगाता है और चिड़ियों को न्योता देता है। जब वे लौट जाती हैं और सूनापन नहीं मिटता, तब वह अंतःपुर की दीवार पर एक आईना लटकाता है।
- कवि द्वारा घर के आंतरिक भाग अथवा अंतःपुर में आईना लटकाने का आशय क्या है?
उत्तर – कवि द्वारा घर के आंतरिक भाग अर्थात् अंतपुर: में आईना लटकाने का आशय है अपने एकाकीपन को दूर करना और स्वयं को अकेला महसूस न करना। आईने में अपनी ही छाया (प्रतिबिंब) को देखकर वह एक से दो हो जाता है, जिससे उसे संतोष होता है। इस उपाय से वह मानसिक रूप से अपने सूनेपन को कुछ हद तक कम कर पाता है और भविष्य के सपनों के साथ घर के भर जाने की उम्मीद जगाता है।
- ‘घर धीरे-धीरे घर बन रहा था, यह पंक्ति घर में किन बदलावों और उम्मीदों की ओर संकेत करती है?
उत्तर – यह पंक्ति इस बात की ओर संकेत करती है कि अब कवि के मन में आशा का संचार हो रहा है। घर में आए बदलावों में सबसे महत्त्वपूर्ण है चिड़िया का अंतःपुर में प्रवेश। चिड़िया अब केवल बाहर से दाना चुगकर नहीं लौटती, बल्कि वह आईने में खुद को निहारकर शृंगार करती है और एक तरह से घर सजाती है। यह बदलाव सूनेपन के टूटने, एकाकीपन के दूर होने, और जीवन की चहल-पहल के आने की उम्मीदों को दर्शाता है, जिससे मकान अब रहने लायक और जीवंत ‘घर’ बन रहा है।
- कविता में अतिथियों और चिड़ियों में क्या समानताएँ बताई गई हैं?
उत्तर – कविता में अतिथियों और चिड़ियों में यह समानता बताई गई है कि जैसे किसी समारोह के बाद आमंत्रित अतिथि सभी लौट जाते हैं, उसी प्रकार गृह-प्रवेश का न्योता स्वीकार करके चिड़ियाँ भी दाना चुगकर बाहर ही बाहर दरवाजे से लौट जाती हैं, जिससे घर सूना रह जाता है।
पाठ से आगे
- आप पक्षियों को अपने घर आमंत्रित करने के लिए किस प्रकार का उपाय करना चाहेंगे? लिखिए।
उत्तर – मैं पक्षियों को अपने घर आमंत्रित करने के लिए निम्नलिखित उपाय करना चाहूँगा:
घर के बरामदे या छत पर दाना-पानी (विशेषकर गर्मियों में) रखने के लिए मिट्टी के बर्तन या फीडर लगाऊँगा।
उनके लिए सुरक्षित घोंसला बनाने लायक जगह जैसे किसी पेड़ की टहनी पर या बालकनी में एक छोटा लकड़ी का घर (Birdhouse) या शेल्टर लगाऊँगा।
अपने घर के आस-पास ऐसे पौधे लगाऊँगा जिन पर पक्षी बैठना और दाना चुगना पसंद करते हों (जैसे फल वाले या बीज वाले पौधे)।
यह सुनिश्चित करूँगा कि घर के आस-पास का वातावरण शांत और सुरक्षित रहे, ताकि वे बिना किसी डर के आ सकें।
- आईने में अपना बिंब देखने के बाद आपके मन में किस-किस तरह के विचार आते हैं? उन विचारों को लिखिए।
उत्तर – आईने में अपना बिंब देखने के बाद मेरे मन में कई विचार आते हैं, जैसे:
स्वयं का मूल्यांकन – मैं खुद को देखकर यह देखता हूँ कि मैं कैसा दिख रहा हूँ और क्या मुझमें कोई बदलाव आया है।
आत्म-समीक्षा – यह बिंब मुझे मेरी भावनाओं, मेरे आत्मविश्वास और मेरे मन की स्थिति का एक त्वरित एहसास कराता है।
द्वैत भाव – मुझे लगता है कि मैं अकेला नहीं हूँ, मेरा बिंब एक मित्र या साथी की तरह है, जो मुझे देख रहा है और मुझसे बात करने को तैयार है, जैसा कि कविता में कवि को महसूस हुआ था।
समय का बोध – आईना हमें बताता है कि समय कैसे बीत रहा है और हम कैसे बदल रहे हैं, यह हमें अतीत और वर्तमान की याद दिलाता है।
- एक एकाकी व्यक्ति के घर और एक परिवार वाले घर में आप किस प्रकार का फर्क देखते हैं? अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर – एक एकाकी व्यक्ति का घर और एक परिवार वाला घर में निम्नलिखित फर्क देखे जा सकते हैं –
विशेषता | एकाकी व्यक्ति का घर | परिवार वाला घर |
