ज्ञान प्रकाश विवेक – जीवन परिचय
ज्ञान प्रकाश विवेक वर्तमान में हिंदी साहित्य में एक महत्त्वपूर्ण नाम हैं। आपने कहानी, कविता और हिंदी ग़ज़लें लिखी हैं और लघुकथाएँ भी। आपका जन्म हरियाणा के बहादुरगढ़ जिले में 1948 में हुआ था। अपके कई कहानी संग्रह (अलग-अलग दिशाएँ, शहर गवाह है, उसकी ज़मीन, शिकारगाह और मुसाफिरखाना) एक कविता संग्रह (दीवार से झांकती रौशनी) और ग़ज़ल संग्रह (धूप के हस्ताक्षर आँखों में आसमान) प्रकाशित हो चुके हैं। आपका एक उपन्यास ‘दिल्ली दरवाजा’ काफी मशहूर हुआ है। आपको हरियाणा साहित्य अकादमी ने तीन बार पुरस्कृत किया है।
लघु कथाएँ
बस से उतरकर जेब में हाथ डाला। मैं चौंक पड़ा। जेब कट चुकी थी। जेब में था भी क्या? कुल नौ रूपए और एक खत, जो मैंने माँ को लिखा था कि मेरी नौकरी छूट गई है। अभी पैसे नहीं भेज पाऊँगा…। तीन दिनों से वह पोस्ट कार्ड जेब में पड़ा था। पोस्ट करने को मन ही नहीं कर रहा था।
नौ रूपए जा चुके थे। यूँ नौ रूपए कोई बड़ी रकम नहीं थी, लेकिन जिसकी नौकरी छूट चुकी हो, उसके लिए नौ रूपए नौ सौ से कम नहीं होते।
कुछ दिन गुजरे माँ का खत मिला। पढ़ने से पूर्व मैं सहम गया। जरूर पैसे भेजने को लिखा होगा। लेकिन खत पढ़कर मैं हैरान रह गया। माँ ने लिखा था- “बेटा तेरा भेजा पचास रूपए का मनीऑर्डर मिल गया है। तू कितना अच्छा है रे… पैसे भेजने में कभी लापरवाही नहीं बरतता”
मैं इसी उधेड़बुन में लग गया कि आखिर माँ को मनी ऑर्डर किसने भेजा होगा?
कुछ दिन बाद एक और पत्र मिला। चंद लाइने थीं आड़ी तिरछी। बड़ी मुश्किल से खत पढ़ पाया।
लिखा था “भाई नौ रूपए तुम्हारे और इकतालीस रूपए अपनी अपनी ओर से मिला कर मैंने तुम्हारी माँ को मनी ऑर्डर भेज दिया है। फिकर मत करना … माँ तो सबकी एक जैसी होती है। वह क्यों भूखी रहे?”… तुम्हारा ‘जेबकतरा।’
पाठ का सार
“जेबकतरा” कहानी में लेखक की जेब से नौ रुपये और माँ को लिखा पत्र चोरी हो जाता है, जिसमें नौकरी छूटने की बात थी। जेबकतरे ने पत्र पढ़कर दया दिखाई और अपनी ओर से इकतालीस रुपये जोड़कर माँ को पचास रुपये का मनी ऑर्डर भेजा। माँ को लगा कि बेटे ने पैसे भेजे। बाद में जेबकतरे का पत्र आया, जिसमें उसने लिखा, “माँ तो सबकी एक जैसी होती है।” कहानी मानवता और दया का संदेश देती है।
शब्दार्थ
शब्द | हिंदी अर्थ | English Meaning |
चौंक पड़ा | अचानक आश्चर्य में पड़ना | Was startled |
जेबकतरा | जेब से चोरी करने वाला | Pickpocket |
पोस्टकार्ड | डाक द्वारा भेजा जाने वाला पत्र | Postcard |
मनी ऑर्डर | डाक द्वारा भेजी जाने वाली धनराशि | Money order |
उधेड़बुन | मन में चलने वाला तर्क-वितर्क | Mental dilemma or deliberation |
सहम गया | डर गया या घबरा गया | Became apprehensive |
लापरवाही | असावधानी या लापरबाही | Negligence |
आड़ी तिरछी | टेढ़ी-मेढ़ी लिखावट | Crooked or slanted (writing) |
फिकर | चिंता | Worry |
रकम | धनराशि | Amount of money |
पाठ से
- लेखक की माँ को जेबकतरे ने पैसे क्यों भेजे?
उत्तर – जेबकतरे ने लेखक की जेब से नौ रुपये और एक पोस्टकार्ड चुराया, जिसमें लिखा था कि लेखक की नौकरी छूट गई और वह माँ को पैसे नहीं भेज सकता। जेबकतरे ने पत्र पढ़कर दया दिखाई और अपनी ओर से इकतालीस रुपये जोड़कर माँ को पचास रुपये का मनी ऑर्डर भेजा, क्योंकि वह नहीं चाहता था कि माँ भूखी रहे। उसने लिखा, “माँ तो सबकी एक जैसी होती है।”
- “जिसकी नौकरी छूट चुकी हो, उसके लिए नौ रूपए नौ सौ से कम नहीं होते।” लेखक ने ऐसा क्यो कहा है?
