Personalities

जॉर्ज बर्नार्ड शॉ

आयरलैंड : दार्शनिक साहित्यकार

जन्म 1856 मृत्यु 1950

जॉर्ज बर्नार्ड शॉ (George Bernard Shaw) उन दार्शनिकों में से एक हैं जिन्हें नोबल पुरस्कार विजेता के अलावा साहित्यिक संत के रूप में अधिक याद किया जाता है। उन्होंने ‘लॉर्ड’ की उपाधि भी लौटा दी थी। वे अद्भुत प्रतिभा के धनी थे। 1925 में उन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार विजेता घोषित किया गया। रूढ़िवाद का विरोध, एकांतप्रियता, स्वच्छंद विचार एवं धर्मनिरपेक्षता उनके स्वभाव के अंग थे। 1884 में वे साम्यवादी हो गये थे लेकिन फिर भी गांधीवाद उन पर हमेशा हावी रहा और इसी कारण वे अपने चरित्र में दृढ़ता ला सके। उन्होंने आजीवन अन्याय का विरोध किया और लोगों को स्वाध्याय की प्रेरणा दी। शॉ अपनी आलोचना एवं शत्रु की प्रशंसा में भी पीछे नहीं रहते थे। दार्शनिक एवं सामाजिक चेतना की दृष्टि से उनके ‘लव एमंग दि आर्टिस्ट्स’ (Love Among the Artists) तथा ‘कैशेल बायरन्स प्रोफेशन’ ( Cashel Byron’s Profession ) उपन्यास तथा मैन एंड सुपरमैन, दि डाक्टर्स डाइलेमा, आर्म्स एण्ड दि मैन (Arms and the Man), कैंडिड, पिगमेलियन। (Pygmalion) हार्ट ब्रेक हाउस, बैक टू मेथुसेलाह, एन्ड्रोकिल्स ऐंड दि लॉयन (Androcles and the Lion), ‘दॅ ऐपल कार्ट’ आदि नाटक विशेष प्रसिद्ध हैं।

“शॉ का जन्म ब्रिटेन के एक आयरिश परिवार में हुआ था, उन्होंने स्कूली शिक्षा बहुत कम पाई थी और 16 वर्ष की आयु में ही वे नौकरी करने लगे थे। साहित्य की ओर ध्यान जाने पर वे आलोचक, नाटककार एवं उपन्यासकार बनते चले गए। प्रारंभ में काफी निराशा एवं आर्थिक कठिनाइयां उनके सामने आईं, लेकिन बाद में लोगों ने उनके सिद्धान्तों को समझना प्रारंभ कर दिया और ‘शॉ’ के आचार-विचार तथा प्रेरणाओं को स्वीकारने लगे। उन्होंने सदा युद्ध से अलग रहने और विश्व शांति की स्थापना करने पर बल दिया। ‘शॉ’ का निजी जीवन नितान्त एकाकी था। उन्हें अनेक युवतियों ने प्रेम किया पर विवाह केवल एक बार किया था- वह भी धन के लिए। शॉ शाकाहारी थे एवम् मद्यपान तथा धूम्रपान से भी दूर रहते थे। लगभग 94 वर्ष की आयु में मृत्यु ने उन्हें अपना लिया।

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