वातावरण | अक्सर शांत, व्यवस्थित और कभी-कभी सूनापन लिए हुए। व्यक्तिगत पसंद हावी। | चहल-पहल, शोर-गुल और गतिविधि से भरा हुआ। |
वस्तुएँ/सामान | न्यूनतम, व्यक्तिगत जरूरतें पूरी करने वाला सामान। | सदस्यों की अलग-अलग जरूरतों के कारण ढेर सारा और विविध सामान। बच्चों के खिलौने, बड़ों की वस्तुएँ आदि। |
भावनात्मक माहौल | एकांत, शांति, कभी-कभी अकेलापन और चिंतन का माहौल। | हँसी-खुशी, लगाव, आपसी बहस और साझा भावनाओं से भरा, सुरक्षा का भाव। |
भोजन | प्राय: सादा या तुरंत बनने वाला भोजन। | मिल-बाँटकर खाने की संस्कृति, विविध और विस्तृत भोजन की तैयारी। |
सजावट | व्यक्तिगत स्वाद पर आधारित, कम और सधी हुई सजावट। | विभिन्न सदस्यों की पसंद और जरूरत के हिसाब से रंग-बिरंगी और अस्त-व्यस्त सजावट। |
- किसी विवाह या उत्सव के आयोजन के बाद जो दृश्य आप देखते हैं और आपके मन में जो भाव उभरते हैं उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर – विवाह या उत्सव के बाद का दृश्य अक्सर शांत और खालीपन से भरा होता है। सजावट हट चुकी होती है, मेहमान चले जाते हैं, और घर में एक अजीब सी शांति छा जाती है। मेरे मन में खुशी और उदासी का मिश्रण होता है—खुशी इसलिए कि उत्सव सफल रहा, और उदासी इसलिए कि वह रौनक और भीड़ अब नहीं रही। साथ ही, उन पलों की यादें मन में ताजा रहती हैं।
- गृह प्रवेश के बारे में आप क्या जानते हैं? कविता में वर्णित गृह प्रवेश का दृश्य, परंपरागत रूप से समाज में होने वाले गृह प्रवेश से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर – गृह-प्रवेश एक परंपरागत हिंदू रिवाज है जिसमें नये घर में प्रवेश करने से पहले पूजा-पाठ और शुभ कार्य किए जाते हैं ताकि घर में सुख-शांति बनी रहे। इसमें परिवार, रिश्तेदार और पंडित शामिल होते हैं, और घर को फूलों, मंगल कलश और रंगोली से सजाया जाता है। कविता में गृह-प्रवेश का दृश्य एकाकी और प्रतीकात्मक है, जहाँ कवि अकेले धान की झालर लटकाता है और चिड़ियों को न्योता देता है। यह परंपरागत गृह-प्रवेश से भिन्न है क्योंकि इसमें सामाजिक समारोह और धार्मिक अनुष्ठानों के बजाय कवि का आत्म-चिंतन और प्रकृति के साथ संवाद प्रमुख है।
भाषा के बारे में
- ‘बालियाँ‘ शब्द से दो वाक्य इस प्रकार बनाइए कि इस शब्द के अलग-अलग अर्थ प्रकट हों।
उत्तर – माँ ने अपनी सोने की बालियाँ संभालकर रखी थीं ताकि वह उन्हें खास अवसरों पर पहन सकें।
खेत में धान की बालियाँ हवा में लहरा रही थीं, जो अच्छी फसल का संकेत दे रही थीं।
- गृह प्रवेश, न्योता, झालर, उमंग, मेला, उत्सव, वीराना, रंग-बिरंगे, शृंगार, चौखट, अतिथि, सपना और संतोष इन 12 शब्दों का प्रयोग करते हुए एक प्रसंग वर्णन या लघु कहानी लिखिए।
उत्तर – गाँव में रामू का नया घर बनकर तैयार हुआ। उसने गृह प्रवेश का उत्सव आयोजित करने का फैसला किया। उसने दरवाजे की चौखट पर रंग-बिरंगी झालर लटकाई और सभी पड़ोसियों को न्योता भेजा। उमंग से भरे इस अवसर पर गाँव वाले अतिथि बनकर आए। घर को फूलों और दीयों से श्रृंगार किया गया था, मानो कोई मेला सजा हो। लेकिन उत्सव के बाद, जब सभी लौट गए, घर में वीराना छा गया। रामू उदास होकर बैठा, तभी उसने एक सपना देखा जिसमें उसका परिवार हँसता-खेलता उस घर में रह रहा था। सुबह उठकर उसने उस सपने को सच करने का संकल्प लिया और मन में संतोष की अनुभूति हुई।
- कविता से 10 विशेषण शब्दों की पहचान कर उन्हें अलग कर लिखिए। आप उन विशेषण शब्दों के लिए कौन से विशेष्य शब्द लिखना चाहेंगे, आपके द्वारा कल्पित विशेष्य शब्दों से उन विशेषणों को मिलाकर लिखिए।
