Path 6.3: Saadh (Kavita) — Subhadra Kumari Chauhan, Class X, Hindi Book, Chhattisgarh Board Solutions.  

सुभद्रा कुमारी चौहान जीवन परिचय

हिंदी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान की दो कविता संग्रह तथा तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए पर उनकी प्रसिद्धि झाँसी की रानी कविता के कारण है। ये राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवयित्री रही हैं। वर्षों तक सुभद्रा कुमारी की ‘झांसी वाली रानी’ और ‘वीरों का कैसा हो वसंत’ शीर्षक कविताएँ युवाओं के हृदय में देशप्रेम के भाव को जागृत करती रही हैं। उनकी चर्चित कृतियों में ‘बिखरे मोती’, ‘उन्मादिनी’, ‘सीधे सादे चित्र’, ‘मुकुल’, ‘त्रिधारा’ और ‘मिला तेज से तेज’ प्रमुख हैं।

साध : पाठ परिचय

सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता “साध” में शांति प्रिय जीवन की मधुर कल्पना की गई है। नदी के नीरव प्रवाह से जीवन की तुलना करते हुए कवयित्री ने संतोषप्रद जीवन अपनाने का आह्वान किया है। कवयित्री की चाहत है कि मानव जीवन नदी के शांत प्रवाह-सा हो और उसमें हर आनेवाले पल में नवीनता का एहसास हो। जीवन की यह उर्वरता हमारे जीवन अनुभवों और अनुभूतियों को अनुगूँजित करते हुए संगीतमय बनाती है।

साध : सुभद्राकुमारी चौहान

मृदुल कल्पना के चल पँखों पर हम तुम दोनों आसीन।

भूल जगत के कोलाहल को रच लें अपनी सृष्टि नवीन॥

वितत विजन के शांत प्रांत में कल्लोलिनी नदी के तीर।

बनी हुई हो वहीं कहीं पर हम दोनों की पर्ण कुटीर॥

कुछ रूखा-सूखा खाकर ही पीतें हों सरिता का जल।

पर न कुटिल आक्षेप जगत के करने आवें हमें विकल॥

सरल काव्य-सा सुंदर जीवन हम सानंद बिताते हों।

तरु-दल की शीतल छाया में चल समीर-सा गाते हों॥

सरिता के नीरव प्रवाह-सा बढ़ता हो अपना जीवन।

हो उसकी प्रत्येक लहर में अपना एक निरालापन॥

रचे रुचिर रचनाएँ जग में अमर प्राण भरने वाली।

दिशि दिशि को अपनी लाली से अनुरंजित करने वाली॥

तुम कविता के प्राण बनो मैं उन प्राणों की आकुल तान।

निर्जन वन को मुखरित कर दे प्रिय ! अपना सम्मोहन गान॥

पाठ का सारांश

सुभद्राकुमारी चौहान की कविता “साध” में कवयित्री अपने प्रिय के साथ एक काल्पनिक, सरल और आनंदमय जीवन की कामना करती हैं। वे संसार के कोलाहल से दूर, शांत नदी किनारे पर्णकुटीर में रहना चाहती हैं, जहाँ सादा भोजन और नदी का जल ही पर्याप्त हो। वे कुटिल आलोचनाओं से मुक्त, काव्य-सा सुंदर जीवन जीना चाहती हैं, जिसमें प्रेम, प्रकृति और सृजनात्मकता हो। कविता में जीवन को नदी के प्रवाह-सा स्वाभाविक और रचनाओं को अमर बनाने की इच्छा व्यक्त की गई है, जहाँ प्रिय कविता का प्राण और कवयित्री उसकी तान बनकर वन को मुखरित करती हैं।

शब्दार्थ :-

मृदुल – कोमल

चल – चंचल

वितत – विस्तृत, फैला हुआ

सृष्टि – संसार, जगत

पर्ण कुटीर – पत्तों से निर्मित कुटिया

विजन – निर्जन, जनहीन

कोलाहल – शोरगुल

कल्लोलिनी – कल-कल की आवाज करने वाली

कुटिल जगत आक्षेप – संसार के छल कपट पूर्ण या विद्वेषपूर्ण आरोप / दोषारोपण;

