भारत : उपन्यास सम्राट
जन्म : 1880
मृत्यु : 1936
भारत के शीर्षस्थ कहानीकार एवं उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद ने 1897 से लेखन कार्य प्रारंभ किया। प्रेमचंद की पहली कहानी ‘संसार का सबसे अनमोल रत्न’ 1901 में ‘जमाना’ में छपी थी। स्वदेश प्रेम की भावनाओं से भरा उनका प्रथम कहानी संग्रह ‘सोज़ेवतन’ 1907 में प्रकाश में आया था जिसे तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने जब्त कर लिया था। इसके बाद उनके अमर उपन्यास ‘निर्मला’, ‘प्रतिज्ञा’, ‘सेवा सदन’, ‘प्रेमाश्रम’, ‘रंगभूमि’, ‘कर्मभूमि’, ‘गोदान’, ‘कायाकल्प’, ‘गबन’ आदि प्रकाशित हुए। इनकी कहानियाँ ‘मानसरोवर’ नाम से आठ खंडों में संगृहीत हैं। 1920 में प्रेमचंद महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से काफी प्रभावित हुए थे, जिसकी छाया उनकी रचनाओं पर भी पड़ी है। प्रेमचंद ने ‘मर्यादा’ तथा ‘जागरण’ आदि पत्रों का भी संपादन किया। उन्होंने स्वयं भी ‘हंस’ नामक पत्र निकाला था।
प्रेमचंद का जन्म वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के एक निर्धन परिवार में हुआ था। उनका वास्तविक नाम धनपतराय था और वे उर्दू में ‘नवाबराय’ के नाम से लिखते थे पर उनकी सभी हिन्दी कृतियान उनके उपनाम ‘प्रेमचंद’ के साथ प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा को समर्पित कर दिया।
प्रेमचंद हिंदी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासकार माने जाते हैं। उनकी निर्धनता एवं अभाव का प्रभाव उनकी रचनाओं पर स्पष्ट दिखाई देता है। उनकी रचनाओं में देश की तत्कालीन सामाजिक तथा राजनीतिक अवस्था का सजीव चित्रण देखने को मिलता है, यही कारण है कि साहित्य जगत में ‘उपन्यास सम्राट’ प्रेमचंद आज भी उसी ऊँचाई पर हैं तथा एक प्रकाश-स्तंभ की भाँति साहित्यकारों की आगामी पीढ़ियों का सदैव मार्गदर्शन करते रहेंगे।
स्वतंत्रतापूर्व 1936 में उनका 56 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनकी मृत्यु भी उनके जीवन की तरह अत्यंत सादगीपूर्ण थी।