भारत : महान् कूटनीतिज्ञ
जन्म व मृत्यु : लगभग 300 ई.पू.
महान मौर्य वंश की स्थापना का वास्तविक श्रेय अप्रतिम कूटनीतिज्ञ चाणक्य
को ही जाता है। चाणक्य एक विद्वान, दूरदर्शी तथा दृढ़संकल्पी व्यक्ति थे और अर्थशास्त्र, राजनीति और कूटनीति के आचार्य थे। ऐसी किंवदन्ती है कि एक बार मगध के राजदरबार में किसी कारण से उनका अपमान किया गया था, तभी उन्होंने नंद-वंश के विनाश का बीड़ा उठाया था। उन्होंने चन्द्रगुप्त को राजगद्दी पर बैठा कर वास्तव में अपनी प्रतिज्ञा पूरी कर ली तथा नंद-वंश को मिटाकर मौर्य वंश की स्थापना की। चाणक्य देश की अखण्डता के भी अभिलाषी थे, इसलिये उन्होंने चंद्रगुप्त द्वारा यूनानी आक्रमणकारियों को भारत से बाहर निकलवा दिया और नंद-वंश के अत्याचारों चाणक्य भारतीय इतिहास के सर्वाधिक प्रखर कटनीतिज्ञ माने जाते हैं। उन्होंने पीड़ित प्रजा को भी मुक्ति दिलाई। आचार्य ‘अर्थशास्त्र’ नामक पुस्तक में अपने राजनैतिक सिद्धांतों का प्रतिपादन किया है, जिनका महत्त्व आज भी स्वीकार किया जाता है। कई विश्वविद्यालयों ने कौटिल्य (चाणक्य) के ‘अर्थशास्त्र’ को अपने पाठ्यक्रम में निर्धारित भी किया है।
चाणक्य का जन्म एक घोर निर्धन परिवार में हुआ था। अपने उग्र और गूढ़ स्वभाव के कारण वे ‘कौटिल्य’ भी कहलाये। उनका एक नाम संभवत: ‘विष्णुगुप्त’ भी था। चाणक्य ने उस समय के महान् शिक्षा केंद्र ‘तक्षशिला’ में शिक्षा पाई थी। 14 वर्ष के अध्ययन के बाद 26 वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी समाजशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र की शिक्षा पूर्ण की और नालंदा में उन्होंने शिक्षण कार्य भी किया। वे राजतंत्र के प्रबल समर्थक थे। उन्हें ‘भारत का मेकियावली’ के नाम से भी जाना जाता है।
चाणक्य का नाम राजनीति, राष्ट्रभक्ति एवं जन कार्यों के लिए इतिहास में सदैव अमर रहेगा। लगभग 2300 वर्ष बीत जाने पर भी उनकी गौरवगाथा धूमिल नहीं हुई है। चाणक्य भारत के इतिहास के एक अत्यन्त सबल और अद्भुत व्यक्तित्व हैं। उनकी कूटनीति को आधार बनाकर संस्कृत में एक अत्यन्त प्रसिद्ध ‘मुद्राराक्षस’ नामक नाटक भी लिखा गया 1