प्रांत – भूभाग

निराला – अनुपम, विलक्षण

रुचिर – रुचिकर, सुंदर

दिशि दिशि – दिशा-दिशा में

तरुदल – वृक्षों का समूह

शब्द

हिंदी अर्थ

English Meaning

मृदुल

कोमल, नरम

Soft, gentle

कल्पना

ख्याल

Imagination

आसीन

बैठा हुआ, विराजमान

Seated, established

कोलाहल

शोर, हलचल

Noise, uproar

सृष्टि

रचना, विश्व

Creation, world

वितत

विस्तृत, फैला हुआ

Vast, expansive

विजन

एकांत, निर्जन

Solitude, deserted

कल्लोलिनी

लहरों वाली, हिलोरें मारती हुई

Wavy, rippling

पर्णकुटीर

पत्तों की झोपड़ी

Leafy hut, cottage

कुटिल

टेढ़ा, कपटी

Crooked, deceitful

आक्षेप

आलोचना, दोषारोपण

Criticism, accusation

विकल

व्याकुल, बेचैन

Restless, agitated

सानंद

आनंद के साथ

Joyfully

समीर

हवा, वायु

Breeze, wind

नीरव

शांत, मौन

Silent, calm

प्रवाह

बहाव, धारा

Flow, stream

निरालापन

अनूठापन, विशिष्टता

Uniqueness

रुचिर

सुंदर, आकर्षक

Beautiful, charming

अनुरंजित

रंग देना, आकर्षित करना

Coloured, enchanted

आकुल

व्याकुल, उत्सुक

Eager, restless

सम्मोहन

मंत्रमुग्ध करने वाला

Enchanting, captivating

पाठ से

  1. कविता में किस प्रकार की सृष्टि रचने की मृदुल कल्पना की गई है।

उत्तर – कविता में जगत के कोलाहल को भूलकर एक ऐसी नई सृष्टि रचने की मृदुल कल्पना की गई है, जहाँ वे अर्थात् कवयित्री औरउनके प्रिय एक विस्तृत विजन के शांत प्रांत में कल्लोलिनी अर्थात् कलकल करती नदी के किनारे पर्ण कुटीर बनाकर रहेंगे और सरल तथा सुंदर जीवन बिताएँगे।

  1. कवयित्री को किस प्रकार का जीवन व्यतीत करने की चाहत है और क्यों?

उत्तर – कवयित्री को सरल काव्य-सा सुंदर जीवन व्यतीत करने की चाहत है। यह जीवन संघर्षों से रहित, कुटिल आक्षेपों से दूर, और आनंदपूर्ण हो, ताकि वे शांत वातावरण में रहकर जगत में अमर प्राण भरने वाली रुचिर रचनाएँ रच सकें।

  1. कविता की पंक्ति “सरिता के नीरव प्रवाह-सा बढ़ता हो अपना जीवन” का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – इस पंक्ति का भाव यह है कि जिस प्रकार नदी का प्रवाह शांत, निरंतर और अडिग गति से आगे बढ़ता रहता है, उसी प्रकार कवयित्री का जीवन भी बिना किसी बाधा या शोरगुल के शांति और निरंतरता के साथ आगे बढ़ता रहे।

  1. रुचिर रचनाओं से कवयित्री का क्या आशय है?

उत्तर – रुचिर रचनाओं से कवयित्री का आशय सुंदर और प्रभावपूर्ण साहित्यिक कृतियों से है, जो जग में अमर प्राण भरने वाली हों और दिशि-दिशि अर्थात् सभी दिशाओं को अपनी लाली से रंगने वाली हों। अर्थात्, ऐसी रचनाएँ जो सकारात्मक, प्रेरणादायक, और चिरस्थायी हों।

  1. जीवन में निरालापनकहकर कवयित्री ने क्या संकेत किया है?

उत्तर – ‘जीवन में निरालापन’ कहकर कवयित्री ने यह संकेत किया है कि उनका जीवन साधारण, नीरस या अनुकरण करने वाला न हो, बल्कि नदी की प्रत्येक लहर की तरह प्रत्येक क्षण में एक अद्वितीय (निराला) विशेषता और नवीनता लिए हो।

  1. कविता के शीर्षक साधसे जीवन की जिन अभिलाषाओं का बोध होता है, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – कविता के शीर्षक ‘साध’ (इच्छा, अभिलाषा) से जीवन की निम्नलिखित अभिलाषाओं का बोध होता है –

