भारत : उड़नपरी
जन्म : 1964
कुछ दशक पहले जो सफलताएँ और ख्याति पी. टी. उषा ने प्राप्त की हैं वे उनसे पूर्व कोई नई भारतीय महिला एथलीट नहीं प्राप्त कर सकी। एशियाड, 82 (Asiad, 82) के बाद से अब तक का समय पी. टी. उषा के चमत्कारी प्रदर्शनों से भरा पड़ा है। 1982 के एशियाई खेलों (Asian Games ) में उसने 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता था। कुवैत में भी इन्हीं मुकाबलों में उसने दो स्वर्ण पदक जीते थे। राष्ट्रीय स्तर पर उषा ने कई बार अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दोहराया और 1984 के लॉस एंजेलस ओलंपिक खेलों में भी चौथा स्थान प्राप्त किया । यह गौरव पाने वाली वे भारत की पहली धाविका हैं। इसमें वे 1/100 सेकिंड्स से पिछड़ गईं थीं।
जकार्ता की एशियन चैंपियनशिप में भी उसने स्वर्णपदक लेकर अपने को बेजोड़ प्रमाणित कर दिया। ‘ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धाओं’ में लगातार 5 स्वर्ण पदक एवं एक रजत पदक जीतकर वह एशिया की सर्वश्रेष्ठ धाविका बन गई हैं।
पल्लवुल्लाखंडी थक्केंपरमबिल उषा का जन्म केरल के कन्नूर जिले के पय्योली ग्राम में हुआ था। जब वे सिर्फ 12 वर्ष की थीं तभी कन्नूर के ‘स्पोर्ट्स स्कूल’ में उन्होंने प्रवेश लिया। वहाँ उन्हें सर्वाधिक सहयोग अपने प्रशिक्षक श्री ओ. पी. नब्बियार का मिला। अपने प्रशिक्षक के प्रोत्साहन और प्रशिक्षण का ही फल है, जहाँ वे आज हैं। पी. टी. उषा दक्षिण रेलवे की एक अधिकारी हैं। उन्होंने 1983 से 1989 के बीच हुई एशियान ट्रैक एंड फील्ड चैम्पियनशिप में 17 पदक- 13 स्वर्ण, 3 रजत और एक कांस्य पदक प्राप्त किए।