उत्तर –
क्र. | विशेषण (कविता से) | विशेष्य (कविता में) | विशेष्य (कल्पित) | विशेषण + कल्पित विशेष्य |
1. | धान की (संबंधवाची) | बालियाँ | फसल | धान की फसल |
2. | विधिवत (रीतिवाचक क्रिया विशेषण, पर विशेषण के रूप में प्रयुक्त) | गृह प्रवेश | कार्य | विधिवत कार्य |
3. | आमंत्रित | अतिथि | लोग | आमंत्रित लोग |
4. | सूने | का (घर के लिए प्रयुक्त) | आँगन | सूना आँगन |
5. | वीराना | (घर के लिए प्रयुक्त) | जंगल | वीराना जंगल |
6. | रंग बिरंगे | मेले | फूल | रंग बिरंगे फूल |
7. | उमंग भरे | मेले | पल | उमंग भरे पल |
8. | थका | आदमी | शरीर | थका शरीर |
9. | हारा | आदमी | मन | हारा मन |
10. | अकेला | आदमी | व्यक्ति | अकेला व्यक्ति |
11. | आंतरिक (अंतःपुर के लिए प्रयुक्त) | दीवार | भावना | आंतरिक भावना |
12. | काँच के (पदबंध) | आईने | गिलास | काँच के गिलास |
योग्यता विस्तार
- आप अपने आस-पास अकेले रह रहे किसी बुजुर्ग महिला या पुरुष को देखकर लिखिए कि उन्हें किस तरह की मुश्किलों का सामना अपने दैनिक जीवन में करना पड़ता है? सामाजिक रूप से एक संवेदनशील व्यक्ति के रूप में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?
उत्तर – अकेले रहने वाले बुजुर्गों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, जैसे दैनिक कार्यों में शारीरिक कमजोरी, चिकित्सा सुविधाओं तक पहुँचने में कठिनाई, सामाजिक अलगाव और मानसिक तनाव। उन्हें अक्सर बाजार जाने, दवाइयाँ लाने या घर के छोटे-मोटे काम करने में परेशानी होती है। इसके अलावा, अकेलापन उन्हें भावनात्मक रूप से कमजोर बना देता है। एक संवेदनशील व्यक्ति के रूप में हम उनकी मदद के लिए समय-समय पर उनके पास जा सकते हैं, उनकी बात सुन सकते हैं, और छोटे-मोटे कामों में सहायता कर सकते हैं। हम सामुदायिक समूह बना सकते हैं जो बुजुर्गों के लिए नियमित मुलाकातें या गतिविधियाँ आयोजित करें। उनकी स्वास्थ्य जाँच और आवश्यक वस्तुओं की व्यवस्था में भी मदद की जा सकती है।
- हर सुबह और शाम चिड़ियों की चहचहाहट से वातावरण में एक तरह का संगीत छिड़ जाता है। इसी तरह की और भी घटनाएँ प्रकृति में होती होंगी। उन घटनाओं को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – प्रकृति में कई ऐसी घटनाएँ होती हैं जो वातावरण को संगीतमय बनाती हैं। सुबह के समय कोहरे में ढके पेड़ों पर ओस की बूँदें टपकती हैं, जो एक हल्की-सी मधुर ध्वनि पैदा करती हैं। नदी का बहता पानी चट्टानों से टकराकर एक सतत संगीत उत्पन्न करता है। बारिश की बूँदें पत्तों पर गिरकर एक लयबद्ध धुन बनाती हैं। हवा के झोंके जब पेड़ों की पत्तियों से गुजरते हैं, तो एक सनसनाहट का संगीत सुनाई देता है। सूर्यास्त के समय समुद्र की लहरों का किनारे से टकराना भी एक शांतिपूर्ण ध्वनि उत्पन्न करता है। ये सभी प्राकृतिक ध्वनियाँ मन को सुकून देती हैं।
- एक एकाकी व्यक्ति के घर और एक परिवार वाले घर में आप किस प्रकार का फर्क देखते हैं? अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर – एक एकाकी व्यक्ति का घर शांत और खाली लगता है, जहाँ केवल उसकी अपनी मौजूदगी होती है। वहाँ गतिविधियाँ सीमित होती हैं और भावनात्मक रिक्तता महसूस होती है। दूसरी ओर, परिवार वाले घर में हँसी-खुशी, बच्चों की चहल-पहल, और आपसी बातचीत का माहौल होता है। यह घर जीवंत और गर्मजोशी से भरा होता है, जहाँ साझा जिम्मेदारियाँ और उत्सवों की रौनक होती है।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
- कवि ने गृह-प्रवेश के लिए सबसे पहले क्या किया?