एकांत और शांतिपूर्ण जीवन – संसार के कोलाहल से दूर प्रकृति के एकांत में रहना।

सादा जीवन – रूखा-सूखा खाकर और सरिता का जल पीकर संतोषी जीवन बिताना।

कुटिलता से मुक्ति – लोगों के बुरे आक्षेपों और विकलता से दूर रहना।

सृजनात्मकता (Creative life) – अमरता प्रदान करने वाली सुंदर और प्रभावशाली रचनाएँ रचना।

परस्पर पूरकता – प्रिय के साथ कविता के प्राण और तान बनकर एक-दूसरे के पूरक बनना।

  1. तुम कविता के प्राण बनो, मैं उन प्राणों की आकुल तान।

निर्जन वन को मुखरित कर दे प्रिय ! अपना सम्मोहन गान॥”

उपर्युक्त काव्य पंक्तियों का भाव अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – इन पंक्तियों में कवयित्री ने अपने और प्रिय के बीच कलात्मक पूरकता की इच्छा व्यक्त की है। इसका भाव है कि उनका प्रिय कविता का मूल भाव अर्थात् प्राण बने, और कवयित्री उस भाव को प्रकट करने वाली आतुर ध्वनि या अभिव्यक्ति बनें। उन दोनों की इस मिली-जुली मधुर कला में इतनी शक्ति हो कि वह एकांत वन को भी संगीत और भाव से गुंजायमान कर दे। यह उनकी रचनात्मक साझेदारी की आकांक्षा है।

 

पाठ से आगे

  1. हम अपने जीवन को कैसा बनाना चाहते हैं और आस-पास के लोगों तथा प्रकृति से हमें कैसे सहयोग मिलता है? आपस में चर्चा कर लिखिए।

उत्तर – हम अपने जीवन को सरल, शांत और सृजनात्मक बनाना चाहते हैं, जैसा कविता ‘साध’ में वर्णित है। हम चाहते हैं कि हमारा जीवन प्रकृति के बीच, आलोचनाओं से मुक्त, आनंदमय और रचनात्मक हो। आस-पास के लोग हमें प्रेरणा, सहानुभूति और सहयोग से मदद करते हैं। उदाहरण: मित्र सलाह देते हैं, परिवार भावनात्मक समर्थन देता है। प्रकृति शांति और प्रेरणा देती है; जैसे नदी का प्रवाह जीवन को गति देता है, पेड़ों की छाया शीतलता। चर्चा में सहमति बनी कि प्रकृति और लोग मिलकर जीवन को काव्य-सा सुंदर बनाते हैं।

  1. जीवन के प्रति अपने मन में उठने वाली लहर या कल्पनाओं के बारे में विचार करते हुए उन्हें लिखिए।

उत्तर – मेरे मन में जीवन के प्रति कई कल्पनाएँ उठती हैं। मैं एक शांत, प्रकृति से घिरा जीवन चाहता हूँ, जहाँ मैं अपनी रचनात्मकता व्यक्त कर सकूँ। मैं कल्पना करता हूँ कि एक नदी किनारे बैठकर कविताएँ लिखूँ, जो दूसरों को प्रेरित करें। मैं चाहता हूँ कि मेरा जीवन सरल हो, बिना तनाव के, जहाँ हर दिन नया उत्साह लाए। मेरी कल्पनाएँ मुझे मेहनत करने और सपनों को साकार करने की प्रेरणा देती हैं।

  1. आपके आस-पास ऐसे लोग होंगे जो अभावों में रहते हुए भी दूसरों का सहयोग करने को सदैव तत्पर होते हैं, ऐसे लोगों के बारे में साथियों से चर्चा कर उनके भावों को लिखें।

उत्तर – मेरे मोहल्ले में रमेश जी, एक रिक्शा चालक, अभावों में रहते हैं, फिर भी जरूरतमंदों की मदद करते हैं। चर्चा में साथियों ने बताया कि वे बच्चों को मुफ्त किताबें देते हैं और बीमारों के लिए दवा लाते हैं। उनके भाव: “खुशी दूसरों की मदद में है।” उनकी निःस्वार्थता हमें प्रेरित करती है कि अभावों में भी दूसरों के लिए जीया जा सकता है। उनकी सादगी और सहयोगी भाव कविता के सरल जीवन की तरह है।

  1. आपको किन-किन कवियों की कविताएँ अच्छी लगती हैं? आपस में चर्चा कर उन कवियों की विशेषताओं को लिखिए। यह भी बताइए कि वे कविताएँ आपको क्यों अच्छी लगती हैं?