उत्तर – लेखक ने यह कहा क्योंकि नौकरी छूटने से वह आर्थिक तंगी में था। ऐसी स्थिति में नौ रुपये भी उसके लिए बहुत मूल्यवान थे, क्योंकि यह उसकी बुनियादी जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण राशि थी। बेरोजगारी में छोटी राशि भी नौ सौ रुपये जितनी कीमती लगती है।
- जेबकतरा कहानी पढ़ने के बाद मन में कौन से भाव जागृत होते हैं? लिखिए।
उत्तर – कहानी पढ़कर मानवता, दया, और अपराधी के भीतर छिपी अच्छाई के भाव जागृत होते हैं। जेबकतरे का माँ के लिए पैसे भेजना उसकी संवेदनशीलता दिखाता है। साथ ही, बेरोजगारी की पीड़ा, माँ-बेटे का प्रेम, और आशा का भाव भी मन में उभरता है।
पाठ से आगे
- आपके हिसाब से कौन-कौन से काम गलत हैं?
उत्तर – चोरी करना, धोखा देना, और दूसरों का नुकसान करना गलत है। जेबकतरे ने चोरी की, जो अनैतिक है, लेकिन उसने माँ को पैसे भेजकर मानवता दिखाई। झूठ बोलना, विश्वास तोड़ना, और बिना मेहनत के धन कमाना भी गलत है। नैतिकता और समाज के नियमों का पालन करना चाहिए।
- अगर आपके पैसे खो जाएँ तो आपको कैसा महसूस होगा?
उत्तर – पैसे खोने पर मुझे दुख, चिंता, और असहायता महसूस होगी, खासकर अगर वह मेरी जरूरत की राशि हो। निराशा होगी, लेकिन मैं यह भी सोचूंगा कि इससे सबक लेना है। साथ ही, स्थिति से निपटने के लिए नए रास्ते तलाशने की कोशिश करूंगा।
- बेरोजगारी के कारण क्या-क्या हैं?
उत्तर – बेरोजगारी के कारणों में शिक्षा की कमी, कौशल का अभाव, आर्थिक मंदी, नौकरियों की कमी, तकनीकी प्रगति से स्वचालन, और भेदभाव शामिल हैं। इसके अलावा, जनसंख्या वृद्धि, अपर्याप्त सरकारी नीतियाँ, और क्षेत्रीय असमानता भी बेरोजगारी को बढ़ाती हैं। व्यक्तिगत परिस्थितियाँ जैसे स्वास्थ्य समस्याएँ भी कारण हो सकती हैं।
- लेखक ने अपने साथ घटी एक घटना को कहानी के रूप में प्रस्तुत किया है। आप भी अपने साथ घटी किसी घटना को इसी प्रकार प्रस्तुत करें।
उत्तर – एक बार मैं बाजार जा रहा था। रास्ते में एक बूढ़ी औरत का थैला गिर गया, जिसमें फल बिखर गए। मैंने मदद की और फल उठाए। उसने मुझे दुआ दी और कहा, “बेटा, तुम्हारा दिल बड़ा है।” घर लौटकर मैंने सोचा, छोटी मदद भी कितनी खुशी देती है। यह घटना मुझे हमेशा प्रेरित करती है कि दूसरों की मदद करनी चाहिए।
भाषा के बारे में
उधेड़बुन – मन की एक स्थिति जिसमें तर्क वितर्क चल रहा होता है। आप ऐसे दो अवसरों के बारे में सोच कर लिखिए जब आपके मन में उधेड़बुन चली हो।
उत्तर – करियर चुनने का समय – 12वीं कक्षा के बाद मुझे यह तय करना था कि इंजीनियरिंग करूँ या मेडिकल। मन में उधेड़बुन थी कि कौन-सा क्षेत्र मेरे लिए बेहतर होगा। रुचि, भविष्य की संभावनाएँ, और परिवार की सलाह के बीच तर्क-वितर्क चला। अंत में मैंने अपनी रुचि के आधार पर इंजीनियरिंग चुनी।
दोस्त की मदद का निर्णय – एक बार मेरे दोस्त ने उधार माँगा, लेकिन मुझे शक था कि वह पैसे लौटाएगा या नहीं। मन में उधेड़बुन थी कि मदद करूँ या मना कर दूँ। उसकी जरूरत और अपनी स्थिति पर विचार किया। आखिरकार, थोड़ी राशि देकर मदद की, क्योंकि दोस्ती को बनाए रखना चाहता था।