a) चिड़ियों को दाना खिलाया
b) धान की बालियों वाली झालर लटकाई
c) आईना लटकाया
d) सपनों में चिड़िया देखी
उत्तर – b) धान की बालियों वाली झालर लटकाई - चिड़ियों ने कवि के न्योते का क्या जवाब दिया?
a) न्योता ठुकरा दिया
b) दाना चुगकर लौट गईं
c) घर में रह गईं
d) आईने में शृंगार किया
उत्तर – b) दाना चुगकर लौट गईं - चिड़ियों के लौट जाने के बाद कवि को कैसा महसूस हुआ?
a) उत्साहित और खुश
b) थका-हारा और अकेला
c) संतुष्ट और शांत
d) डरा हुआ और चिंतित
उत्तर – b) थका-हारा और अकेला - कवि ने सूनापन दूर करने के लिए क्या लटकाया?
a) फूलों की माला
b) धान की झालर
c) आईना
d) दीपक
उत्तर – c) आईना - आईने में झाँकने पर कवि को क्या अनुभव हुआ?
a) डर लगा
b) संतोष हुआ
c) उदासी बढ़ी
d) क्रोध आया
उत्तर – b) संतोष हुआ - कविता में चिड़िया अंत में क्या करती है?
a) दाना चुगती है
b) आईने में शृंगार करती है
c) दरवाजे पर खटखटाती है
d) सपने में गाती है
उत्तर – b) आईने में शृंगार करती है - कविता में ‘घर धीरे-धीरे घर बन रहा था‘ का क्या अर्थ है?
a) घर की मरम्मत हो रही थी
b) घर में जीवंतता और आत्मीयता आ रही थी
c) घर में और लोग आ रहे थे
d) घर की सजावट हो रही थी
उत्तर – b) घर में जीवंतता और आत्मीयता आ रही थी - कविता में अतिथियों और चिड़ियों में क्या समानता है?
a) दोनों गीत गाते हैं
b) दोनों न्योता पाकर आते और लौट जाते हैं
c) दोनों घर में रह जाते हैं
d) दोनों सजावट करते हैं
उत्तर – b) दोनों न्योता पाकर आते और लौट जाते हैं - कविता में ‘अंतःपुर‘ का अर्थ क्या है?
a) घर का बाहरी हिस्सा
b) घर का आंतरिक भाग
c) घर का छत
d) घर का बगीचा
उत्तर – b) घर का आंतरिक भाग - कवि ने घर को घर बनाने की उम्मीद किससे जोड़ी?
a) अतिथियों से
b) चिड़ियों से
c) सपनों से
d) पड़ोसियों से
उत्तर – c) सपनों से
एक वाक्य वाले प्रश्नोत्तर
- प्रश्न – कवि ने सबसे पहले घर के दरवाज़े की चौखट पर क्या लटकाया?
उत्तर – कवि ने सबसे पहले घर के दरवाज़े की चौखट पर धान की बालियों वाली झालर लटकाई।
- प्रश्न – झालर लटकाने के बाद कवि ने विधिवत किसका न्योता भेजा?
उत्तर – झालर लटकाने के बाद कवि ने विधिवत चिड़ियों को गृह-प्रवेश का न्योता भेजा।
- प्रश्न – चिड़ियों ने न्योते को किस प्रकार मान दिया और वे क्या करके लौट गईं?