उत्तर – मुझे सुभद्राकुमारी चौहान, मीराबाई और रामधारी सिंह दिनकर की कविताएँ पसंद हैं। चर्चा में साथियों ने कहा: सुभद्राकुमारी की कविताएँ सरल और भावपूर्ण हैं, जैसे “साध” में प्रकृति और प्रेम का मिश्रण। मीराबाई की भक्ति और प्रेम की गहराई आकर्षित करती है। दिनकर की कविताएँ ओजस्वी और प्रेरक हैं। ये कविताएँ मुझे इसलिए अच्छी लगती हैं क्योंकि ये भावनाओं को जीवंत करती हैं, प्रेरणा देती हैं और जीवन के प्रति आशा जगाती हैं।

भाषा के बारे में

  1. विशेषण- संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं तथा जिन संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बताई जाती है उसे विशेष्य कहते हैं। प्रस्तुत कविता में विशेषण और विशेष्य पदों का सघन प्रयोग कवयित्री द्वारा किया गया है, जैसे मृदुल कल्पना, नवीन सृष्टि, पर्ण कुटीर, सरल काव्य आदि पाठ से अन्य विशेषण और विशेष्य को ढूँढ़ कर वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

उत्तर –

विशेषण

विशेष्य

नया पद

वाक्यों में प्रयोग

वितत

विजन

वितत विजन

योगी वितत विजन में तपस्या करते हैं।

शांत

प्रांत

शांत प्रांत

मुझे छुट्टियों में किसी शांत प्रांत में जाने की इच्छा है।

कल्लोलिनी

नदी

कल्लोलिनी नदी

पर्वत से उतरती हुई कल्लोलिनी नदी का दृश्य मनमोहक था।

सरल

जीवन

सरल जीवन

गाँधी जी ने सरल जीवन और उच्च विचार का महत्व सिखाया।

शीतल

छाया

शीतल छाया

गर्मी में वृक्षों की शीतल छाया अत्यंत सुखद होती है।

अमर

प्राण

अमर प्राण

कलाकारों की कृतियाँ उनमें अमर प्राण भर देती हैं।

सम्मोहन

गान

सम्मोहन गान

उसने अपने सम्मोहन गान से सभा को मंत्रमुग्ध कर दिया।

 

  1. कुछ विशेषण शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं जैसे ऊँची कूद, तेज चाल, धीमीगति आदि। क्रिया की विशेषता बताने वाले इन विशेषणों को क्रिया विशेषण कहते हैं। किसी अखबार या पत्रिका को पढ़िए और क्रिया विशेषणों को खोज कर लिखिए।

उत्तर –

 

  1. कविता में दिए गए विशेष्य पदों में नए विशेषण या क्रियाविशेषण को जोड़कर नए पदों का निर्माण किया जा सकता है। जैसे – मृदुल – कल्पना, निर्मल – छाया, सुरीली तान, निष्काम – जीवन। कविता में प्रयुक्त कुछ अन्य विशेष्य नीचे दिए गए हैं। इनमें विशेषण या क्रियाविशेषण लगाकर नए पदों का निर्माण कीजिए। (आक्षेप, कुटीर, काव्य, प्रवाह, रचनाएँ, वन, तान, प्रांत, विजन, नदी।)

उत्तर –

विशेष्य

विशेषण/क्रियाविशेषण

नया पद

आक्षेप

कटु/तीव्र

कटु आक्षेप

कुटीर

छोटी/शांत

छोटी कुटीर

काव्य

मधुर/श्रेष्ठ

मधुर काव्य

प्रवाह

धीमा/तेज

धीमा प्रवाह

रचनाएँ

महान/नई

महान रचनाएँ

वन

निर्जन/हरा-भरा

निर्जन वन

तान

दर्द भरी/सुरीली

सुरीली तान

प्रांत

विस्तृत/सुदूर

सुदूर प्रांत

विजन

घना/शांत

शांत विजन

नदी

कलकल करती/तेज बहती

कलकल करती नदी

 

  1. विशेषण के कई भेद (प्रकार) होते हैं। शब्द अपने विशेष्यके गुणों की विशेषता का बोध कराते हैं, गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे – अच्छा आदमी, लंबा लड़का, पीला फूल, खट्टा दही अपने शिक्षक की सहायता से विशेषण के अन्य भेदों की पहचान कीजिए।

