मिस्र : हिब्रू नेता, ‘टेन कमांडमेंट्स’ के प्रणेता
जन्म : तेरहवीं शती ई. पू.
मृत्यु: तेरहवीं शती ई. .पू.
संसार के प्राचीनतम धर्म प्रवर्तकों की श्रेणी में मोज़ेज़ (मूसा) का नाम अग्रगण्य है। उनका जन्म लगभग 1350 ई. पू. मिस्र देश में हुआ था। उनके माता-पिता इजरायली थे और उन दिनों फ़राओ ने सभी इजरायली नवजात शिशुओं को मार डालने का आदेश दे रखा था और फ़राओ की पुत्री के हस्तक्षेप से ही मूसा के प्राण बच सके थे।
हेलियोपोलिस में उन्होंने धर्मतन्त्र का अध्ययन किया। मिस्र में इजरायलियों पर होने वाले अत्याचारों से वे अत्यन्त दुखी थे। अपने एक जाति भाई की रक्षा करने के लिए मोज़ेज़ (Moses) ने एक मिस्री की हत्या कर डाली और अरब के एक रेगिस्तान में जा छिपे जहां उन्होंने कठोर साधनाएँ कीं। ऐसा विश्वास है कि ईश्वर ने उन्हें यहूदी जाति का नेता ठहरा कर उसे मिस्र की दासता से मुक्त कराने का आदेश दिया।
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मूसा ने अपने समर्थकों को संगठित किया और रैमसेस द्वितीय के राज्यकाल में मिस्र लौट कर बार-बार प्रार्थना की कि उनके जाति भाइयों को मिस्र छोड़कर फ़िलिस्तीन लौट जाने की अनुमति दी जाए परंतु उनकी प्रार्थना स्वीकार नहीं की गई। ‘ओल्ड टेस्टामेंट’ (Old Testament) में लिखित कथा के अनुसार मिस्र पर तब एक के बाद एक 10 महाविपत्तियाँ आईं और उन्हें मूसा का अभिशाप समझ कर, उन्हें देश छोड़ने की अनुमति दे दी गई।
मूसा अपने अनुयायियों को लेकर फ़िलिस्तीन की ओर चल पड़े। रास्ते में भयानक सिनाई रेगिस्तान (Sinai Desert) भी पार करना था। इस यात्रा में 40 वर्ष लगे और मूसा यात्रा पूर्ण होने तक जीवित नहीं रहे। रास्ते में ही उन्होंने अपने अनुयायियों को सरल आचार-विचार संबंधी उपदेश दिए थे और ऐसा विश्वास किया जाता है कि ये निर्देश उन्हें ईश्वर से प्राप्त हुए थे। इन्हें ही ‘दस निर्देश’ (Ten Commandments) कहते हैं, जो विश्व में अभी भी ईसाइयों के मूल सिद्धान्त माने जाते हैं।