उत्तर – चिड़ियों ने न्योते को मान दिया, वे आईं, दाना चुगा और बाहर ही बाहर दरवाज़े से लौट गईं।
- प्रश्न – चिड़ियों के लौट जाने पर कवि को अपना घर कैसा महसूस हुआ?
उत्तर – चिड़ियों के लौट जाने पर कवि को अपना घर सूने का सूना और पहले से भी वीराना महसूस हुआ।
- प्रश्न – सूनापन दूर करने के लिए कवि ने अंतःपुर की दीवार पर क्या लटकाया?
उत्तर – सूनापन दूर करने के लिए कवि ने अंतःपुर की दीवार पर एक आईना लटकाया।
- प्रश्न – आईने के काँच में झाँकने पर कवि को किस बात का संतोष हुआ?
उत्तर – आईने के काँच में झाँकने पर कवि को इस बात का संतोष हुआ कि वह एक से दो हो गया, जिससे सूनापन कुछ तो दूर हुआ।
- प्रश्न – कवि की छाया ने उसे किस प्रकार समझाया और उम्मीद दिलाई?
उत्तर – कवि की छाया ने उसे समझाया कि सूनापन कुछ तो दूर हुआ, और ऐसे ही धीरे-धीरे सपनों का साथ जुड़ जाएगा तथा घर भी घर हो जाएगा।
- प्रश्न – सपने में कवि को सुबह सवेरे कौन जगा रही थी और कहाँ खटखट हो रही थी?
उत्तर – सपने में कवि को सुबह सवेरे चिड़िया जगा रही थी, और आईने पर खटखट हो रही थी।
- प्रश्न – इस बार चिड़िया बाहर ही बाहर से क्यों नहीं लौटी?
उत्तर – इस बार चिड़िया बाहर ही बाहर से नहीं लौटी क्योंकि वह अंतःपुर में काँच के आईने में अपने को निहारकर शृंगार कर रही थी।
- प्रश्न – कविता के अंत में ‘घर धीरे-धीरे घर बन रहा था’ पंक्ति का क्या आशय है?
उत्तर – ‘घर धीरे-धीरे घर बन रहा था’ पंक्ति का आशय यह है कि चिड़िया ने अब उस निर्जीव मकान को अपने प्रेम और चहल-पहल से जीवंत कर दिया था, जिससे कवि का एकाकीपन दूर हो गया।
30-40 शब्दों वाले प्रश्नोत्तर
- कवि ने चिड़ियों को बुलाने के लिए क्या किया?
उत्तर – कवि ने दरवाजे की चौखट पर धान की बालियों वाली झालर लटकाई और चिड़ियों को गृह-प्रवेश का विधिवत न्योता भेजा। यह कार्य प्रतीकात्मक रूप से घर को जीवंत बनाने और प्रकृति के साथ जुड़ने की कोशिश को दर्शाता है। - चिड़ियों के लौट जाने पर कवि को कैसा महसूस हुआ?
उत्तर – चिड़ियों के दाना चुगकर लौट जाने पर कवि को घर पहले से भी अधिक सूना और वीराना लगा। वह थका-हारा, अकेला और उदास महसूस करता है, जैसे कोई रंग-बिरंगे मेले से लौटने वाला व्यक्ति। - कवि ने सूनापन दूर करने के लिए क्या उपाय किया?
उत्तर – कवि ने सूनापन दूर करने के लिए अंतःपुर की दीवार पर एक आईना लटकाया। आईने में अपनी छाया देखकर उसे संतोष मिला और सपनों के साथ जुड़कर वह घर को जीवंत बनाने की उम्मीद करने लगा। - आईना लटकाने का कवि का क्या आशय था?
उत्तर – आईना लटकाने का आशय आत्म-चिंतन और आत्म-साथ की खोज था। कवि अपनी छाया के साथ संवाद कर अकेलेपन को कम करता है, जो उसे संतोष देता है और घर को आत्मीय बनाने की शुरुआत करता है। - ‘घर धीरे-धीरे घर बन रहा था‘ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर – यह पंक्ति दर्शाती है कि घर में धीरे-धीरे जीवंतता और आत्मीयता आ रही थी। चिड़िया का आईने में शृंगार करना और सपनों का साथ घर को केवल भौतिक संरचना से एक भावनात्मक स्थान में बदलने का प्रतीक है। - कविता में चिड़िया और अतिथियों में क्या समानता है?