उत्तर – छात्र के लिए गृहकार्य

  1. साध कविता में कई विशेषण शब्द हैं। उन शब्दों को पहचानिए तथा विशेषण के भेदों के अनुरूप वर्गीकृत कीजिए।

उत्तर –

विशेषण शब्द

संदर्भ (कविता की पंक्ति)

विशेषण का भेद

व्याख्या

मृदुल

मृदुल कल्पना के चल पँखों पर

गुणवाचक

यह “कल्पना” की कोमलता (गुण) को दर्शाता है।

नवीन

अपनी सृष्टि नवीन

गुणवाचक

यह “सृष्टि” की नयापन (गुण) को दर्शाता है।

वितत

वितत विजन के शांत प्रांत में

गुणवाचक

यह “विजन” (एकांत) के विस्तृत (गुण) होने को दर्शाता है।

शांत

वितत विजन के शांत प्रांत में

गुणवाचक

यह “प्रांत” की शांति (गुण) को दर्शाता है।

कल्लोलिनी

कल्लोलिनी नदी के तीर

गुणवाचक

यह “नदी” की लहरों वाली (गुण) विशेषता को दर्शाता है।

कुटिल

कुटिल आक्षेप जगत के

गुणवाचक

यह “आक्षेप” (आलोचना) की कपटपूर्ण (गुण) विशेषता को दर्शाता है।

विकल

हमें विकल

गुणवाचक

यह “हमें” की व्याकुलता (गुण) को दर्शाता है।

सरल

सरल काव्य-सा सुंदर जीवन

गुणवाचक

यह “जीवन” की सरलता (गुण) को दर्शाता है।

सुंदर

सरल काव्य-सा सुंदर जीवन

गुणवाचक

यह “जीवन” की सुंदरता (गुण) को दर्शाता है।

सानंद

सानंद बिताते हों

गुणवाचक

यह “जीवन” को आनंदमय (गुण) तरीके से बिताने को दर्शाता है।

शीतल

तरु-दल की शीतल छाया

गुणवाचक

यह “छाया” की ठंडक (गुण) को दर्शाता है।

नीरव

सरिता के नीरव प्रवाह-सा

गुणवाचक

यह “प्रवाह” की शांति (गुण) को दर्शाता है।

रुचिर

रचे रुचिर रचनाएँ

गुणवाचक

यह “रचनाएँ” की सुंदरता (गुण) को दर्शाता है।

अमर

अमर प्राण भरने वाली

गुणवाचक

यह “रचनाएँ” की शाश्वतता (गुण) को दर्शाता है।

आकुल

उन प्राणों की आकुल तान

गुणवाचक

यह “तान” की व्याकुलता (गुण) को दर्शाता है।

सम्मोहन

अपना सम्मोहन गान

गुणवाचक

यह “गान” की मंत्रमुग्ध करने वाली (गुण) विशेषता को दर्शाता है।

दोनों

हम दोनों की पर्ण कुटीर

संख्यावाचक (निश्चित)

यह “हम” की संख्या (दो) को दर्शाता है।

प्रत्येक

उसकी प्रत्येक लहर में

संकेतवाचक

यह “लहर” की ओर संकेत करता है।

 

  1. कविता में, प्राण भरना अर्थात जीवंत करना, मुहावरे का प्रयोग हुआ है। प्राण शब्द से सम्बन्धित कुछ अन्य मुहावरे इस प्रकार हैं प्राण सूखना = अत्यंत भयग्रस्त होना,

प्राण पखेरू उड़ना = मृत होना,

प्राणों की आहुति देना = बलिदान करना।

प्राणशब्द से अन्य मुहावरे खोजकर उनका अर्थ लिखिए तथा वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

मुहावरा

अर्थ

वाक्य में प्रयोग

प्राणों की बाजी लगाना

जीवन को खतरे में डालना; बलिदान के लिए तत्पर होना।

देश की रक्षा के लिए हमारे जवानों ने हँसते-हँसते प्राणों की बाजी लगा दी।

प्राणों पर बन आना

जान पर खतरा आ जाना।

भयंकर बाढ़ में फँस जाने पर सभी यात्रियों के प्राणों पर बन आई।

प्राण फूँकना

निर्जीव वस्तु में जान डालना; उत्साहित करना।

मूर्तिकार ने अपनी कला से पत्थरों की मूर्ति में मानो प्राण फूँक दिए।

प्राण निकलना/प्राण त्यागना

मर जाना/मृत्यु को प्राप्त होना।

चोट इतनी गहरी थी कि एक ही पल में घायल व्यक्ति के प्राण निकल गए।

 