उत्तर – कविता में चिड़िया और अतिथि दोनों न्योता पाकर आते हैं, समारोह में भाग लेते हैं और फिर लौट जाते हैं। चिड़ियाँ दाना चुगकर और अतिथि समारोह के बाद बाहर से बाहर चले जाते हैं। - कविता में सपनों की क्या भूमिका है?
उत्तर – सपने कवि के अकेलेपन को कम करने और उम्मीद जगाने में महत्त्वपूर्ण हैं। सपनों में चिड़िया की आवाज और उसका साथ कवि को यह विश्वास दिलाता है कि उसका घर धीरे-धीरे आत्मीय और सजीव बनेगा। - चिड़िया का आईने में शृंगार करना क्या दर्शाता है?
उत्तर – चिड़िया का आईने में शृंगार करना घर में सजीवता और सुंदरता लाने का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि प्रकृति और आत्म-चिंतन के माध्यम से कवि का घर भावनात्मक रूप से जीवंत और आनंदमय बन रहा है। - कविता में ‘अंतःपुर‘ का क्या महत्त्व है?
उत्तर – ‘अंतःपुर’ घर के आंतरिक और निजी हिस्से को दर्शाता है, जहाँ कवि आईना लटकाकर आत्म-चिंतन करता है। यह स्थान कवि के मन और भावनाओं का प्रतीक है, जहाँ वह अपने अकेलेपन से जूझता है। - कविता में संतोष का भाव कैसे उत्पन्न हुआ?
उत्तर – संतोष का भाव कवि को तब मिला जब उसने आईने में अपनी छाया देखी और एक से दो होने का अनुभव किया। यह आत्म-साथ और आत्म-चिंतन के माध्यम से अकेलेपन के कम होने और घर के जीवंत होने की उम्मीद को दर्शाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- कविता में गृह-प्रवेश का दृश्य परंपरागत गृह-प्रवेश से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर – परंपरागत गृह-प्रवेश में परिवार, रिश्तेदार और धार्मिक अनुष्ठान शामिल होते हैं, जैसे पूजा, मंगल कलश और रंगोली। कविता में गृह-प्रवेश एकाकी और प्रतीकात्मक है, जहाँ कवि अकेले धान की झालर लटकाता है और चिड़ियों को न्योता देता है। यह आत्म-चिंतन और प्रकृति के साथ संवाद पर केंद्रित है, न कि सामाजिक उत्सव पर। - कवि के अकेलेपन का चित्रण कविता में कैसे किया गया है?
उत्तर – कवि का अकेलापन चिड़ियों के लौट जाने के बाद घर के सूने और वीराना होने के वर्णन से उजागर होता है। वह थका-हारा और अकेला महसूस करता है, जैसे मेले से लौटा व्यक्ति। आईना लटकाकर और सपनों के माध्यम से वह इस अकेलेपन को कम करने की कोशिश करता है, जो उसके मन की उदासी को दर्शाता है। - कविता में चिड़िया का प्रतीकात्मक महत्त्व क्या है?
उत्तर – चिड़िया कविता में प्रकृति, जीवंतता और साथ का प्रतीक है। शुरू में वह न्योता पाकर आती है और लौट जाती है, जो अकेलेपन को दर्शाता है। बाद में सपनों और आईने में उसका शृंगार करना घर में जीवंतता और आत्मीयता लाने की उम्मीद का प्रतीक है, जो कवि के मन को सुकून देता है। - आईना लटकाने और उसमें झाँकने का कविता में क्या अर्थ है?
उत्तर – आईना लटकाना और उसमें झाँकना आत्म-चिंतन और आत्म-साथ का प्रतीक है। कवि अपनी छाया देखकर ‘एक से दो’ होने का अनुभव करता है, जो उसे संतोष देता है। यह अकेलेपन से मुक्ति और अपने भीतर की दुनिया को सजाने की कोशिश को दर्शाता है, जो घर को आत्मीय बनाने की शुरुआत है। - कविता में सपनों की भूमिका और उनके द्वारा उत्पन्न उम्मीद को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – सपने कविता में अकेलेपन को कम करने और उम्मीद जगाने का माध्यम हैं। सपनों में चिड़िया की आवाज और उसका दरवाजा खटखटाना कवि को सुकून देता है। यह दर्शाता है कि कवि के मन में विश्वास जागता है कि सपनों और प्रकृति के साथ के माध्यम से उसका घर धीरे-धीरे जीवंत और आत्मीय बनेगा।