 

योग्यता विस्तार

  1. कुछ कविताएँ प्रकृति के कोमल भावों को अभिव्यक्त करती हैं। कोमल भावों को प्रस्तुत करने वाली कविताओं को पुस्तकालय से ढूँढ़ कर साथियों के साथ वाचन कीजिए और शब्द, अर्थ, भाव, तुक आदि पर चर्चा कीजिए।

उत्तर – छात्र इसे स्वयं करें।

  1. सुभद्रा कुमारी चौहान की अन्य कविताओं जैसे कदंब का पेड़ मेरा नया बचपन‘, मेरा जीवन‘, ‘खिलौनेवालाको खोजकर पढ़िए और उनके भाव लिखिए।

उत्तर – छात्र इसे स्वयं करें।

      

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

कविता “साध” में कवयित्री किसके साथ जीवन की कल्पना करती हैं?

a) मित्र के साथ

b) प्रिय के साथ

c) परिवार के साथ

d) अकेले

 

कवयित्री कहाँ रहना चाहती हैं?

a) शहर में

b) नदी के तीर पर पर्णकुटीर में

c) पहाड़ पर

d) जंगल में

 

कवयित्री किसे भूलना चाहती हैं?

a) प्रकृति को

b) जगत के कोलाहल को

c) प्रिय को

d) कविता को

 

कवयित्री और प्रिय किस तरह का जीवन जीना चाहते हैं?

a) विलासपूर्ण

b) सरल और काव्य-सा सुंदर

c) आधुनिक

d) कठिन

 

कविता में जीवन की तुलना किससे की गई है?

a) पहाड़ से

b) नदी के प्रवाह से

c) आकाश से

d) वृक्ष से

 

कवयित्री अपनी रचनाओं को कैसा बनाना चाहती हैं?

a) अस्थायी

b) अमर और अनुरंजित करने वाली

c) साधारण

d) जटिल

 

कविता में प्रिय को किसका प्रतीक कहा गया है?

a) तान का

b) कविता के प्राण का

c) छाया का

d) समीर का

 

कवयित्री क्या बनना चाहती हैं?

a) कविता का शब्द

b) कविता की आकुल तान

c) कविता की लय

d) कविता की छाया

 

कविता में “सम्मोहन गान” का क्या अर्थ है?

a) शोर करने वाला गीत

b) मंत्रमुग्ध करने वाला गीत

c) उदास गीत

d) साधारण गीत

 

कविता में किस शब्द का प्रयोग नदी के लिए हुआ है?

a) सरिता

b) कल्लोलिनी

c) नीरव

d) समीर

एक वाक्य वाले प्रश्नोत्तर

  1. कवयित्री और उनका प्रिय अपनी कल्पना में क्या रचने की इच्छा रखते हैं?

उत्तर – कवयित्री और उनका प्रिय अपनी मृदुल कल्पना के पंखों पर आसीन होकर जगत के कोलाहल को भूलकर अपनी एक नवीन (नई) सृष्टि रचने की इच्छा रखते हैं।

  1. कवयित्री अपनी पर्ण कुटीर (पत्ते की कुटिया) कहाँ बनाना चाहती हैं?

उत्तर – कवयित्री अपनी पर्ण कुटीर वितत (विस्तृत) विजन (एकांत) के शांत प्रांत में कल्लोलिनी नदी के तीर (किनारे) पर बनाना चाहती हैं।

  1. कवयित्री और उनका प्रिय अपनी कुटिया में कैसा भोजन करेंगे?

उत्तर – कवयित्री और उनका प्रिय अपनी कुटिया में कुछ रूखा-सूखा खाकर ही सरिता (नदी) का जल पीते होंगे।

  1. वे जगत की किन बातों से विकल (परेशान) नहीं होना चाहते?

उत्तर – वे जगत के कुटिल (बुरे) आक्षेपों से विकल नहीं होना चाहते, जो उन्हें परेशान करने न आएँ।

  1. कवयित्री किस प्रकार का जीवन बिताना चाहती हैं?

उत्तर – कवयित्री सरल काव्य-सा सुंदर जीवन आनंद के साथ बिताना चाहती हैं।

  1. चल समीर-सा गाते होंपंक्ति में कवयित्री किस प्रकार के गायन की बात कर रही हैं?

उत्तर – ‘चल समीर-सा गाते हों’ पंक्ति में कवयित्री वृक्षों की शीतल छाया में हवा (समीर) के समान सहज, निरंतर और मुक्त होकर गाने की बात कर रही हैं।

  1. कवयित्री ने अपने जीवन को किसके समान बढ़ते रहने की कामना की है?

उत्तर – कवयित्री ने अपने जीवन को सरिता (नदी) के नीरव (शांत) प्रवाह के समान बढ़ते रहने की कामना की है।

  1. कवयित्री किस प्रकार की रचनाएँ करना चाहती हैं?

उत्तर – कवयित्री रुचिर (सुंदर) रचनाएँ करना चाहती हैं, जो जग में अमर प्राण भरने वाली हों और सभी दिशाओं (दिशि दिशि) को अपनी लाली से अनुरंजित करें।

  1. कवयित्री अपने प्रिय को क्या बनने के लिए कहती हैं?

उत्तर – कवयित्री अपने प्रिय को कविता के प्राण (मूल भाव) बनने के लिए कहती हैं।

  1. कवयित्री अपने और प्रिय के सम्मोहन गान से क्या परिणाम चाहती हैं?

उत्तर – कवयित्री चाहती हैं कि उनका सम्मोहन गान निर्जन (एकांत) वन को मुखरित (गूँजायमान) कर दे।

 

प्रश्न और उत्तर (लगभग 40-50 शब्दों में)

  1. प्रश्न – कविता “साध” में कवयित्री किस तरह के जीवन की कल्पना करती हैं?

उत्तर – कवयित्री एक सरल, काव्य-सा सुंदर जीवन की कल्पना करती हैं, जहाँ प्रिय के साथ नदी किनारे पर्णकुटीर में रहें। वे जगत के शोर से दूर, सादा भोजन और नदी का जल पीकर आनंदमय जीवन जीना चाहती हैं।

  1. प्रश्न – कवयित्री और प्रिय किस स्थान पर रहना चाहते हैं?

उत्तर – कवयित्री और प्रिय एकांत, शांत नदी के तीर पर पर्णकुटीर में रहना चाहते हैं। यह स्थान प्रकृति के बीच, दुनिया के कोलाहल से दूर है, जहाँ वे सरल और सानंद जीवन बिता सकें।

  1. प्रश्न – कविता में कोलाहल का क्या अर्थ है और इसे क्यों भूलना चाहती हैं?

उत्तर – कोलाहल का अर्थ है दुनिया का शोर और हलचल। कवयित्री इसे भूलकर शांत, सरल जीवन जीना चाहती हैं, ताकि कुटिल आलोचनाओं से मुक्त होकर प्रिय के साथ काव्य-सा सुंदर जीवन रच सकें।

  1. प्रश्न – कवयित्री अपने जीवन को किसके समान बनाना चाहती हैं?

उत्तर – कवयित्री अपने जीवन को सरल काव्य-सा सुंदर बनाना चाहती हैं, जो तरु-दल की छाया में हवा-सा गाता हो। यह जीवन नदी के प्रवाह-सा स्वाभाविक हो, जिसमें प्रत्येक लहर में निरालापन हो।

  1. प्रश्न – कविता में नदी के प्रवाह का क्या महत्व है?

उत्तर – नदी का प्रवाह जीवन का प्रतीक है, जो शांत और स्वाभाविक रूप से बढ़ता है। कवयित्री चाहती हैं कि उनका जीवन भी ऐसा हो, जिसमें प्रत्येक लहर (क्षण) में अनूठापन हो और प्रगति निरंतर हो।

  1. प्रश्न – कवयित्री अपनी रचनाओं को कैसा बनाना चाहती हैं?

उत्तर – कवयित्री रुचिर रचनाएँ रचना चाहती हैं, जो अमर हों और प्राणों को जीवंत करें। वे चाहती हैं कि उनकी रचनाएँ अपनी लाली से सभी दिशाओं को रंग दें और आकर्षित करें।

  1. प्रश्न – प्रिय को कविता में किस रूप में देखा गया है?

उत्तर – प्रिय को कविता के प्राण के रूप में देखा गया है। कवयित्री स्वयं को प्राणों की आकुल तान मानती हैं, जो मिलकर निर्जन वन को अपने सम्मोहन गान से मुखरित करती हैं।

  1. प्रश्न – कविता में सम्मोहन गान का क्या अर्थ है?

उत्तर – सम्मोहन गान का अर्थ है मंत्रमुग्ध करने वाला गीत, जो कवयित्री और प्रिय के प्रेम और काव्य से रचा जाता है। यह गीत निर्जन वन को जीवंत और आकर्षक बनाता है।

  1. प्रश्न – कवयित्री किन आक्षेपों से मुक्त रहना चाहती हैं?

उत्तर – कवयित्री जगत के कुटिल आक्षेपों, यानी कपटी आलोचनाओं और दोषारोपणों से मुक्त रहना चाहती हैं। वे चाहती हैं कि उनका जीवन इन नकारात्मक बातों से प्रभावित न हो और सानंद रहे।

  1. प्रश्न – कविता में समीर का क्या महत्व है?

 उत्तर – समीर (हवा) का महत्व यह है कि यह जीवन को गति और शीतलता देता है। कवयित्री और प्रिय तरु-दल की छाया में समीर-सा गाते हैं, जो स्वतंत्र और आनंदमय जीवन का प्रतीक है।

 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न और उत्तर

  1. प्रश्न – कविता “साध” में कवयित्री किस तरह के जीवन की कामना करती हैं और क्यों?

उत्तर – कवयित्री प्रिय के साथ नदी किनारे पर्णकुटीर में सरल, काव्य-सा सुंदर जीवन की कामना करती हैं। वे जगत के शोर और कुटिल आलोचनाओं से मुक्त रहना चाहती हैं, ताकि प्रकृति के बीच सादा भोजन और नदी का जल पीकर सानंद जीवन जी सकें। यह जीवन नदी के प्रवाह-सा स्वाभाविक और निराला हो, जो उनकी रचनात्मकता को बढ़ाए। वे चाहती हैं कि उनका जीवन और रचनाएँ अमर हों।

  1. प्रश्न – कविता में प्रकृति के तत्वों का उपयोग किस तरह किया गया है?

उत्तर – कविता में प्रकृति के तत्व जैसे नदी, तरु-दल, समीर और पर्णकुटीर जीवन की सरलता और सुंदरता को दर्शाते हैं। नदी का प्रवाह जीवन की निरंतरता और निरालापन दिखाता है, समीर आनंद और स्वतंत्रता का प्रतीक है। तरु-दल की छाया शीतलता देती है, और पर्णकुटीर एकांत में प्रेम और सृजन का प्रतीक है। ये तत्व कवयित्री के काल्पनिक, शांत जीवन को जीवंत करते हैं।

  1. प्रश्न – कवयित्री और प्रिय की रचनात्मकता को कविता में कैसे व्यक्त किया गया है?

उत्तर – कवयित्री अपनी और प्रिय की रचनात्मकता को अमर, प्राणों को जीवंत करने वाली रचनाओं के रूप में देखती हैं। प्रिय कविता के प्राण हैं, और कवयित्री उनकी आकुल तान। ये रचनाएँ दिशाओं को अपनी लाली से रंग देती हैं। उनका सम्मोहन गान निर्जन वन को मुखरित करता है, जो उनकी सृजनशीलता और प्रेम की शक्ति को दर्शाता है।

  1. प्रश्न – कविता में जीवन को नदी के प्रवाह से तुलना क्यों की गई है?

उत्तर – जीवन को नदी के प्रवाह से तुलना की गई है क्योंकि यह शांत, स्वाभाविक और निरंतर बढ़ता है। नदी की प्रत्येक लहर में निरालापन होता है, जैसे जीवन के प्रत्येक क्षण में अनूठापन। कवयित्री चाहती हैं कि उनका जीवन भी ऐसा हो, जो सरल, प्राकृतिक और रचनात्मक हो, बिना बाहरी शोर के। यह तुलना जीवन की जीवंतता और प्रगति को दर्शाती है।

  1. प्रश्न – कविता में प्रिय और कवयित्री के बीच संबंध को कैसे दर्शाया गया है?

उत्तर – प्रिय और कवयित्री का संबंध कविता के प्राण और तान के रूप में दर्शाया गया है। प्रिय कविता का प्राण है, जो जीवन और सृजन का आधार है, और कवयित्री उसकी आकुल तान, जो रचनात्मकता को व्यक्त करती है। दोनों मिलकर निर्जन वन को सम्मोहन गान से मुखरित करते हैं, जो उनके प्रेम और सृजन के गहरे, आनंदमय संबंध को दर्शाता है।

 

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